करतारपुर साहिब एक एतिहासिक घटना, सिर्फ एक व्यक्ति को अहमियत न दी जाए- विदेश मंत्रालय
नई दिल्ली। गुरुवार को विदेश मंत्रालय की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में करतारपुर साहिब कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर कई अहम जानकारियां साझा दी गईं। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए सरकार ने अप्रत्यक्ष तौर पर यह भी साफ कर दिया है कि कांग्रेस के नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को पाकिस्तान जाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी। आपको बता दें कि सिद्धू ने विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर पाकिस्तान जाने की मंजूरी मांगी है।
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सिद्धू को सरकार ने किया किनारे
मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया गया। उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू से जुड़े सवाल पर सरकार का रुख साफ कर दिया। रवीश कुमार ने कहा, 'करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन एक एतिहासिक घटना है और ऐसे में किसी एक व्यक्ति को तरजीह देना महत्वपूर्ण नहीं है।' नौ नवंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होगा। इस कार्यक्रम के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को खासतौर पर इनवाइट किया गया है। सूत्रों की मानें तो सिद्धू जत्थे से अलग अटारी-वाघा सीमा चौकी के रास्ते पाकिस्तान में दाखिल होते और फिर यहां से वह करतारपुर जाना चाहते हैं। जो लोग नौ नवंबर को कॉरिडोर के रास्ते करतारपुर साहिब जा रहे हैं उन विशिष्ट अतिथियों को किसी भी तरह की राजनीतिक मंजूरी लेने की जरूरत नहीं हैं। सिद्धू ने दो बार विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर मंजूरी मांगी हैं। पहली चिट्ठी पिछले हफ्ते शनिवार को लिखी गई थी और इसके बाद दूसरी चिट्ठी बुधवार को लिखी गई है।
पासपोर्ट पर सरकार ने दिया बयान
विदेश मंत्रालय की ओर से पासपोर्ट को लेकर भी बयान दिया गया है। प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'सरकार इस बात को जानती है कि भारत और पाकिस्तान के बीच एक तरह का द्विपक्षीय दस्तावेज साइन हुआ है। इस दस्तावेज में साफ-साफ बताया गया है कि श्रद्धालुओं को कौन-कौन से डॉक्यूमेंट अपने साथ लेकर जाने होंगे।' रवीश कुमार के मुताबिक एमओयू में किसी भी तरह का संशोधन एक पक्ष की तरफ से नहीं हो सकता है और इसमें दोनों पक्षों की सहमति होना जरूरी है। विदेश मंत्रालय की तरफ से यह टिप्पणी उन खबरों को लेकर की गई जो पासपोर्ट से जुड़ी हुई हैं। पाकिस्तान मीडिया ने मेजर जनरल आसिफ गफूर के हवाले से बताया है कि जो भी श्रद्धालु करतारपुर साहिब आ रहे हैं उन्हें पासपोर्ट आधारित पहचान प्रक्रिया से ही गुजरना होगा। यानी श्रद्धालुओं को पासपोर्ट की जरूरत पड़ेगी। मेजर जनरल आसिफ गफूर पाकिस्तान मिलिट्री के आधिकारिक प्रवक्ता हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले दिनों ऐलान किया था कि श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं है।