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#KarnatakaElections2018:सिद्धारमैया के 3 अस्त्र जो शाह-मोदी-BSY के आगे हुए फेल

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नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से भाजपा के चाणक्य कहने जाने वाले अमित शाह का करिश्मा देखने को मिला है। कर्नाटक में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। माना जा रहा था कि कर्नाटक में सिद्धारमैया एक बार फिर से पार्टी की विजय पताका फहराने में सफल साबित होंगे। लेकिन कांग्रेस और सिद्धरमैया की रणनीति को भाजपा ने धराशायी कर दिया है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, एक तरफ जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव प्रचार कर रहे थे तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के लिए ताबड़तोड़ रैलियां की।

सिद्धारमैया पर भारी शाह

सिद्धारमैया पर भारी शाह

कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस ने कई ऐसी रणनीति बनाई थी, जिसकी वजह से उसका पलड़ा भारी लग रहा था। खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस बात का दावा कर रहे थे कि वह उनकी पार्टी प्रदेश में एक बार फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी। लेकिन इन सब के बीच सिद्धारमैया की कुछ अहम रणनीतियां उनपर भारी पड़ी और भाजपा ने कांग्रेस की रणनीति का माकूल जवाब दिया। इसमें सबसे बड़ी रणनीति के तौर पर कांग्रेस ने चुनाव से पहले लिंगायत कार्ड खेला।

लिंगायत कार्ड

लिंगायत कार्ड

खुद कांग्रेस को इस बात का भरोसा था कि प्रदेश में लिंगायत कार्ड उसके लिए काफी कारगर साबित होगा। लिहाजा पार्टी ने चुनाव के ऐलान से पहले लिंगायत को हिंदू धर्म से अलग धर्म का दर्जा देने के साथ उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने का प्रस्ताव पास किया। हालांकि कांग्रेस को लिंगायत कार्ड का कुछ खास लाभ नहीं हुआ और अधिकतर लिंगायत बाहुल्य इलाकों में भाजपा को बढ़त मिली।

कन्नडा गौरव

कन्नडा गौरव

लिंगायत कार्ड के अलावा कांग्रेस ने कर्नाटक में कन्नड गौरव का झंडा बुलंद किया। इसका मुख्य मकसद था कन्नड़ भाषी लोगों को एकजुट करके उनका समर्थन हासिल करना। सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री से अपील की थी कि वह राज्य के अलग झंडे को मंजूरी दें। पीएम मोदी ने खुद को कन्नाडिगा बताया था, जिसके बाद सिद्धारमैया ने पीएम से की अपील की थी कि कन्नाडिगा का मतलब होता है खुद राज्य का अलग गीत, ध्वज हो, क्या वह ऐसा करके खुद को असल कन्नडिगा साबित करेंगे। लेकिन सिद्धारमैया का यह दांव भी इस चुनाव में उनके काम नहीं आया।

AHINGA कार्ड

AHINGA कार्ड

कर्नाटक में जातीय समीकरण को साधने के लिए कांग्रेस ने अहिंगा कार्ड खेला था, जिसके तहत अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों को एकजुट करने की सोशल इंजीनियरिंग पार्टी ने शुरू की थी। लेकिन जिन क्षेत्रों में कांग्रेस का दबदबा था वहां भी पार्टी को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा और पार्टी को काफी सीटों का इन जगहों पर नुकसान हुआ। यहां गौर करने वाली बात यह है कि पिछले 33 वर्षों में किसी भी पार्टी ने कर्नाटक में दोबारा सरकार बनाने में सफलता हासिल नहीं की है।

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English summary
KarnatakaElections2018: Top 3 strategy of Siddaramaiah which failed against Amit Shah. Once again Amit Shah proved his election strategy.
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