क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कर्नाटक: 76 पार येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन आडवाणी से मारेंगे बाज़ी?

कर्नाटक विधानसभा में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडीएस-कांग्रेस सरकार के पतन के साथ ही राज्य में पिछले कई दिनों से चला आ रहा राजनीतिक नाटक ख़त्म हो गया है. राजनीतिक पंडित इसे दक्षिण के इस राज्य में अमित शाह की बीजेपी के 'ऑपरेशन कमल' की कामयाबी के तौर पर देख रहे हैं. लेकिन इस कामयाबी में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का नाम पहली कतार में लिया जाएगा

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
TWITTER

कर्नाटक विधानसभा में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडीएस-कांग्रेस सरकार के पतन के साथ ही राज्य में पिछले कई दिनों से चला आ रहा राजनीतिक नाटक ख़त्म हो गया है.

राजनीतिक पंडित इसे दक्षिण के इस राज्य में अमित शाह की बीजेपी के 'ऑपरेशन कमल' की कामयाबी के तौर पर देख रहे हैं.

लेकिन इस कामयाबी के सूत्रधारों में जिन लोगों का नाम लिया जा सकता है. उनमें पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का नाम पहली कतार में लिया जाए.

कर्नाटक दक्षिण भारत का पहला राज्य है, जहां भारतीय जनता पार्टी का कमल खिला और इसका सेहरा भी काफ़ी हद तक येदियुरप्पा के सिर ही बांधा गया.

हालांकि कर्नाटक में भाजपा किसे मुख्यमंत्री बनाएगी इसकी औपचारिक घोषणा होनी अभी बाक़ी है लेकिन येदियुरप्पा के नाम पर संदेह करने वाले लोग कम ही होंगे.

येदियुरप्पा चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन इसके लिए 76 साल की उनकी उम्र भी आड़े नहीं आने वाली.

इस मामले में येदियुरप्पा ने पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भी पीछे छोड़ दिया है. वो काम जो आडवाणी भी ना कर सके, येदियुरप्पा करने वाले हैं.

जब आडवाणी ने 75 साल की दहलीज़ पार की तो मोदी और शाह की जोड़ी ने उन्हें मार्गदर्शक मंडल का रास्ता दिखा दिया. लेकिन 76 साल के होने के बावजूद येदियुरप्पा ने अपनी राह बना ली है.

येदियुरप्पा
Getty Images
येदियुरप्पा

पार्टी का क्षेत्रीय चेहरा

2013 में भारतीय जनता पार्टी को लगा था कि संगठन से बड़ा कोई नहीं है और बीएस येदियुरप्पा को हटाकर जगदीश शेट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया था.

येदियुरप्पा भारतीय जनता पार्टी का वो क्षेत्रीय चेहरा थे जिसकी वजह से पार्टी ने 2008 में दक्षिण भारत में अपनी पहली सरकार बनाई थी.

हालांकि यह सरकार जेडीएस के समर्थन से चल रही थी, लेकिन भाजपा के पास जहाँ 1985 में मात्र दो विधानसभा की सीटें थीं वो 2008 में बढ़कर 110 हो गईं.

उसी तरह मतों का प्रतिशत भी 3.88 से बढ़कर वर्ष 2008 में 33.86 हो गया.

ये सब कुछ भारतीय जनता पार्टी के चुनिंदा प्रयास से संभव हो पाया जिसमें सबसे ऊपर येदियुरप्पा का नाम रहा.

येदियुरप्पा
Getty Images
येदियुरप्पा

येदियुरप्पा की बग़ावत

लिंगायत समुदाय से आने वाले येदियुरप्पा की सबसे बड़ी ताक़त थी लिंगायतों का समर्थन.

लेकिन खनन घोटालों के आरोप में जब येदियुरप्पा घिरे, तो भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने का फ़ैसला किया.

नाराज़ येदियुरप्पा ने 'कर्नाटक जन पक्ष' नाम से एक अलग संगठन खड़ा कर लिया और 2013 में हुए विधानसभा के चुनावों में उन्होंने भाजपा के लिए ऐसा रोड़ा खड़ा कर दिया जिसका फ़ायदा कांग्रेस को मिला और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी.

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और येदियुरप्पा और उनके साथ संगठन से जुड़े हुए नेताओं के बीच कड़वी बयानबाज़ी भी हुई.

कई भारतीय जनता पार्टी के नेता जैसे, एस. ईश्वरप्पा और जगदीश शेट्टर खुलकर येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ मोर्चा संभाल रहे थे.

येदियुरप्पा की बग़ावत भारतीय जनता पार्टी को काफ़ी महंगी पड़ी.

हालांकि येदियुरप्पा की पार्टी को सिर्फ़ 6 सीटें मिली थीं, लेकिन उनकी वजह से दूसरी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था.

शाह ने कराई 'घर वापसी'

पिछले विधानसभा के चुनावों में येदियुरप्पा की कर्नाटक जन पक्ष पार्टी कहीं दूसरे तो कहीं तीसरे स्थान पर रही थी.

