केदारनाथ त्रासदी में मां बिछड़ गई, पिता बह गए, 5 साल बाद घर लौटी बेटी
नई दिल्ली। साल 2013 में केदारनाथ त्रासदी में जिस बच्ची को उसके घरवाले मरा हुआ मान बैठे थे वो 5 साल बाद अपने घर लौट आई है। केदारनाथ में जल प्रलय के बाद परिवार वालों ने चंचल की बहुत खोजबीन की, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। आखिरकार उन्होंने उम्मीद छोड़ दी और उसे मरा हुआ मान बैठे थे। अब जबकि पांच साल बाद 17 साल की चंचल अलीगढ़ स्थित अपने घर पहुंची है, परिवार वाले इसे चमत्कार ही मान रहे हैं। उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।
पिता के साथ चंचल केदारनाथ दर्शन के लिए गई थी
चंचल के दादा हरीशचंद्र और दादी शकुंतला की आंखें भर आईं। उन्होंने बताया,' अपने पिता के साथ चंचल केदारनाथ दर्शन के लिए गई थी, लेकिन उस दौरान आई विनाशकारी बाढ़ में पिता बह गए, और मां का भी कुछ पता नहीं चला था। बाद में मां घर लौट आई थी।, उस वक्त चंचल उनसे बिछड़ गई थी।'
मनोरोगी है चंचल
हरीशचंद्र ने बताया कि चंचल मनोरोगी है, हादसे के वक्त वो 12 साल की थी। बताया जा रहा है कि परिवार से बिछड़ने के बाद किसी शख्स की मदद से जम्मू स्थित एक आश्रम द्वारा संचालित अनाथालय जा पहुंची थी। केदारनाथ की इस त्रासदी में अभी भी 3.886 लोग लापता हैं। चंचल के पिता राजेश इस विनाशकारी बाढ़ में बह गए थे। काफी कोशिशों के बाद चंचल के घरवालों के बारे में जानकारी मिल पाई। वो अक्सर अलीगढ़ का जिक्र करती थी, शायद कुछ कहना चाहती थी।
पिता बाढ़ में बह गए थे, मां से बिछड़ गई थी
मनोरोगी होने के कारण चंचल अपने घर के बारे में पूरी तरह नहीं बता पा रही थी। इसके बाद चाइल्ड लाइन अलीगढ़ के निदेशक ज्ञानेन्द्र मिश्र और पुलिस के सहयोग से उसके घर के बारे में जानकारी जुटाई गई। बन्ना देवी थाना अंतर्गत, लोहिया नगर में चंचल के परिवार के बारे में पता चला। चंचल के चाचा के मुताबिक, 11 साल पहले, राजेश (पिता) और सीमा (मां) अलीगढ़ से गाजियाबाद शिफ्ट हो गए थे। इसके बाद से वे कभी अलीगढ़ नहीं आए।
जम्मू के अनाथालय जा पहुंची थी, अलीगढ़ का करती थी जिक्र
उनका कहना है कि चंचल एक मनोरोगी है। उनका परिवार आर्थिक रूप के कमजोर है और उसकी देखभाल नहीं कर सकता है। 17 साल की चंचल को इस स्थिति में संभालना काफी मुश्किल होगा। वहीं, दादा का कहना है कि चंचल को पता नहीं कि उसके पिता त्रासदी में बह गए थे। वो अभी भी अपने पिता को नाम लेकर पुकारती रहती है।
केदारनाथ में साल 2013 में आई थी विनाशकारी बाढ़
बता दें कि एक अनुमान के मुताबिक,केदारनाथ त्रासदी में 12 हजार से अधिक लोग मारे गए थे। मंदाकिनी में बही लाशें हरिद्वार, इलाहाबाद तक बहकर चली गईं थी। केदारनाथ में महीनों बाद भी कंकाल मिलते रहे। मलबा, पत्थर व बोल्डर के साथ पानी ने केदारनाथ को लाशों से पाट दिया था। इस त्रासदी में हजारों की संख्या में लोग लापता हुए थे जिनमें से अधिकांश के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है।