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दिल्ली विधानसभा चुनाव: दिल्ली में हर हाल में फिर से बनेगी केजरीवाल सरकार!

Kejriwal Government Will Be Rebuilt in Delhi Under any Circumstances, know why?दिल्ली विधासभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की ही जीत होगी और दोबरा केजरीवाल की ही सरकार बनेगी। जानिए क्यों?

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बेंगलुरु। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जीत हासिल करने के लिए चुनावी दंगल में कूद चुकी हैं। आम आदमी पार्टी के जो तेवर है उसे देख कर लग रहा है कि इस चुनाव में वह विरोधी पार्टी भाजपा को परास्‍त कर दोबारा दिल्ली का किला फतेह कर लेगी। केजरीवाल को यह आत्मविश्‍वास अपनी सरकार में किए गए कार्यों के कारण हैं।

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दोबारा दिल्ली के मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए केजरीवाल अपनी मंसूबे में कामयाब करने मे जुट चुके हैं।उवो वोट बैंक को साधने के लिए अपने निराले अंदाज में जुट चुके हैं। उन्‍हें विश्‍वास है कि वह आसानी से जीत हासिल कर दोबारा सरकार बनाएंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कि वाकई क्या वाकई आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल में इतना माद्दा है कि वो फिर से सरकार बना लें और दोबारा आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाएं?

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बता दें देश की सभी राजनीतिक पार्टियां जहां जाति आधारित राजनीति करती है वहीं केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जबसे अस्तित्व में आयी है तभी से आम जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर चलती है। राजनीतिक पार्टियों को जनता से किए वादों की याद तब ही आती है जब चुनाव आते हैं। वोट मिलने के बाद पांच सालों तक वोटर को जनता नजरंदाज कर देती है। इसलिए वह सरकार से उम्मीद करना ही छोड़ देती है। लेकिन केजरीवाल का राजनीति करने का अंदाज बिलकुल अलग है। 2015 में चुनाव जीतने के बाद सरकार बनने के बाद से ही जनता के हित में कार्य करना आरंभ कर दिया। केजरीवाल ने एक नई शुरुआत की है और अपने वोटरों के बीच एक नए भोरोसे की अलख जलाई हैं।

केजरीवाल ने जीता वोटरों का भरोसा

केजरीवाल ने जीता वोटरों का भरोसा

दिल्ली में सरकार बनाते ही बिजली, पानी मुफ्त करना हो या फिर मेट्रो और बसों में महिलाओं की यात्रा मुफ्त करना हो यह सब फैसले आम इंसान को राहत देने वाले है। यही कारण है राजनीति में दिलचस्‍पी रखने वालों का मानना है कि दिल्ली में सीएम केजरीवाल ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं जिसका फायदा उसे इस चुनाव में मिलेगा और आप पार्टी दोबारा सरकार बनाएगी। पार्टी का अरविंद केजरीवाल के नाम के दम पर चुनाव लड़ना खुद इस बात को पुख्‍ता करता है कि पार्टी को भी यह पता है कि किसी और नेता के मुकाबले दिल्ली की जनता केजरीवाल पर ज्यादा भरोसा करती है। पार्टी का इस चुनाव में एजेंडा बिलकुल साफ नजर आ रहा है उसकी यही रणनीति है कि वो केजरीवाल को को रखकर शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक पार्टी के काम गिनाते हुए दिल्ली की जनता को ये बताएगी कि पार्टी की तरफ से उनके लिए अब तक क्या क्या काम हुए।

