करतारपुर वार्ता लोगों की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा, पाकिस्तान से चर्चा की शुरुआत नहीं: विदेश मंत्रालय
नई दिल्ली: भारत ने शनिवार को कहा कि करतारपुर कॉरिडोर वार्ता भारत के सिख समुदाय की आस्था और भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है। ये दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत की बहाली नहीं है। इससे पहले भारत सरकार ने कहा था कि पाकिस्तान के साथ कॉरिडोर के निर्माण को लेकर अटारी-वाघा बॉर्डर पर 14 मार्च को चर्चा की जाएगी। यह मीटिंग भारतीय सीमा के हिस्से में होगी। गौरतलब है कि 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले और 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना की पाकिस्तान की सीमा में घुसकर की गई एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आए संबंधों में तनाव आ गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार से जब ये पूछा गया कि क्या दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव में द्विपक्षीय वार्ता करना सही है। उन्होंने कहा कि हर किसी को करतारपुर वार्ता की बातचीत का मकसद समझने की जरूरत है। इसे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत की औपचारिक शुरुआत नहीं कहा जा सकता है। कुमार ने आगे कहा कि यह सिख समुदाय की आस्था और भावनाओं से जुड़ा मामला है। बैठक का हमारा फैसला यह बताता है कि हम गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती पर कॉरिडोर के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हैं। सिख समुदाय की यह लंबे समय से मांग रही है कि पाकिस्तान में स्थित पवित्र करतारपुर साहिब गुरुद्वारे तक के लिए पहुंच को आसान किया जाए।
'खुशी है पाकिस्तानी आ रहे हैं'
पाकिस्तान ने बैठक को लेकर कुछ संदेह जताया था, लेकिन भारत ने कभी नहीं कहा कि बैठक आयोजित नहीं की जाएगी। हम खुश हैं कि पाकिस्तानी 14 तारीख को इस बैठक के लिए आ रहे हैं। भारत और पाकिस्तान ने सहमति जताई थी कि दोनों देश पाकिस्तान के करतारपुर से भारत के गुरदासपुर जिले स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे तक विशेष कारिडोर खोलेंगे। करतारपुर में ही गुरु नानक देव जी ने जीवन का अंतिम समय बिताया था। भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पिछले साल 26 नवंबर को गुरदासपुर जिले में करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखी थी। इसके दो दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लाहौर से 125 किलोमीटर दूर नरोवाल में कॉरिडोर की आधारशिला रखी थी।
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