केदारनाथ से आए मौत के सैलाब ने पूरे गांव की महिलाओं के छीन लिए थे सुहाग
दिल्ली। 17 जून 2013 को बादल फटने से लबालब भरा चोराबाड़ी ताल टूटा। मलबा, पत्थरों और चट्टानों के साथ भारी मात्रा में आया पानी केदारनाथ बस्ती को तबाह करता हुआ आगे निकला। रास्ते में गौरीकुंड समेत जो भी इलाका आया उसे तबाह करता हुआ यह मौत का सैलाब गुजर गया। इस तबाही के बीच एक ऐसे गांव की खबर आई जहां के बारे में यह बताया गया कि वहां की सभी महिलाएं विधवा हो गईं।
बमणी
गांव
के
लगभग
सारे
पंडे
मारे
गए
केदारनाथ
त्रासदी
से
बचकर
निकली
नैनीताल
निवासी
वैजयंती
देवी
ने
बताया
था
कि
वो
केदारनाथ
से
वापस
लौटते
हुए
गौरीकुंड
पहुंची
थी
कि
केदारनाथ
से
बहता
हुआ
सैलाब
आया
जिसकी
वजह
से
वो
एक
गांव
में
फंस
गईं।
वहां
पता
चला
कि
बमणी
गांव
की
करीब
सारी
महिलाएं
विधवा
हो
गईं।
गांव
के
सारे
पुरूष
केदारनाथ
में
पंडा
का
काम
करते
थे
और
त्रासदी
की
सुबह
वे
वहीं
पर
थे।
वैजयंती
ने
बताया
कि
त्रासदी
में
वे
सभी
मारे
गए।
उनकी
पत्नियां
गांव
में
थी
और
वो
विधवा
हो
गईं।
16
जून
2013
की
वो
रात
16
जून
2013
को
हुई
भारी
बारिश
के
बाद
रात
में
करीब
8.30
बजे
लैंडस्लाइड
की
वजह
से
पहाड़ों
पर
बरसा
पानी
मलबे
के
साथ
पहली
बार
केदारनाथ
घाटी
से
होकर
गुजरा
लेकिन
इसमें
कम
तबाही
हुई
और
कई
लोग
बाल-बाल
बच
गए।
17
जून
की
सुबह
जब
चोराबाड़ी
ताल
का
पूरा
पानी
पत्थर
की
दीवार
टूटने
से
बड़ी-बड़ी
चट्टानों
को
साथ
लेता
हुआ
नीचे
आया
तो
पूरा
केदारनाथ
सपाट
हो
गया।
होटल,
रेस्ट
हाउस,
दुकानें,
घरें
सभी
जमींदोज
हो
गईं
और
कई
इंसान
या
तो
मलबे
के
साथ
बह
गए
या
उसी
में
दफन
हो
गए।
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