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कश्‍मीर की वजह से हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी में तनाव!

कश्‍मीर की वजह से बढ़ी लश्‍कर-ए-तैयबा के संस्‍थापक हाफिज सईद और कश्‍मीर में दहशत फैलान का जिम्‍मा संभालने वाले जकी-उर-रहमान लखवी के बीच दूरियां। सुरक्ष एजेंसियों ने इंटेलीजेंस के आधार पर दी जानकरी।

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नई दिल्‍ली। कश्‍मीर की वजह से लश्‍कर-ए-तैयबा के अंदर फूट की स्थिति पैदा हो गई है। सुरक्षा एजेंसियों को जो इंटेलीजेंस इनपुट्स मिले हैं, उस पर अगर यकीन करें तो लश्‍कर के फाउंडर हाफिज सईद और कश्‍मीर में दहशत फैलाने का जिम्‍मा संभालने वाले जकी-उर-रहमान लखवी के बीच सबकुछ ठीक नहीं है और दोनों के बीच तनाव है।

कश्‍मीर की वजह से हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी में तनाव!

अपने नाम पर आतंकी हमले नहीं चाहता लश्‍कर

एक इंग्लिश डेली की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक आतंकी संगठन कश्‍मीर के अलगाववादियों को मारने की साजिश रच रहा है ताकि घाटी में और ज्‍यादा विद्रोह फैला‍या जा सके। लश्‍कर ने यह फैसला भी किया है कि वह भारत में होने वाले हमलों को अपने नाम पर नहीं अंजाम देगा। संगठन की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी की गई है जिसे 'क्विट कश्‍मीर मूवमेंट' के नाम से जारी किया गया है और इस रिलीज के जरिए यह प्रभाव छोड़ने की कोशिश की गई है कि कश्‍मीर की लड़ाई में कई संगठनों का हाथ है। इंटेलीजेंस सूत्रों ने एक पुलिस ऑफिसर के हवाले से कहा है कि ओर से कहा गया है कि पुलिस इन इनपुट्स के आधार पर सभी जरूरी सावधानियां बरती जा रही हैं। सरकार की ओर से जो आंकड़ें पिछले दिनों संसद में पेश की है उसमें कहा गया है कि हाल के कुछ दिनों में घाटी में घुसपैठ की कई कोशिशें हुई हैं। वर्ष 2015 में घुसपैठ का आंकड़ा 121 था तो वर्ष 2016 में यह 371 हो गया। सिर्फ इतना ही नहीं अब ज्‍यादा से ज्‍यादा युवा चरमपंथ की ओर बढ़ रहे हैं। वर्ष 2013 में जहां सिर्फ 16 युवाओं ने आतंकी संगठन ज्‍चॉइन किए थे तो वहीं वर्ष 2015 में यह आंकड़ां 66 और 2016 में 88 था।

हो सकती है अलगाववादी नेता की हत्‍या

एजेंसियों के मुताबिक लश्‍कर का नेतृत्‍व अब नहीं चाहता है कि कश्‍मीर में हो रहे उपद्रव में उसके नाम का प्रयोग हो। वहीं लखवी के हाफिज सईद के साथ कुछ मुद्दों को लेकर तनाव है। सईद को अभी उसके घर में ही नजरबंद रखा गया है। कहा जा रहा है कि लखवी ने अपने सभी भरोसेमंद लोगों को पीओके में शिफ्ट कर दिया है। दोनों के बीच तनाव किस वजह से है इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। वहीं इनपुट्स में इस बात की जानकारी भी मिली है कि तहरीक-ए-मुजाहिद्दीन को फिर से तैयार किया गया है और जावेद मुंशी उर्फ बिलपापा जो कि सेंट्रल जेल में है, वह जमानत पर रिहा हो चुका है। बिलपापा मौलाना शौकत के मर्डर में जेल में बंद था और अब वह इस संगठन को फिर से तैयार करने में मददगार साबित हुआ है। यह ग्रुप आने वाले कुछ दिनों में किसी अलगाववादी नेता की हत्‍या कर घाटी का माहौल बिगाड़ सकता है। बिलपापा को थोड़े दिनों पहले संगठन की ओर से निकाल दिया गया था। वर्ष 2011 में मौलवी से नेता बने जावेद मुंशी की हत्‍या कर दी गई थी।

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English summary
Lashkar-e-Taiba is going through a conflict as there is rift between Founder Hafiz Saeed and head of Kashmir operations Zaki-ur-Rehman Lakhvi.
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