केजरीवाल ने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश किया

केजरीवाल ने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश किया

मालूम हो कि विरोधी पार्टियों द्वारा केजरीवाल द्वारा बिजली, पानी, स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं फ्री में दिए जाने को लेकर उनकी सरकार पर सवाल भी उठाए। दिल्ली में विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मीडिया में इसको लेकर खुलकर बात की और केजरीवाल ने अपने रिपोर्ट कार्ड पेश किया। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार लोगों को कैसे फ्री बिजली, पानी मुहैया करा रही है। केजरीवाल आम आदमी पार्टी के स्टार कैम्पेनर हैं तो पार्टी भी अपनी तरफ से पूरी ताकत इसी में झोंक रही है कि कैसे उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव में कैश किया जाए। बात अगर केजरीवाल के साथियों जैसे संजय सिंह या फिर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की हो तो इन लोगों को पार्टी ने फ्रेम से अलग कर दिया है। पार्टी का प्रयास यही है कि कैसे भी करके उसे केजरीवाल के उस स्टेटस को जनता के सामने रखना है जिसमें वो किसी 'स्टार' की तरह वोटरों को आकर्षित कर सके।

आम वोटर का केजरीवाल के प्रति रुख

आम वोटर का केजरीवाल के प्रति रुख

बिजली, पानी और स्कूल, स्‍वास्‍थ सुविधाएं आम इंसान से जुड़े हुए मुद्दे हैं। अगर किसी ने इनपर काम कर लिया तो वो किसी का भी दिल बड़ी ही आसानी के साथ जीत सकता है। अब क्योंकि केजरीवाल ने इस दिशा में काम किया है तो माना यही जा रहा है कि इसका फायदा उन्हें होगा और वो आसनी से जीत दर्ज करेंगे। केजरीवाल ने इस क्षेत्र में वो काम कर दिखाया है जिसने बाकी राज्यों की सरकारों को पछाड़ दिया है। मालूम हो कि केजरीवाल के सरकार में आने के बाद से ही दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त है। पीने योग्य पानी भी लोगों को फ्री में मुहैया कराया जा रहा है। इतना ही नहीं दिल्ली के सरकारी स्कूलों और उन स्कूलों में शिक्षा के स्‍तर में सुधार हो वहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो इसके लिए अनगिनत प्रयास किए गए। जिसका परिणाम सबके सामने है। वर्तमान समय में आलम ये है कि दिल्ली के सरकार स्कूल में अपने बच्चे को प्रवेश दिलाने के लिए लोग कतार में खड़े हो रहे हैं। इसके अलावा जो कुछ भी केजरीवाल ने प्राइवेट स्कूलों की फीस के लिए किया उसने भी काफी हद तक उनका वोट उस वर्ग के बीच मजबूत कर दिया है जिनकी कमर बच्चों की भारी भरकम फ़ीस ने तोड़ कर रख दी थी। इतना ही मोहल्‍ला क्लीनिक संचालित कर लोगों को निशुल्‍क स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं मुहैया करवा रहे हैं।

व्‍यापारियों का केजरीवाल को समर्थन

व्‍यापारियों का केजरीवाल को समर्थन

अरविंद केजरीवाल के पिछले पांच सालों के कार्यकाल पर नजर डाले तो यह साफ हो जाता है कि केजरीवाल ने ऐसा कुछ न किया हो जिससे दिल्ली के व्‍यापारियों को नुकसान पहुंचा हो। दिल्ली में वैध-अवैध फैक्ट्रियां हैं वो आज भी बिना किसी रोक टोक जारी है कई बड़ी घटनाएं होने के बावजूद केजरीवाल सरकार ने उन पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। केजरीवाल की दूर दृष्टि आम नेताओं से तेज हैं। वह इस बात को खूब समझते हैं कि उनका असल वोटर है कौन हैं? और साथ ही वो उनसे चाहता क्या है? रेहड़ी-पटरी दुकानदारों का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो अरविंद केजरीवाल को किसी रहनुमा की तरह देखता है। केजरीवाल ने इस भरोसे को और अधिक मजबूत करते हुए 2014 में बने स्ट्रीट वेंडिंग एक्ट को लागू किया है।जातिगत समीकरण की राजनीति के लिहाज से भी देखे तो व्‍यापारियों में अधिकांश वर्ग बनिया वर्ग से संबंध रखता है। अरविंद केजरीवाल भी उसी वर्ग से हैं। इस एंगिल से भी देखा जाए तो बनिया और कारोबारियों का केजरीवाल की तरफ झुकना और आने वाले चुनावों में उन्हें ही वोट करना लाजमी है।