224 में 30 ऐसी सीटें थीं जहाँ कर्नाटक जन पक्ष और भारतीय जनता पार्टी के कुल वोट कांग्रेस के जीतने वाले उम्मीदवार से कहीं ज़्यादा थे. भारतीय जनता पार्टी 40 सीटों पर सिमट गई.

इसी बीच, वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने आम चुनाव में जीत हासिल की और अमित शाह ने अध्यक्ष का पद संभाला.

पुरानी टीम हटी और अमित शाह की पहल पर येदियुरप्पा की 'घर वापसी' हुई. उन्हें पहले संगठन की केंद्रीय कमेटी में रखा गया. बाद में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पदभार सौंप दिया गया.

इस फ़ैसले का विरोध भाजपा के वो नेता करने लगे जिन्होंने येदियुरप्पा की बग़ावत के ख़िलाफ़ मोर्चाबंदी की थी.

कर्नाटक में पार्टी के वरिष्ठ नेता एस. प्रकाश के अनुसार भाजपा और दूसरे दलों को कांग्रेस से ज़्यादा वोट मिले थे. लेकिन येदियुरप्पा के अलग होने की वजह से पार्टी को काफ़ी नुक़सान का सामना करना पड़ा.

येदियुरप्पा
Getty Images
येदियुरप्पा

बने भाजपा के हनुमान

प्रदेश में पार्टी के प्रवक्ता बामन आचार्य इतिहास के पन्नों को पलटकर नहीं देखना चाहते थे. उनका कहना था कि 'जो बीत गई सो बात गई' और येदियुरप्पा ही संगठन के लिए हनुमान साबित होंगे.

बामन आचार्य का दावा था कि पूरे दक्षिण भारत में बीएस येदियुरप्पा ही भारतीय जनता पार्टी के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर संगठन को खड़ा किया था.

विधानसभा के चुनावों की घोषणा के साथ ही येदियुरप्पा ने पूरे प्रदेश में प्रचार की कमान संभाल ली थी.

टिकटों के आवंटन को लेकर पार्टी के भीतर कुछ विरोध के स्वर भी उभरे, लेकिन येदियुरप्पा को पार्टी आलाकमान का पूरा समर्थन हासिल था.

येदियुरप्पा
Getty Images
येदियुरप्पा

डिग्री विवाद

2013 के चुनावी हलफ़नामे के मुताबिक़ येदियुरप्पा बीए (बैचलर ऑफ़ आर्ट्स) पास हैं. तब येदियुरप्पा ने कर्नाटक जनता पक्ष के टिकट से शिकारीपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था.

लेकिन आगे होने वाले चुनाव में वो 12वीं पास नज़र आते हैं. इसकी जानकारी ख़ुद उन्होंने अपने 2014 और 2018 के चुनावी हलफ़नामे में दिया है.

2013 के हलफ़नामे में येदियुरप्पा ने बताया है कि वो बैंगलोर यूनिवर्सिटी से बीए पास हैं.

लेकिन जब वो 2014 में शिमोगा लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव भाजपा के टिकट से लड़े तो उन्होंने अपने चुनावी हलफ़नामे में बताया कि मंडया के गवर्मेंट कॉलेज से प्री यूनिवर्सिटी कोर्स किया है.

प्री यूनिवर्सिटी कोर्स को 12वीं क्लास के समकक्ष माना जाता है. प्री यूनिवर्सिटी कोर्स के बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हैं. वहीं इन्होंने इस बार यानी 2018 में भी यही जानकारी दी है.

येदियुरप्पा
Getty Images
येदियुरप्पा

लिंगायतों की ताक़त

वरिष्ठ पत्रकार विजय ग्रोवर का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी ने बीएस येदियुरप्पा को सिर्फ़ मुखौटे के रूप में इस्तेमाल किया.

उनका कहना था कि 'भारतीय जनता पार्टी में येदियुरप्पा जैसा नेता कर्नाटक में नहीं है, इसलिए उनके चेहरे को आगे कर पार्टी चुनाव लड़ी थी.'

लिंगायत समुदाय के वोट के दम भर येदियुरप्पा कर्नाटक की राजनीति में इतने मज़बूत होकर उभरे थे, कांग्रेस ने उसमें भी विभाजन करने की कोशिश की थी.

इस क़दम से लिंगायतों में वीरशैव पंथ के अनुयायियों को काफ़ी झटका लगा. येदियुरप्पा वीरशैव पंथ से आते हैं जबकि उस पंथ को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफ़ारिश की गई.

अल्पसंख्यक का दर्जा जगतगुरु बसवन्ना के वचनों पर चलने वाले लिंगायतों को दिए जाने की सिफ़ारिश की गई.

विश्लेषकों को लगता था कि कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले ये तुरुप की चाल चली थी जिसने येदियुरप्पा और भारतीय जनता पार्टी के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी.

लेकिन येदियुरप्पा ने ये साबित कर दिया कि उनकी 76 पार की उम्र मार्गदर्शक मंडल में जाने की नहीं हुई है और नरेंद्र मोदी ने राज्य की ज़मीनी हक़ीक़त को समझते हुए उन पर जो भरोसा जताया और उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया, वो अकारण नहीं था.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Karnataka: Will Yeddyurappa step ahead to Advani at the age of 76 being a Chief Minister?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X