दिल्ली में रह रहे कश्मीरी छात्रों को सता रही घाटी में अपने परिवारों की चिंता, सरकार के कदम को बताया तानाशाही
नई दिल्ली। दिल्ली में रह रहे कश्मीरी छात्रों ने आर्किटल 370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले को तानाशाही करार दिया है। इन कश्मीरी छात्रों ने घाटी में रह रहे अपने परिवारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व सदस्य शेहला रशीद ने कहा कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी। शेहला पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल की पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मुवमेंट की सदस्य हैं।
शेहला रशीद ने कहा, 'हम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सरकार की जगह राज्यपाल और संविधान सभा की जगह विधानसभा करना संविधान के साथ धोखाधड़ी है। मैं प्रगतिशील तबकों से एकजुटता दिखाने की अपील करती हूं। आज दिल्ली और बेंगलुरु में प्रदर्शन होगा।' शेहला ने ये भी दावा किया कि कश्मीरी लोगों के मोबाइल फोन की इंटरनेट स्पीड कम कर दी गई है।
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JNUSU महासचिव एजाज अहमद ने कहा कि ये असंवैधानिक और तानाशाही है, हमारे लिए कुछ नहीं बचा है, मैंने अपने परिवार से रविवार को बात की थी और उन्होंने मुझे एक बार आकर देख लेने को कहा था। कश्मीर में सब कुछ बंद होने के बाद हम अपने परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।
अनंतनाग के रहने वाले मुदस्सर, जो जेएनयू के पूर्व छात्र हैं, कहते हैं- हम लोगों में अनिश्चितता का माहौल है, हमें नहीं पता कि हमारा परिवार कैसा है और किन हालात से गुजर रहा है। मैंने पिछली रात अपने परिवार से बात किया था, वे लोग मुझे बुला रहे थे, मैंने टिकट बुक कर लिया था लेकिन मुझे टिकट रद्द करना पड़ा, मुझे घरवालों की चिंता हो रही है। वहीं, जामिया में पढ़ने वाले एक छात्र ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि उनके परिवार ने किसी अजनबी से बात ना करने को कहा है। जब हमारे नेता ही सुरक्षित नहीं हैं तो हमारा परिवार कैसे सुरक्षित रहेगा।