27 वर्ष पहले आज ही के दिन घर में ही काफिर करार दिए गए थे कश्मीरी पंडित
27 वर्ष पहले जनवरी 1990 को कश्मीर के मस्जिद से कश्मीरी पंडित को काफिर करार देकर उन्हें कहा गया, या तो मुसलमान बन जाएं, या तो चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें।
श्रीनगर। 20 जनवरी जब-जब यह तारीख आती है, कश्मीरी पंडितों के जख्म हरे हो जाते हैं। यही वह तारीख है जिसने जम्मू कश्मीर में बसे कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर कर दिया। इस तारीख ने उनके लिए जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे।
कश्मीरी पंडितों को बताया काफिर
20 जनवरी 1999 को कश्मीर की मस्जिदों से कश्मीरी पंडितों को काफिर करार दिया गया। मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के जरिए ऐलान किया गया, 'कश्मीरी पंडित या तो मुसलमान धर्म अपना लें, या चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें।' यह ऐलान इसलिए किया गया ताकि कश्मीरी पंडितों के घरों को पहचाना जा सके और उन्हें या तो इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर किया जाए या फिर उन्हें मार दिया जाए। बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों ने अपने घर छोड़ दिए। एक अनुमान के मुताबिक करीब 1,00,000 कश्मीरी पंडित अपने घरों को छोड़कर कश्मीर से चले गए।
डर की वजह से वापस लौटने से कतराते
आज भी कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं बदला है। कई बार कश्मीरी पंडितों से कहा गया कि वे अपने घर लौट आएं लेकिन उनके अंदर का डर उन्हें वापस लौटने से रोक देता है। कुछ आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2015 तक सिर्फ एक कश्मीरी पंडित परिवार घाटी में वापस लौटा। वर्ष 2016 में कहा गया कि करीब 1800 कश्मीरी पंडित युवा घाटी की ओर लौट आए हैं। इन युवाओं के पीछे वर्ष 2008 के उस पैकेज को वजह बताया गया जिसके तहत युवाओं को 1,168 करोड़ रुपए दिए गए।
वानी ने की थी अपील
कई कश्मीरी पंडितों का मानना है कि हालात आज भी नहीं बदले हैं। सरकार की ओर से भी कश्मीरी पंडितों को कई आतंकी संगठनों की ओर से खतरा बताया गया है। कई परिवार जम्मू में शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं और वह भी बदहाल स्थितियों में। हिजबुल मुजाहिदीन के मारे गए कमांडर बुरहान वानी की ओर से एक वीडियो जारी किया गया था। इस वीडियो में वानी ने उनसे घाटी में लौट आने की अपील भी की गई। वीडियो हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद जारी किया गया था। वीडियो में कहा गया, 'हम आपके खिलाफ नहीं हैं।'
आज न तो घर और न ही कश्मीर में जमीन
कश्मीरी पंडितों ने इस वीडियो को एक मजाक करार दिया था। वानी के इस वीडियो के बाद भी हिजबुल के कुछ वीडियो आए जिनमें कश्मीरी पंडितों से घर वापस आने को कहा गया। इन वीडियों से विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि कश्मीरी पंडितों को घाटी जरूर लौटकर आना चाहिए लेकिन उन्हें उस कॉलोनी का हिस्सा ने बनें जो सरकार उनके लिए बनाने की कोशिशें कर रही है। कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ने से पहले अपने घरों को कौड़ियों के दाम पर बेचा था। 27 वर्षों में कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई हैं। आज अगर वह वापस आना भी चाहें तो नहीं आ सकते क्योंकि न तो उनका घर है और न ही घाटी में उनकी जमीन बची है। इस मौके पर अभिनेता अनुपम खेर ने एक कविता भी यू-ट्यूब पर शेयर की है। आप भी देखिए अनुपम ने कैसे कश्मीरी पंडितों का दर्द बयां किया है।