सिद्धारमैया का दांव बेअसर, 61 प्रतिशत लिंगायत बीजेपी के साथ, सर्वे में हुआ खुलासा
कर्नाटक चुनाव में लिंगायत समुदाय बीजेपी के साथ है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस के साथ 18 % लिंगायत हैं तो बीजेपी के साथ 61% और जेडीएस+ के साथ 11% प्रतिशत हैं।
नई दिल्ली। लोकनीति-सीएसडीएस और एबीपी न्यूज के सर्वे में बड़ी बात सामने आई है। कर्नाटक में कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें मिलेंगी लेकिन वो अभी भी बहुमत से दूर है। सर्वे में कांग्रेस को 97 सीटें मिलने का अनुमान है। कर्नाटक की जनता मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के कामकाज से खुश है। हालांकि सर्वे में ये भी बात सामने आई कि प्रदेश में लिंगायत समुदाय बीजेपी के साथ है। 43 फीसदी जनता ने सिद्धारमैया के कामकाज का अच्छा बताया है। सर्वे में 44% लोगों ने बीजेपी को भ्रष्ट पार्टी बताया है तो वहीं 41 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस को भ्रष्ट बताया है।
61 प्रतिशत लिंगायत बीजेपी के साथ
कर्नाटक चुनाव में लिंगायत समुदाय बीजेपी के साथ है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस के साथ 18 % लिंगायत हैं तो बीजेपी के साथ 61% और जेडीएस+ के साथ 11% प्रतिशत हैं। अगर सर्वे पर भरासो करें तो सिद्दारमैया ने जो लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने का जो पासा फेका है वो फेल साबित हो रहा है। बता दें कि कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जा दे दिया था। हालांकि इस सिफारिश को केंद्र सरकार ने मंजूरी नहीं दी है। आपको बता दें कि कर्नाटक में लिंगायत बीजपी का मज़बूत वोट बैंक है।
छोटे शहर के वोटर किसके साथ ?
कर्नाटक के छोटे शहरों की बात करें तो 38 प्रतिशत वोटर ने कहा कि वह बीजेपी के साथ है। वहीं 36 प्रतिशत वोटर ने कांग्रेस के हाथ पर बटन दबाने की बात कही। वहीं 20 प्रतिशत लोगों ने देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस को वोट देने की बात कही है।
224 विधानसभा सीटों पर बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत है
कर्नाटक में इस समय कांग्रेस की सरकार है और सिद्धारमैया प्रदेश के सीएम हैं। 224 विधानसभा सीटों पर बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत है। 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 122 सीटों पर जीत हासिल करते हुए बहुमत हासिल किया था। कांग्रेस ने जहां एक बार फिर से सिद्धारमैया को सीएम के चेहरे के तौर पर पेश किया है तो वहीं भाजपा बीएस येदुरप्पा को चेहरा बनाकर चुनाव लड़ रही है। प्रदेश में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में माना जा रहा है लेकिन जनता दल (सेक्युलर) और बसपा गठबंधन प्रदेश में बड़ी ताकत बन सकते हैं और ये गठबंधन मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है।
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