पंजाबी और सिख समुदाय के वोटर

पंजाबी और सिख समुदाय के वोटर

दिल्ली में बड़ी संख्‍या में पंजाबी और सिख समुदाय के वोटर है। माना जाता है कि केजरीवाल का इनके प्रति झुकाव हैं। वो चाहे दिल्ली में विस्थापित पाकिस्तानी पंजाबी हो या फिर खुद पंजाब में रह रहे पंजाबी इस समुदाय के बीच हमेशा ही केजरीवाल की लोकप्रियता रही है और केजरीवाल पसंद किये जाते हैं। बात 2015 की ही तो बताना जरूरी है कि उस समय केजरीवाल का वोट परसेंटेज 54.34 था जिसमें पंजाबी वोटरों की एक अच्छी संख्या मिली थी। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में पंजाब में आम आदमी पार्टी ने बेहतर परिणाम हासिल किए थे। इतना ही नहीं दिल्ली में व्‍यापारी वर्ग में बहुत बड़ी संख्‍या में पंजाबी और सिख समुदाय के लोग है। जिनका केजरीवाल को अच्‍छा सपोर्ट है।

मुस्लिम वोटर और केजरीवाल

मुस्लिम वोटर और केजरीवाल

बात अगर मुस्लिम वोटर की करें तो भाजपा की तुलना में दिल्ली के मुसलमान वोटर केजरीवाल को पसंद करते हैं। पिछली कुछ घटनाओं पर गौर करें तो पता चलता है कि मुसलमनों के प्रति उनका रुख बहुत ही सहज रहा है। वो चाहे जामिया कालेज और सीलमपुर में हुई हिंसा हो इन दोनों ही मामलों में केजरीवाल की चुप्पी या फिर पुलिस की बर्बरता को लेकर दिल्ली के मुसलमान अरविंद केजरीवाल से नाराजगी व्‍यक्त करना हो। चूंकि यह चुनावी मुकाबला भाजपा बनाम केजरीवाल माना जा रहा है तो इसमें कोई शक नहीं है कि मुस्लिम वोट उन्हीं के पाले में आएंगे जो उन्हें फायदा पहुंचाएंगे। इतना ही नहीं सीएए के मुद्दे पर भी मुस्लिम समाज का भाजपा के आक्रोश का फायदा भी केजरीवाल की पार्टी को मिल सकता है।

2015 में आम आदमी पार्टी ने सत्ता कैसे हासिल की

2015 में आम आदमी पार्टी ने सत्ता कैसे हासिल की

2015 में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत की बात करें तो उस समय जनता में कांग्रेस पार्टी की सरकार के प्रति नाराजगी थी। जब आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन तोड़ा और केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से माफ़ी मांगी। केजरीवाल की यह चाल कामयाब हो गयी । दिल्ली की जनता को लगा कि शायद केजरीवाल एक दूसरी तरह की राजनीति के लिए मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में आए हैं और इसी भरोसे के साथ 15 के चुनाव में केजरीवाल और उनकी पार्टी ने बम्बर जीत दर्ज की। वहीं अब 2010 में आम आदमी पार्टी महिला सुरक्षा, प्रदूषण, अवैध कॉलोनी, बिजली, पानी, कानून व्यवस्था, सीएए और एनआरसी के मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है। विपक्ष की तमाम चुनौतियों का सामना कर रही आम आदमी पार्टी को अपनी जीत पर पूरा भरोसा है।

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Kejriwal Government Will Be Rebuilt in Delhi Under any Circumstances, know why?
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