ऑपरेशन ऑलआउटः तो जल्द आतंक मुक्त होगा कश्मीर, 31 वर्षों बाद Terrorist Free हुआ त्राल और डोडा जिला
नई दिल्ली। 5 अगस्त, 2019 वह तारीख है जब जम्मू और कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीना गया, जिसके बाद से ही कश्मीर से आतंकियों के पैर उखड़ने की शुरूआत हो गई। विशेष राज्य का दर्जा हटने ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्रशासित राज्यों के रूप पुनर्गठन किया, जिसके बाद दोनों केंद्रशासित राज्य जम्मू-कश्मीर की बागडोर सीधे केंद्र सरकार के हाथों में आई, जिससे कश्मीरी अलगाववादी ही नही कमजोर हुए,बल्कि परिणाम स्वरूप आंतकियों के घाटी में जमे हुए पैर भी उखड़ने शुरू हो गए।
केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने के बाद घाटी से आतंकवादियों के सफाए के लिए सेना और सुरक्षा बल को पूरी छूट दे दी और तब से पाकिस्तान पोषित आतंकियों के सफाए के लिए सेना ने ऑपरेशन आलआउट अभियान में जुटी हुई।
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यही वजह है कि अब कश्मीर से आतंकवाद की जमी कालिख छूटने लगी है। हाल में कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षाबलों के हाथों मुठभेड़ में 3 आतंकवादी और मार गिराए गए और वर्ष 1989 यानी 31 वर्ष बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब हिजबुल आंतकियों का गढ़ रहा त्राल अब आतंक मुक्त हो चुका है।
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गौरतलब है कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद से बारामूला का क्षेत्र पर हिजबुल मुजाहिदीन का दबदबा था, जहां उसके कई हजार कैडर थे। सुरक्षाबलों के हाथों मारे जा चुके बुरहान वानी और जाकिर मूसा समेत संगठन के कई शीर्ष कमांडर त्राल क्षेत्र से थे। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के सफाए का अभियान जोरों-शोरों से अभी भी जारी है, जिसकी तस्दीक बारामूला जिला और डोडा जिला करता है, जो अब आतंकवाद और आंतकी मुक्त घोषित हो चुका है।
एलओसी पर आतंकी लॉन्च पैड सक्रिय हैं लेकिन हम तैयार हैं, जून माह मारे गए 48 आंतकीः डीजीपी
कश्मीरी सुरक्षाबल ऑपरेशन ऑलआउट के तहत चुन-चुनकर आतंकियों का काम तमाम कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने जम्मू जोन के डोडा जिले और बारामूला जिले को आतंक मुक्त होने का ऐलान किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का प्रवेशद्वार कहा था। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को आतंकवाद पर प्रहार बताया गया था। इसकी तस्दीक महज चार महीनों के अंतराल में घाटी से आतंकियों की भर्ती में नाटकीय गिरावट से हो गई थी।
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अकेले जून महीने सुरक्षाबलों ने कुल 48 आतंकियों को मार गिराया
दक्षिणी कश्मीर में जून महीने में सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। बताया गया है कि जून के महीनों में हुई इन मुठभेड़ों में सेना और सुरक्षा बलों के जवानों द्वारा 48 आतंकियों का सफाया किया जा चुका है और यह क्रम अगले छह महीने तक चलेगा, जिसका उद्देश्य कश्मीर को आंतक मुक्त करना है।
2020 की पहली छमाही में मारे जा चुके हैं 128 से अधिक आतंकवादी
वर्ष 2020 की पहली छमाही के दौरान अब तक 128 आतंकवादी मारे गए हैं. इनमें से अकेले जून के महीने में 48 आतंकवादी मारे गए हैं. डीजीपी ने कहा, "इस वर्ष के दौरान मारे गए 128 आतंकवादियों में से 70 हिजबुल मुजाहिदीन के हैं, वहीं लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के 20-20 हैं, बाकी अन्य आतंकवादी संगठनों से हैं."
केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद 6 वर्षों में मारे गए 1149 आतंकी
SATP (South Asia Terrorism Portal) के आंकड़ों के अनुसार नरेन्द्र मोदी सरकार के आने के बाद जम्मू-कश्मीर में अब तक कुल 1149 आतंकवादी मारे गए हैं। आंकड़ों के अनुसार 2014 में 114 आतंकवादी मारे गए थे। वहीं, 2015 में 115, 2016 में 165, 2017 में 220, 2018 में 271, 2019 में 163 और इस साल अब तक सुरक्षा बलों ने 128 आतंकवादियों को मार गिराया है।
31 वर्षों में बाद आंतकवाद मुक्त हुआ त्राल सेक्टर
जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से 25 जून को त्राल सेक्टर में तीन आतंकवादियों के मारने के बाद दावा किया और दशकों के बाद इस क्षेत्र में हिज्बुल मुजाहिद्दीन की कोई उपस्थिति नहीं रही। एक समय में आतंकियों को ठिकाना रहा दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले का त्राल सेक्टर आतंकी कमांडर बुरहान वानी और जाकिर मूसा का आशियाना है, जिन्हें सुरक्षाबलों ने पहले ही मार गिराया था। हाल में सुरक्षाबलों ने त्राल के चेवा उल्लार इलाके में 3 आतंकी ढेर किए, जिसके बाद कश्मीर जोन के आईजी विजय कुमार ने बताया कि अब त्राल सेक्टर में हिज्बुल मुजाहिद्दीन का एक भी सक्रिय आतंकवादी नहीं बचा है, सारे आतंकी मारे जा चुके हैं।
कभी मूसा और बुरहान जैसे हिज्बुल कमांडरों का गढ़ था त्राल
90 के दशक से ही पुलवामा के जिस त्राल को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता था। श्रीनगर से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित त्राल में अब कोई आतंकी सक्रिय नहीं है। इस बात की पुष्टि खुद जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने एक मुठभेड़ के बाद की थी, जिसमें तीन आतंकी मार गिराए गए थे। पुलवामा के इस इलाके में हिज्बुल के पूर्व कमांडर बुरहान वानी, जाकिर मूसा और कई मोस्ट वांटेड आतंकियों के घर हैं, लेकिन पुलवामा के इस इलाके में बीते कुछ सालों में चलाए गए तमाम ऑपरेशंस में सेना ने कई टॉप कमांडरों को मार गिराया।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने किया ऐलान, आतंकी फ्री हुआ डोडा जिला
डीजीपी दिलबाग सिंह ने डोडा में आतंकियों के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का ऐलान करते हुए कहा, 'अनंतनाग के खुल चोहार इलाके में पुलिस और लोकल राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के साथ मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों को ढेर किया गया। इनमें से एक लश्कर का जिला कमांडर था। मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर मसूद को भी ढेर कर दिया गया है। इसके साथ ही जम्मू जोन का डोडा जिला आतंकियों से पूरी तरह मुक्त हो गया है।'
जनवरी, 2019 में आंतकवाद मुक्त घोषित किया गया था बारामूला जिला
जनवरी, 2019 में जम्मू और कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने ऐलान किया कि बारामूला कश्मीर का पहला ऐसा जिला है जो आतंकवादी मुक्त हो गया है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खात्मे में सरकार को बड़ी सफलता मिली है, जम्मू-कश्मीर का बारामूला जिला पूरी तरह से आतंकवादी मुक्त हो गया है। एक मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैय्यबा के 3 आतंकियों को ढेर करने के बाद जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने घोषणा की कि बारामूला आतंकवाद मुक्त जिला बन गया हैं, जहां अब कोई भी स्थानीय आतंकी नहीं बचा है। बारामूला कश्मीर का पहला जिला था, जिसको स्थानीय आतंकियों से मुक्त घोषित किया गया था।
हिज्बुल कमांडर मसूद ढेर, डोडा सेक्टर में आखिरी सक्रिय आतंकी था
पुलवामा जिले में आखिरी सक्रिय हिज्बुल कमांडर मसूद आतंकवादी के मारे जाने के बाद डोडा जिला पूरी तरह आतंकवाद मुक्त हो गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक मसूद दुष्कर्म के एक मामले में शामिल था और फरार था। बाद में उसे उसने हिज्बुल का दामन थाम लिया और कश्मीर को अपना एरिया ऑफ ऑपरेशन बनाया। मुठभेड़ स्थल से एक एके-47 राइफल और दो पिस्टल बरामद किए गए।
पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड जैश कमांडर गाजी रशीद मुठभेड़ में ढेर
पुलवामा आतंकी हमले के चार दिन के अंदर ही सेना के जवानों ने हमले के मास्टरमाइंड गाजी रशीद समेत दो आतंकियों को मार गिराया। गाजी रशीद घाटी में पाक समर्थिक आंतकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का कमांडर था और इसी ने पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले की साजिश रची थी। गाजी रशीद के साथ ही एक अन्य आतंकी भी मारा गया। हमले का मास्टरमाइंड गाजी रशीद लोगों की आड़ में घरों में छिपा हुआ था।
मुठभेड़ में मारा गया हिजबुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर समीर टाइगर
2018 के अप्रैल महीने में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली थी। हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर समीर टाइगर को पुलवामा में मार गिराया। सुरक्षा बलों ने टाइगर के अलावा आकिब खान नाम के एक और आतंकी को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। बुरहान वानी की तरह टाइगर को भी घाटी में हिजबुल के नए पोस्टरबॉय के रूप में देखा जा रहा था।
