कश्मीर समाधान की ओर या नई समस्या की तरफ़
भारत प्रशासित कश्मीर में अहम नेताओं की नज़रबंदी, धारा 144, पर्यटकों और अमरनाथ तीर्थयात्रियों को तत्काल घाटी छोड़ने के आदेश देने के बाद क़यास लगाए जा रहे हैं आख़िर भारत सरकार यहां करने क्या जा रही है?
न तो जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ़ से कुछ कहा जा रहा है और न ही केंद्र सरकार ने कुछ कहा है कि आख़िर कश्मीर में क्या होने वाला है.
भारत प्रशासित कश्मीर में अहम नेताओं की नज़रबंदी, धारा 144, पर्यटकों और अमरनाथ तीर्थयात्रियों को तत्काल घाटी छोड़ने के आदेश देने के बाद क़यास लगाए जा रहे हैं आख़िर भारत सरकार यहां करने क्या जा रही है?
न तो जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ़ से कुछ कहा जा रहा है और न ही केंद्र सरकार ने कुछ कहा है कि आख़िर कश्मीर में क्या होने वाला है. सरकार के रुख़ पर कुछ लोगों का कहना है कि ख़ुफ़िया सूचना है कि घाटी में कोई बड़ा चरमपंथी हमले की आशंका है इसलिए ये क़दम उठाए जा रहे हैं.
कश्मीर से बाहर राजनीतिक हलको में क़यासों का बाज़ार गर्म है. ये भी कहा जा रहा है कि मोदी सरकार भारतीय संविधान में कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को ख़त्म कर सकती है.
भारत में ट्विटर पर हैशटैग #kashmirparfinalfight टॉप ट्रेंड में है.
बॉलीवुड अभिनेता और पीएम मोदी के समर्थक अनुपम खेर ने ट्वीट कर कहा, ''कश्मीर का समाधान शुरू हो गया है.''
अनुपम खेर के ट्वीट के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने कहा, ''पता है इसका आख़िरी समाधान क्या है? क्या ये लोग कश्मीर में जनसंहार चाहते हैं?
Kashmir Solution has begun.🇮🇳
— Anupam Kher (@AnupamPKher) 4 August 2019
स्वाति के ट्वीट के जवाब में अनुपम खेर ने कहा, ''स्वाति जी जनसंहार तो 1990 में हुआ था. कश्मीरी पंडितों का. जिसके बारे में आपकी सुविधाजनक यादें ख़त्म हो गई हैं. अब तो सुधार होने की संभावना है.''
इस पर स्वाति चतुर्वेदी ने जवाब दिया, ''मेरी याददाश्त ख़त्म नहीं हुई है. कश्मीरी पंडितों की भयावह यादें रिपोर्ट की गई थीं. लेकिन मिस्टर खेर क्या आप प्रतिशोध में जनसंहार चाहते हैं. कोई भारतीय ऐसा नहीं चाहता है.''
अनुपम खेर ने इसके जवाब में कहा, ''रिपोर्ट की गई थी? बहुत-बहुत मेहरबानी.''
वहीं कश्मीरी पंडितों को लेकर मुखरता से लिखते रहे वरिष्ठ पत्रकार राहुल पंडिता ने ट्विटर पर लिखा है, ''सोमवार को संसद में कांग्रेस के प्रति मेरी पूरी सहानुभूति रहेगी.''
दरअसल, कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी संसद में कश्मीर को मिला विशेष दर्जा 35 ए पर बात करती है तो कांग्रेस के लिए कोई रुख़ अपनाना आसान नहीं होगा.
Kaun kaun journalist is in Kashmir apart from @SankarshanT ?
— Rahul Pandita (@rahulpandita) 4 August 2019
भारत के पूर्व क्रिकेटर इरफ़ान पठान ने भी पूरे मामले पर ट्वीट करते हुए कहा है कि हर मामले में धर्म को डालना ठीक नहीं है.
इरफ़ान पठान ने ट्वीट कर कहा है, ''सच ये है कि अमरनाथ यात्रियों को ख़तरे के कारण यात्रा ख़त्म करने के लिए कहा गया है. इसलिए सुरक्षा से जुड़े फ़ैसले लिए गए हैं. अपनी गंदी सोच बदलो. हर बात में धर्म मत डालो. हर बात में सबूत मत मांगो.''
The fact that #AmarnathYatris have been asked to go back and stopped the #Yatra means it is under threat. That's why security measures are taken. Apni gandi soch Badlo. Har baat mein religion mat daalo. Har baat mein saboot mat maango.
— Irfan Pathan (@IrfanPathan) 4 August 2019
कश्मीर के अलगावादी नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने तीन अगस्त को कश्मीर में मोदी सरकार के रुख़ को लेकर ट्वीट में कहा था कि लोग बहादुरी के साथ रहें और घबराएं नहीं.
मीरवाइज़ ने अपने ट्वीट में कहा था, ''सरकार को बताना चाहिए कि आख़िर होने क्या जा रहा है.''
उनके ट्वीट के जवाब में पाकिस्तान के सूचना मंत्री चौधरी फ़वाद हुसैन ने कहा, ''पाकिस्तान के लोग कश्मीरियों के साथ खड़े हैं. भारत सच का सामना करे न कि लोगों को ख़तरे में डाले.''
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्वीट कर कहा है कि अमरीका अफ़ग़ानिस्तान से निकलने के लिए बेताब है. स्वामी ने कहा कि यह परेशान करने वाली बात है कि भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में सेना भेजकर ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है. स्वामी का मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान से अमरीका का हटना भारत के लिेए कश्मीर में भी मुश्किल स्थिति खड़ी होगी.
भारत के जाने-माने रक्षा विश्लेषक अजय शुक्ला ने ट्वीट कर कहा है, ''सैनिकों की तैनाती, नेताओं की गिरफ़्तारी, इटरनेट-फ़ोन सेवा ठप और कर्फ़्यू लागू. सवाल यह है कि अगला राजनीतिक क़दम क्या होगा? 35 ए, अनुच्छेद 370 को ख़त्म किया जाएगा? अमरनाथ यात्रा तक इंतज़ार क्यों नहीं किया गया?''
Stage set in Kashmir: troops built up, leaders arrested, internet cut, curfew impending...
The question: What political act is next to come? Scrapping 35A, 370? Trifurcation??
Why cudnt it wait till Amarnath Yatra done? Probably @narendramodi wants fait accompli by 15th August.
— Ajai Shukla (@ajaishukla) 5 August 2019
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी पूरे मामले पर ट्वीट किया है. चिदंबरम ने कहा, ''मैंने जम्मू-कश्मीर पर दुःसाहस को लेकर आगाह किया था. ऐसा लग रहा है कि सरकार ऐसा करने पर आतुर है. जम्मू-कश्मीर नेताओं की नज़रबंदी से साफ़ संकेत मिल रहे कि सरकार ने सभी लोकतांत्रिक अधिकारों और सिद्धांतों को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए ख़त्म कर दिया है. मैं नज़रबंदी की निंदा करता हूं.''