कर्नाटक: वेदवती नदी के कायाकल्प ने रचा इतिहास
कावेरी जल विवाद में उलझे कर्नाटक के ज्यादातर हिस्से आज सूखे की मार झेल रहे है राज्य की वेदवती नदी लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी है।
नई दिल्ली। कावेरी जल विवाद में उलझे कर्नाटक के ज्यादातर हिस्से आज सूखे की मार झेल रहे है राज्य की वेदवती नदी लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। कर्नाटक के तीन जिलों में आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से वैज्ञानिक और केन्द्रीत प्रयासों से नदियों को पुनर्जीवित करने का महती प्रयास हुआ हौ और इसका सीधा परिणाम जमीन में पानी के बढ़े जलस्तर में देखा जा सकता है।
श्री श्री रविशंकर बुधवार को आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा किए जा रहे कार्यों को देखने के लिए चिकमंगलूर पहुंचे। वे वहां पर उन किसानों से मले जिन्हें इससे फायदा मिल रहा है। श्री श्री ने परियोजना को चला रहे समन्यवकों, स्वयंसेवकों को बधाई दी जिन्होंने 6,786 संरचनाओं को समुदा के साथ मिलकर पुनर्जीवित किया है।
चिकमंगलूर जिले के बेरनहल्ली गांव के किसान थामे गौडा कहते हैं कि उनके बोरवेल में पानी नहीं था और आर्ट ऑफ लिविंग के द्वारा बनाई गई संरचनाओं से जमीनी पानी का स्तर 450 फीट से 30 फीट पर आ गया है। आज मैं नई फसलें उगा पा रहा हूं और 30-40 हजार की जगह पर 1.5 से 2.5 लाख तक कमा पा रहा हूं।
किसानों, स्थानीय अधिकारियों तथा मीडिया के साथ बात करते हुए श्री श्री ने इस बात पर जोर दिया कि हमें नीम, बड़, कदम्ब, पीपल ज्यादा लगाना चाहिए जो बरसात को आकर्षित करते हैं। युकेलिप्टस जैसे पेड़ पानी ज्यादा सोखते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वे झीलों को अस्वीकार नहीं करते हैं लेकिन छोटे-छोटे पानी के निकायों को संरक्षित करने की आवश्यकता है।
चित्रदुर्ग, चिकमंगलूर और हसन में संरचानाओं के पुनर्जीवित करने के साथ वनीकरण की संयुक्त कार्यशैली तथा कई तरह के स्वयंसेवकों जिनमें हाईड्रोलॉजिस्ट, रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञ ने मिलकर क्षेत्र की छवि को बदल दिया है।
चिकमंगलूर जिला परिषद की अध्यक्ष श्रीमती बी. चित्रांशी कहती हैं, 'मैं गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के इस कदम की आभारी हूं कि इससे किसानों को बहुत फायदा मिल रहा है। पुनर्जीवन की इन गतिविधियों ने जमीनी जल स्तर को उंचा उठा दिया है।' काडूर तालूका के प्रमुख श्री रिवाना कहते हैं, 'यह एक अद्भूत परियोजना है, क्योंकि पिछले 3 सालों से हमारे यहां पानी कम गिर रहा है और हम यदि यह सब नहीं करते तो हमारा भविष्य संकंट में पड़ता दिख रहा था।'
आर्ट ऑफ लिविंग की इस नगी कायाकल्प अभियान के निदेशक डॉ. लिंगरादु याले बताते हैं कि, 'यहां पर किया गया कायाकल्प पूर्णत: वैज्ञानिक है। हमने नदी के बहाव को धीमा किया और पानी को जमीन में रिसने के लिअ पर्याप्त समय दिया और परिणाम आपके सामने है। बोरवेल, कुएं सभी का जलस्तर बढ़ा है।'
चिकमंगलूर में मीडिया के साथ बात करते हुए श्री श्री ने कहा कि इस तकनीक को सभी के साथ साझा किया जाना चाहिए। वे आगे कहते हैं कि कावेरी के विवाद को हल करने के लिए हमने अन्य नदियों का कायाकल्प करने का निर्णय लिया औऱ इसी के तहत हमने तमिलनाडू में यह कार्य हाथ में लिया है। वर्ष 2015 में आर्ट ऑफ लिविंग ने नांगेधी नदी के कायाकल्प का बीड़ा उठाया जा चुका है।
श्री श्री ने परियोजना के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इससे आशा है कि करीब 15 लाख लोगों को सीधे फायदा मिलेगा। इस दौरे के दौरान उन्होंने 'वाटर वारियर्स मार्च' में भी शिरकत की। इस मार्च में एमएलए, किसान और स्वंयसेवकों ने भाग लिया। मार्च के अंत में सभी ने पानी बचाने और प्रदूषित नहीं करने, पेड़ लगाने और पानी के संरक्षण करने की शपथ ली।
बता दें कि आर्ट ऑफ लिविंग अभी तक 30 नदियों के कायाकल्प पर कार्य कर चुका है। श्री श्री ने कुमुदवती नदी पर चल रहे कार्यों की भी जानकारी ली।