Karnataka:क्या है ब्राह्मण वधुओं के लिए लॉन्च की गई 'अरुंधति'-'मैत्रेयी' योजना, कांग्रेस ने कहा महिला-विरोधी
नई दिल्ली- कर्नाटक में गरीब ब्राह्मण महिलाओं के लिए दो योजनाएं लॉन्च की गई हैं, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की ब्राह्मण महिलाओं को आर्थिक लाभ दिया जाएगा। इन योजनाओं का नाम प्राचीन और विदुषी ब्राह्मण महिलाओं के नाम पर 'अरुंधति' और 'मैत्रेयी' रखा गया है। यह लाभ गरीब ब्राह्मण वधुओं को दिया जाएगा। यह योजना कर्नाटक स्टेट ब्राह्मण डेवलपमेंट बोर्ड (Karnataka State Brahmin Development Board) ने शुरू की है। हालांकि, कांग्रेस ने इन योजनाओं को ब्राह्मण महिलाओं को पीछे ले जाने वाला और महिला-विरोधी करार दिया है।
'अरुंधति' और 'मैत्रेयी' योजना क्या है?
कर्नाटक स्टेट ब्राह्मण डेवलपमेंट बोर्ड (Karnataka State Brahmin Development Board) ने ब्राह्मण समाज की गरीब महिलाओं के लिए इन दोनों योजनाओं की शुरुआत की है। 'अरुंधति' और 'मैत्रेयी' योजनाओं का मकसद गरीब ब्राह्मण दुल्हनों को आर्थिक लाभ पहुंचाना है। बोर्ड की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पहली योजना यानि 'अरुंधति' के तहत ब्राह्मण वधुओं को 25,000 रुपये दिए जाएंगे। जबकि, दूसरी योजना या 'मैत्रेयी' के तहत राज्य में पुजारियों से शादी करने वाली ब्राह्मण महिलाओं को 3 लाख रुपये की निश्चित गारंटी बॉन्ड के जरिए उपलब्ध करवाई जाएगी। फिलहाल अरुंधति योजना के लिए शादी करने लायक करीब 500 ब्राह्मण कन्याओं की पहचान की गई है, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की श्रेणी में आती हैं। जबकि, 25 गरीब ब्राह्मण महिलाएं 'मैत्रेयी' योजना के लिए चुनी गई हैं।
योजना का लाभ उठाने की शर्तें
कर्नाटक स्टेट ब्राह्मण डेवलपमेंट बोर्ड ने इन योजनाओं के लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं और जो विवाह योग्य ब्राह्मण कन्याएं इसे पूरा करेंगी, सिर्फ उन्हें ही इनका लाभ मिल पाएगा। मसलन, इंडिया टुडे टीवी को बोर्ड के चेयरमैन एचएस सच्चिदानंद मूर्ति ने बताया है कि 'यह दूल्हा और दुल्हन की पहली शादी होनी चाहिए और यह रजिस्टर्ड शादी होनी चाहिए। दंपति को कम से कम 5 साल तक शादी के बंधन में बंधकर रहना होगा।' मूर्ति के मुताबिक, 'इन योजनाओं का लाभ कौन लोग उठा सकेंगे इसको लेकर हमने कुछ पाबंदियां लगाई हैं। परिवार को आर्थिक रूप से कमजोर तब के वाला सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इसके अलावा उन्हें इस (ब्राह्मण) समुदाय से तो होना ही चाहिए।'
कांग्रेस ने बताया महिला-विरोधी
न्यूज मिनट की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) ने इन योजनाओं को पीछे ले जाने वाली योजना करार दिया है। कांग्रेस की युवा इकाई के नेशनल कैंपेन हेड वाईबी श्रीवास्तव ने कहा है, 'शादी निजी पसंद का मामला है और कुछ तरह के विवाह को दूसरों के मुकाबले प्रोत्साहित करने वाला कदम पीछे ले जाने वाला और महिला-विरोधी है।' उन्होंने सवाल किया है कि सिर्फ शादी ही वह विषय क्यों है, जिसके बारे में ब्राह्मण विकास बोर्ड ने सोचा है। उन्होंने पूछा है, 'वो ब्राह्मण महिला उद्यमियों को लोन क्यों नहीं दे सकते? गरीब ब्राह्मण लड़कियों की शिक्षा के लिए फंड क्यों नहीं दिया जा सकता?' उन्होंने यहां तक कह दिया कि बोर्ड खुद ही अपना मजाक बना रहा है।
कर्नाटक में सिर्फ 3 फीसदी ब्राह्मण
उधर कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता और कर्नाटक विधान परिषद के पूर्व सभापति बीएल शंकर ने कहा है कि गरीब वर्ग की मदद करने वाली हर योजना का स्वागत है, लेकिन इसे असल में जरूरतमंदों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि, 'इससे उन्हें आर्थिक तौर पर व्यवस्थित होने में मदद मिलनी चाहिए। योजनाएं और कार्यक्रम इस तरह की होनी चाहिए कि उससे उनकी आमदनी बढ़े, ना सिर्फ उन्हें कुछ रकम मिल जाए।' गौरतलब है कि 2018 की जातीय जनगणना के मुताबिक कर्नाटक में ब्राह्मणों की आबादी सिर्फ 3% के करीब है। इसी कड़ी में बोर्ड 'संध्या वंदना' और 'पूजा' की विधियों में पारंगत बनाने के लिए करीब 4,000 प्रतिभागियों को 500 रुपये की सहायता भी देगा। साथ ही साथ 5,800 ब्राह्मण छात्रों को स्कॉलरशिप भी मुहैया करवाएगा।(तस्वीरें- सांकेतिक)