लॉकडाउन: महाराष्ट्र में फंसे केदारनाथ के मुख्य पुजारी, बाबा का मुकुट भी उन्हीं के पास
नई दिल्ली। देवभूमि उत्तराखंड में 26 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। जिसके बाद 29 अप्रैल को ब्रह्म मुहूर्त में केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे, लेकिन इस बार उत्तराखंड सरकार के सामने एक बड़ी समस्या आ गई है। लॉकडाउन की वजह से केदारनाथ धाम के रावल (मुख्य पुजारी) महाराष्ट्र में फंस गए हैं। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है। अब सरकार उनको उत्तराखंड लाने के लिए तेजी से काम कर रही है।
बाबा का मुकुट रावल के पास
केदारनाथ के पुजारी को रावल कहते हैं। परंपरा के मुताबिक कपाट खुलने के दौरान रावल का होना आवश्यक है। केदारनाथ धाम के रावल महाराष्ट्र के नांदेड़ स्थिति अपने आश्रम में हैं। वहीं बाबा केदारनाथ को पहनाए जाने वाला सोने का मुकुट भी उन्हीं के पास है। रावल ने सड़क मार्ग से उत्तराखंड जाने की इजाजत मांगी है और पीएम मोदी को पत्र लिखा है। वहीं उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार उनको एयरलिफ्ट करने पर विचार कर रही है।
केरल में फंसे हैं बद्रीनाथ के रावल
वहीं दूसरी ओर बद्रीनाथ के रावल केरल में लॉकडाउन की वजह से फंसे हैं। मामले में त्रिवेंद्र सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि रावल को उत्तराखंड लाने के लिए गृह मंत्रालय और केरल के मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया है। बद्रीनाथ के कपाट खुलने के दौरान रावल की उपस्थिति जरूरी है। परंपरा के मुताबिक सिर्फ रावल को ही भगवान बद्री की मूर्ति छूने का अधिकार होता है।
क्या आगे बढ़ाई जाएगी तारीख?
बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तारीख टिहरी राजघराना तय करता है। ऐसे में राजघराने के पास कपाट खुलने की तारीख आगे बढ़ाने का अधिकार है। इसके अलावा राजघराना किसी अन्य पुजारी को कपाट खोलने के लिए नामित कर सकता है। कपाट खुलने के दौरान टिहरी राजघराने के सदस्य भी बद्रीनाथ धाम में मौजूद रहते हैं। ऐसे में लॉकडाउन की वजह से उनके भी बद्रीनाथ पहुंचने पर संशय बरकरार है। त्रिवेंद्र सरकार के मुताबिक सरकार इस मामले में गंभीरता से काम कर रही है, जल्द ही इसका हल निकाल लिया जाएगा।