अलगाववादी नेता गिलानी ने रखी कश्मीर की शांति लौटाने के लिए दो शर्तें
अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी से पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा की मुलाकात ने जगाई उम्मीदें।
श्रीनगर। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की कैबिनेट में विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता सैयद अली शाह गिलानी से मुलाकात की। सीपीआई नेता सीताराम येचुरी से मुलाकात के लिए इंकार करने वाली हुर्रियत ने जब सिन्हा से मुलाकात की तो घाटी में शांति की एक नई उम्मीद जगने लगी।
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100 दिन से ऊपर और तनाव बरकरार
आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से ही घाटी में कर्फ्यू और अशांति का माहौल है। 100 दिन से ऊपर हो चुके हैं और स्थिति सामान्य होती नजर नहीं आ रही है।
यशवंत सिन्हा की इस मुलाकात ने कई लोगों को एक नई रोशनी दिखा दी है। सिन्हा के साथ कुछ और लोग भी थे जिन्होंने गिलानी से मुलाकात की थी।
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क्या है गिलानी की शर्तें
सिन्हा के साथ बातचीत में गिलानी ने अपनी मांगों की एक लिस्ट उनके सामने रख दी है। इस लिस्ट में सबसे ऊपर है वर्ष 1947 में कश्मीर से किए गए वादे को पूरा करना।
इसके अलावा गिलानी ने 6,000 लोगों की रिहाई और 450 लोगों पर दर्ज पब्लिक सेफ्टी एक्ट को हटाने की मांग की है।
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क्या कहा यशवंत सिन्हा ने
यशवंत सिन्हा ने गिलानी के साथ हुई मुलाकात को अच्छा बताया है। उन्होंने कहा कि घाटी में माहौल को सामान्य करने की उनकी पहल व्यक्तिगत है।
वहीं कश्मीर के हालातों पर नजर रख रहे विश्लेषकों की मानें तो अभी यह साफ नहीं है कि सिन्हा की इस पहल से घाटी में माहौल सामान्य होगा या नहीं। लेकिन यह काफी अहम है कि तल्खी को कम करने की कोशिश की गई है।
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केंद्र सरकार को दी गई थी सलाह
कई लोग केंद्र सरकार को सलाह दे चुके थे कि सरकार को अलगाववादी नेताओं से बात करनी चाहिए। इससे पहले राजनाथ सिंह की अगुवाई वाले दल से भी अलगाववादी नेताओं ने मिलने से मना कर दिया था।