जम्मू-कश्मीर में सील किया गया कश्मीर टाइम्स का दफ्तर, संपादक ने सरकार पर लगाए आरोप
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार के संपदा विभाग ने सोमवार की शाम कश्मीर टाइम्स के श्रीनगर स्थित दफ्तर को सील कर दिया है। इसे यहां के सबसे पुराने और प्रसिद्ध अखबारों में से एक माना जाता है। अखबार के मालिक का कहना है कि इस कार्रवाई में कानून का पालन नहीं किया गया है। दफ्तर को सील करने से पहले ना तो कोई नोटिस दिया गया और ना ही इसकी कोई जानकारी दी गई। वहीं कई राजनेताओं ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह प्रेस की स्वतंत्रता छीनना चाहती है और उसे चुप कराना चाहती है।
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इससे पहले कश्मीर टाइम्स की संपादक और मालिक अनुराधा भसीन जमवाल को आवंटित घर भी खाली करा दिया गया था। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ये फ्लैट जम्मू-कश्मीर सरकार के संपदा विभाग ने किसी पूर्व विधायक के भाई को आवंटित कर दिया। भसीन ने ट्वीट कर कहा, 'आज संपदा विभाग ने हमारे ऑफिस को बंद कर दिया, बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए। बिल्कुल वैसे ही जैसे मुझे जम्मू के फ्लैट से निकाला गया था। जहां मेरा कीमती सामान सहित अन्य सामान उसे सौंप दिया गया, जो वहां नया आया है।'
उन्होंने ये भी कहा कि बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए उनके साथ ऐसा किया गया है। भसीन ने बीते साल 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद मीडिया पर लगाई पाबंदियों को गलत बताया था और वह इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थीं। उन्होंने कोर्ट में कहा था कि पत्रकारों और मीडिया कर्मियों का स्वतंत्र और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही संचार के साधनों की बहाली हो। उनकी याचिका के बाद ही जनवरी में अदालत ने जम्मू-कश्मीर में प्रशासन को हर हफ्ते संचार पर प्रतिबंधों की समीक्षा करने का निर्देश दिया था।
रिपोर्ट के अनुसार, दफ्तर बंद करने के लिए जो संपदा विभाग के अधिकारी आए, उन्होंने अंदर काम कर रहे कश्मीर टाइम्स के स्टाफ से बाहर निकलने को कहा। जब स्टाफ ने आदेश दिखाने को कहा तो संपदा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उनके पास कोई आदेश नहीं है और इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों से बात करें। संपदा विभाग के उप निदेशक मोहम्मद असलम का कहना है कि प्रेस एनक्लेव में अखबार के दो क्वार्टर थे, जिनमें से एक को विभाग द्वारा 'सौहार्दपूर्ण' तरीके से लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह क्वार्टर कश्मीर टाइम्स के संस्थापक और अनुराधा भसीन के पिता दिवंगत वेद भसीन को आवंटित किया गया था और उनकी मौत के बाद इसका आवंटन समाप्त और रद्द हो गया है।
Today, Estates Deptt locked our office without any due process of cancellation & eviction, same way as I was evicted from a flat in Jammu, where my belongings including valuables were handed over to "new allottee". Vendetta for speaking out! No due process followed. How peevish! pic.twitter.com/J5P0eKxvbx
— Anuradha Bhasin (@AnuradhaBhasin_) October 19, 2020
जम्मू-कश्मीर
और
लद्दाख
में
देश
सेवा
के
लिए
युवाओं
में
उत्साह,
30
हजार
ने
दी
BSF,
CISF
भर्ती
परीक्षा