कश्मीरी पंडित की हत्या पर भड़के अनुपम खेर ने कहा-'सालों से जुल्म हो रहा है लेकिन सब हैं खामोश'
मुंबई। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों द्वारा सरपंच अजय पंडिता की हत्या किए जाने के बाद पूरे इलाके में खौफ फैल गया है, घाटी के कई कश्मीरी पंडित, पंच और सरपंच अपना घर छोड़ जम्मू की ओर शिफ्ट हो गए हैं तो वहीं सोशल मीडिया पर भी इस घटना की निंदा करते हुए लोग गुस्से से उबल रहे हैं, ऐसे में इस दिल दहला देने वाली घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है मशहूर फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने, जिन्होंने इस बारे में ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया है।
कश्मीरी पंडित की हत्या से गुस्से में अनुपम खेर
अपने वीडियो में उन्होंने कहा कि घाटी के अनंतनाग में एक सरपंच,जो कि वहां अकेला कश्मीरी पंडित था, उसे आतंकवादियों ने मार दिया, एक बार फिर से कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया गया, पिछले कई सालों से लगातार कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार जारी है,उन्हें मारा-जाता रहा है, उनकी मां-बहन के साथ रेप होते रहे लेकिन उनके लिए कभी भी कोई खड़ा नहीं हुआ, कोई भी इसका विरोध खुलकर नहीं करता है, एक भी आवाज नहीं उठाई जाती है।
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अनुपम खेर ने कहा-मैं दुखी भी हूं और गुस्सा भी
अनुपम के मुताबिक कश्मीरी पंडितों के हालात जैसे पहले थे वैसे ही अभी भी हैं, इतने सालों में कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिला है, ये दुखद और दिल को दहला देने वाला है, अनुपम ने अपने वीडियो का कैप्शन दिया है 'मैं दुखी भी हूं और गुस्सा भी'।
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अनंतनाग जिले में अज्ञात बदमाशों ने सरपंच को गोलियों से भून दिया
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में बीते सोमवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने सरपंच अजय पंडिता की हत्या कर दी, लुकबावन के सरपंच अजय पंडिता का संबंध कांग्रेस पार्टी से था, सोमवार शाम 6 बजे जब वो अपने घर से निकलकर अपने बागीचे की ओर जा रहे थे तभी कुछ बदमाशों ने उन पर गोलियां बरसा दीं, 40 साल के अजय पंडिता को आनन-फानन में परिजन और पड़ोस के लोग अनंतनाग के जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। अस्पताल में डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है।
अनुपम ने कश्मीरी पंडितों के हाल पर सवाल खड़े किए
आपको बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब अनुपम खेर ने कश्मीरी पंडितों के हाल पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि वो इस दर्द को बखूबी समझते हैं और इसी वजह से वो बार-बार इसके लिए आवाज उठाते हैं, मालूम हो कि वर्ष 1985 के बाद से कश्मीर पंडित कट्टरपंथियों और आतंकवादियों पर निशाने पर थे, 19 जनवरी 1990 को कट्टरपंथियों ने 5 लाख कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से भागने के लिए मजबूर कर दिया था, इस दौरान कश्मीर पंडितों के परिवार पर काफी जुल्म भी किए गए थे, कश्मीरी पंडितों ने अपनी जान और इज्जत बचाने के लिए देश के दूसरे हिस्सों में शरण ली लेकिन आज भी उन्हें पलायन का गम सताता है, अपनों की यादें उन्हें कचोटती हैं और अजय पंडित की हत्या ने इस दर्द को एक बार फिर से ताजा कर दिया है।
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