देशद्रोह केस में कन्हैया कुमार पर मुकदमा चलाने की मंजूरी, केजरीवाल सरकार का फैसला
नई दिल्ली- जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने अब उनके खिलाफ देशद्रोह केस में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी इस मुद्दे पर बहुत बवाल मचा था। बता दें कि करीब एक साल से ये मामला दिल्ली सरकार के पास लटका हुआ था, जिसको लेकर बीजेपी अरविंद केजरीवाल सरकार पर टुकड़े-टुकड़े गैंग को बचाने का आरोप भी लगाती रही थी। लेकिन, अब मुकदमा चलाने की इजाजत मिलने के बाद सीपीआई नेता कन्हैया कुमार की मुश्किलें बढ़नी तय हैं।
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कन्हैया पर देशद्रोह केस में चलेगा मुकदमा
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने देश विरोधी नारे लगाने और नफरत भड़काने के आरोपी जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की इजाजत आखिरकार दे ही दी है। यह फाइल दिल्ली सरकार के गृह विभाग के पास लगभग एक साल से पड़ी हुई थी। पुलिस ने कन्हैया कुमार पर देशद्रोह समेत 8 धाराएं लगा रखी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी इस मुद्दे को लेकर भाजपा ने अरविंद केजरीवाल को घेरा था। तभी उन्होंने संकेत दे दिए थे कि सरकार बनने के बाद वह अपने स्तर पर इस मामले को लेकर कार्रवाई करेंगे और संबंधित विभाग को जरूरी निर्देश देंगे। बता दें कि अप्रैल में इसपर अदालत में भी सुनवाई होने वाली है और केजरीवाल सरकार का फैसला उसी के मद्देनजर माना जा सकता है। ये इजाजत दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को मिली है, जो अब कन्हैया पर अपने वकीलों के जरिए राजद्रोह के मुकदमे की पैरवी करेगा।
पिछले साल दर्ज हुई थी चार्जशीट
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार के अलावा जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, अनिर्बान और सात अन्य लोगों के खिलाफ पिछले साल 14 जनवरी को देशद्रोह, दंगा भड़काने और आपराधिक साजिश के तहत चार्जशीट दायर किया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार से मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पटियाला हाउस के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुमीत आनंद की कोर्ट में 1200 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। इस मामले में दिल्ली सरकार ने उमर खालिद, अनिर्बान, आकिब हुसैन, मुजीब, उमर गुल, बशरत अली और खालिद बसीर पर भी राजद्रोह का मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी दी है।
3 अप्रैल को होनी है सुनवाई
इस केस में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं और जेएनयू के सुरक्षाकर्मियों को गवाह बनाया गया है। इस मामले में हाल ही में दिल्ली की एक कोर्ट ने पुलिस को स्टैटस रिपोर्ट मांगते हुए निर्देश दिया था कि वह दिल्ली सरकार को इस मामले में रिमाइंडर भेजे और उसने 3 अप्रैल को सुनवाई के लिए अगली तारीख तय कर दी थी। इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया दी थी कि वह इस मामले में अपनी सरकार से जल्द फैसला लेने को कहेंगे। पिछले दिनों दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान भी इस मुद्दे पर भाजपा और आम आदमी पार्टी पर खूब आरोप-प्रत्यारोप लगे थे।
पूरा मामला समझिए
गौरतलब है कि मामला 9 फरवरी, 2016 को जेएनयू में देश विरोधी नारेबाजी से जुड़ा है। उस दौरान इस मामले पर बहुत ज्यादा सियासी बवाल मचा था और देश-विरोधी नारेबाजी के बावजूद कई विपक्षी पार्टियों के नेता जेएनयू जाकर वहां के छात्रों के समर्थन में कूद पड़े थे और केंद्र की मोदी सरकार पर हमला किया था। उसके बाद से हर चुनाव में यह मुद्दा बनता है और विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी दबाने की कोशिश की तरह पेश करता है और बीजेपी सरकार इसमें शामिल आरोपी कन्हैया कुमार जैसे नेताओं को टुकड़े-टुकड़े गैंग कहकर बुलाती है। एक तरह से उसी के बाद से जेएनयू के छात्रों के एक वर्ग और केंद्र सरकार के बीच तनातनी की स्थिति बनी रहती है।
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