अनुच्छेद 370 के बाद अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर NIA की छापेमारी
जम्मू-कश्मीर से उसका विशेष राज्य का तगमा छीनने के बाद भारत सरकार ने आतंकवादियों को आश्रय और फंडिग देने वाले कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसना शुरू किया गया। इसी सिलसिले में नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने गत 26 फरवरी को कश्मीर घाटी में विभिन्न अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की। एनआईए के अधिकारियों ने करीब नौ स्थानों पर छापेमारी की। इनमें पाकिस्तान का समर्थन करने वाले अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नईम गिलानी का आवास भी शामिल था। इनके अलावा, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक, शब्बीर शाह, अशरफ सेहराई, मीरवाइज उमर फारुख और जफर भट के घरों पर भी छापे मारे गए थे। यह छापेमारी हवाला के जरिए अलगाववादियों को कथित रूप से पाकिस्तान से मिलने वाले धन को लेकर की गई है।
सरकार द्वारा वापस ली ले गई अलगाववादी नेताओं की दी गई सुरक्षा
पुलवामा हमले के बाद सख्त कदम उठाते हुए सरकार ने घाटी के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों को दी गई सुरक्षा वापस ले ली थी। इनमें एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा शामिल थे। इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में 100 से ज्यादा गाड़ियां लगी थीं। इसके अलावा 1000 पुलिसकर्मी इन नेताओं की सुरक्षा में लगे थे।
कश्मीर के भटके युवाओं को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जा रही है
घाटी में आतंकी समूहों से जुड़ने वाले स्थानीय नौजवानों को हथियार उठाने से रोकने के सभी मुमकिन प्रयास किए गए हैं। सुरक्षा बलों ने घाटी के स्थानीय युवाओं से समर्पण करवाया है और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है।सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और सुशासन से जम्मू कश्मीर और घाटी में स्थानीय लोगों और वहां के युवाओं में विश्वास बढ़ा है।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद युवाओं के आतंकी बनने में आई गिरावट
मोदी सरकार ने 5 अगस्त को संसद में बिल लाकर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। तब केंद्र सरकार ने इस फैसले को आतंकवाद पर प्रहार बताया था और आंकड़े सरकार के तर्क पर मुहर लगाते नजर आ रहे हैं। सेना के दावों के मुताबिक 05 अगस्त से अब तक लगभग चार महीने में महज 14 युवा ही आतंकी बने थे। पहले हर महीने 12 से 13 युवा आतंकी बनते थे। सेना के सूत्रों ने बताया कि पिछले चार महीनों में आतंकियों की भर्ती में नाटकीय रूप से गिरावट आई है। यह वर्ष 2018 तुलना में काफी कम था। पिछले साल 214 युवक आतंकी बने थे। नवंबर, 2019 तक 110 युवक आतंकी बने हैं।
अनुच्छेद 370 और 35ए भारत में आतंकवाद के प्रवेशद्वार थे: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का प्रवेशद्वार थे। शाह ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर का बाकी देश के साथ एकीकरण का सरदार वल्लभभाई पटेल का अधूरा सपना पांच अगस्त को पूरा हुआ जब अनुच्छेद 370 और 35ए रद्द किये गए।
कश्मीर को सिर्फ आतंक ही नहीं, बल्कि अलगाववाद से भी मिलेगी आजादी
सरकार ने घाटी को आतंकियों को समर्थन देने वाले अलगाववादियों से भी आजाद करने की तैयारी कर चुकी है। अनुच्छेद-370 खत्म करने के बाद सरकार ने जम्मू-कश्मीर के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास के अलावा सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का जो रोडमैप बनाया था, जिसमें सबसे पहले अलगाववादियों की प्रासंगिकता को ही खत्म किया गया। अलगाववाद से निपटने के साथ ही सरकार ने अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर घाटी के युवाओं में घर कर गए धार्मिक कट्टरवाद को माना है। इसका निवारण कर वहां के युवाओं को मुख्य धारा में वापस लाने के लिए भी आधारभूत योजना बनाई गई।
क्या कहता है पाक में हिज्बुल चीफ सलाहुद्दीन पर हुआ जानलेवा हमला!
जम्मू-कश्मीर में आतंक मचाने वाले हिज्बुल मुजाहिद्दीन के चीफ कमांडर सैयद सलाहुद्दीन की पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हत्या की कोशिश की गई। अपुष्ट रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते 25 मई को सलाहुद्दीन पर दिन के तकरीबन 12 बजे के आसापास हमला किया गया था, जिसमें आतंकी सरगना गंभीर रूप से घायल हो गया था। इसे लेकर जम्मू-कश्मीर में खलबली मच गई। कहा जा रहा है कि आतंकी संगठन और आईएसआई के बीत संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं, जिससे जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के बीच फूट पड़ गई है।
सलाहुद्दीन का सबसे ज्यादा विश्वस्त रियाज नायकू एनकाउंटर में ढेर
सुरक्षाबलों ने एक एनकाउंटर में जम्मू-कश्मीर में सलाहुद्दीन के सबसे ज्यादा विश्वस्त रियाज नायकू को मार गिराया था। नायकू की पाकिस्तान में शोकसभा का एक वीडियो सामने आया था। यह वीडियो 7 मई का बताया जा रहा है। इसमें सलाहुद्दीन अपने लड़ाकों को यह बताते हुए दिखाई दे रहा है कि भारतीय सुरक्षाबलों ने जनवरी से लेकर अब तक हिज्बुल के 80 आतंकियों को मार गिराया है।