खुल गया केदारनाथ हादसे का राज, कोई बादल फटा ही नहीं था घाटी में!
ज़ख्म छिड़क रहे अखिलेश भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान यानि कि आइआइआरएस की रिपोर्ट कहती है कि ना बादल फटने से हादसा हुआ और न ही गांधी सरोवर टूटा। वैज्ञानिकों की रिपोर्ट साफ बताती हैं कि हादसे की मुख्य वजह दो ग्लेशियर रहे, जिनके पिघलने से बेकाबू लहरों ने सामने आने वाली हर चीज़ अपने ही साथ ले ली। रीसैट-1 सैटेलाइट से लीं गईं तस्वीरें भी सामने आईं हैं जिसमें हादसे को ज्योग्राफिकली पेश किया गया है।
रिपोर्ट कहती है कि केदारनाथ के पूर्व में कंपेनियन ग्लेशियर की ऊपरी पर्त पिघली व पानी के सैलाब ने देखते ही देखते खुशियों को चीखों में बदल दिया। इसी के साथ चूराबारी ग्लेशियर में भी ऐसा ही कुछ हुआ और देखते ही देखते लहरों ने इंसानी जिंदगियां अपने आगोश में ले लीं। इस हादसे का सबसे ज्यादा प्रभावित कस्बा है रामबाड़ा। रिपोर्ट बताती है कि चूराबारी ग्लेशियर का पानी रौद्र रूप लेकर आया व चट्टानों को साथ बहाने के साथ-साथ जिंदगियां भी खत्म कर गया।