Karwa Chauth 2020: जानिए पूजा के बाद कैसे खोलें 'करवा चौथ' का व्रत?
नई दिल्ली। महिलाओं के बेहद खास त्योहार करवा चौथ आज मनाया जा रहा है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाए जाने वाले इस त्योहार में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। महिलाएं दिनभर उपवास में रहने के बाद शाम में चांद को अर्ध्य देकर पति के हाथों जल ग्रहण कर अपना व्रत खोलती हैं। शाम होने के साथ ही देशभर में महिलाओं ने पूजा शुरू कर दी हैं। इस दौरान महिलाएं सजी संवरी दिख रही हैं, चांद को अर्ध्य देने के बाद ही महिलाएं अपना वर्त खोलेंगी।
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जानिए कैसे खोलें अपना व्रत
- चांद देखने के बाद अपने पति के हाथों जल पीकर अपना व्रत खोलें।
- पूजा करने के बाद मां गौरी को अपने हाथों से बनाया हुआ बनाया प्रसाद ( पुड़ी-हलवा) अर्पण करें।
- उसके बाद वो ही प्रसाद खुद भी ग्रहण करें।
- पंडित को सीधा ( आटा, दाल, चावल, आलू, हल्दी, नमक) दें ।
- सुहागिनों को सुहाग का सामान भेंट करे।
क्या है कथा?
धार्मिक किताबों के मुताबिक शाकप्रस्थपुर वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था। नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था,परंतु उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी। उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया। परिणाम यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया। अधीर वीरवती दुखी हो गई, उसने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा- चौथ के दिन उसकी तपस्या से उसका पति पुनः प्राप्त हो गया, इसलिए इस दिन का बड़ा मान है।
क्यों दिया जाता है अर्ध्य?
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है। कार्तिक महीना हेमन्त ऋतु में पड़ता है और इस समय आकाश एक दम साफ रहता जिस कारण चन्द्रमा का अधिकतर प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है। चन्द्र मन का प्रतिनिधित्व करता है। स्त्रियों का मन अधिक चंचल होता है इसलिए मन को स्थिर और शक्तिशाली बनाने के लिए करवा चौथ के दिन चन्द्रमा को अर्ध्य देने की परंपरा है।
सोलह श्रृंगार
करवा चौथ का व्रत भले ही पारंपरिक पूजा हो लेकिन इस व्रत ने फैशन का रूप धारण कर लिया है। स्त्रियां इस दिन भूखी-प्यासी रहकर सोलह श्रृंगार करती है। ताकि उनके पति उनके रूप और तपस्या को छोड़कर कहीं ना जाए।
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