कश्मीर की केसर को मिला जीआई का सर्टिफिकेट, एलजी मुर्मू ने बताया ऐतिहासिक
नई दिल्ली। कश्मीर में पैदा होने वाले केसर को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) से प्रमाण पत्र मिल गया है। केसर को कानूनी तौर पर विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के उत्पाद का नाम यानी जीआई टैग मिलने के बाद जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने कहा कि यह कश्मीर घाटी के लिए ऐतिहासिक बात है। इससे केसर को दुनियाभर में पहचान मिलेगी। मुर्मू ने कहा कि अगले महीने आर्ट स्पाइस पार्क के पूरा होने और उद्घाटन के बाद ये आइडिया कश्मीरी केसर के लिए गेम चेंजर साबित होगा। केंद्र सरकार ने कश्मीर में पैदा होने वाले केसर के जीआई पंजीकरण के लिये प्रमाण पत्र जारी कर दिया है।
आधिकारिक प्रवक्ता ने इसको लेकर कहा कि जीआई प्रमाण पत्र मिलने से कश्मीरी केसर में मिलावट के रास्ते बंद हो जाएंगे। इसके बाद अच्छी केसर के लिए अच्छे दाम मिल सकेंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि मूर्मु उपराज्यपाल का पद संभालने के बाद से ही कश्मीरी केसर को जीआई प्रमाण पत्र दिलाने में खुद दिलचस्पी ले रहे थे। जिसमें अब कामयाबी मिल गई है।
भारत में केसर की खेती कश्मीर में होती है। कश्मीरी केसर की दुनियाभर में शोहरत है। इसे दुनिया के सबसे उम्दा केसरों की श्रेणी में रखा जाता है। कश्मीरी केसर का रेशा ईरानी केसर के मुकाबले ज्यादा मोटा और सुगंधित होता है। इसीलिए यह दूसरे देशों के केसर के मुकाबले खासा महंगा बिकता है।
खाने में एक मसाले की श्रेणी में रखा जाने वाला केसर दुनिया में कम ही जगहों पर होता है और इसका एक खास पहचान है। इसकी खेती काफी मुश्किल है और ये काफी महंगा होता है। केसर सबसे ज्यादा पैदावार ईरान में होती है। ईरान के अलावा भी कई देशों में केसर की खेती होती है।