करतारपुर कॉरिडोर: भारत पाकिस्तान के बॉर्डर की जगह पर होगी एक जीरो लाइन
अमृतसर। 24 अक्टूबर को भारत और पाकिस्तान करतारपुर कॉरिडोर पर एक समझौता साइन करेंगे। करतारपुर कॉरिडोर खुलने के बाद भारतीय तीर्थयात्रियों को उस गुरुद्वारे के दर्शन करने की मंजूरी मिल सकेगी जहां पर गुरुनानक देव ने अपनी जिंदगी के आखिरी पल बिताए थे। सूत्रों की मानें तो कॉरिडोर से जुड़ा एक अहम समझौता अपने आखिरी चरण में है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से ऐलान किया गया है कि नौ नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर को औपचारिक तौर पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।
24 अक्टूबर को साइन होगा एग्रीमेंट
जो लोग इस घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं उनकी ओर से बताया गया है कि इस एग्रीमेंट में बॉर्डर पर एक जीरो लाइन होगी। यह जीरो लाइन इस बात की तरफ इशारा है कि दोनों ही देश प्रोटोकॉल के तहत किसी भी तरह के कोई औपचारिक कार्यक्रम के लिए इच्छुक नहीं है। भारत की तरफ से प्रस्ताव दिया गया था कि इस समझौते को 23 अक्टूबर को साइन कर लिया जाए। लेकिन पाकिस्तान ने कुछ प्रशासनिक मुद्दों की वजह से इस बात को मानने से इनकार कर दिया। भारत की तरफ से गृह मंत्रालय के सचिव एससीएल दास कार्यक्रम में शामिल होंगे। पाकिस्तान की तरफ से विदेश विभाग में दक्षिण एशिया मामलों के डायरेक्टर मोहम्मद फैसल कार्यक्रम में रहेंगे। दोनों ही तरफ से कोई भी संयुक्त कार्यक्रम नहीं होगा और न ही दोनों देशों का कोई भी अधिकारी बॉर्डर पार करेगा।
पाकिस्तान ने तय की एंट्री फीस
पाकिस्तान करतारपुर साहिब में श्रद्धालुओं से एंट्री फीस के तौर पर 20 डॉलर यानी 1428 रुपए लेगा। सोमवार को भी विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि एंट्री फीस को कम किया जाना चाहिए। इसके जवाब में पाक ने कहा था कि यह फीस सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरी है। कहीं न कहीं पाकिस्तान ने कॉरिडोर को आर्थिक संकट से निबटने के विकल्प के तौर पर समझ लिया है। पाक ने सिख श्रद्धालुओं से एंट्री फीस और प्रसाद के नाम पर अच्छी खासी रकम लूटने की योजना बनाई है। गुरुनानक देव सिख धर्म के संस्थापक थे और उन्होंने लाहौर के तहत आने वाले गुरुद्वारा दरबार साहिब में आखिरी सांस ली थी। करतारपुर साहिब में आने वाले श्रद्धालु के लिए प्रसाद की कीमत भी पाकिस्तान की तरफ से तय कर दी है। हर श्रद्धालु को 100 ग्राम प्रसाद के लिए 151 रुपए अदा करने होंगे।