प्रवासी मजूदरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कर्नाटक सरकार ने 9 राज्यों को लिखा पत्र
बेंगलुरू। कर्नाटक सरकार ने झारखंड, ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान समेत कुल 9 राज्य सरकारों को पत्र लिखकर कर्नाटक में फंसे प्रवासी मजदूरों के परिवहन के लिए अपने राज्यों में 8 से 15 मई तक ट्रेनों के संचालन के लिए उनकी सहमति मांगी है। हालांकि इससे पहले कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु से प्रवासी मज़दूरों को लेकर जाने वालीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनें रद्द कर दी थी।
Govt of Karnataka has written to Jharkhand, Odisha, Bihar, Madhya Pradesh, Uttar Pradesh, Manipur, Tripura, West Bengal and Rajasthan Governments seeking their consent to operate trains to their states from 8 to 15 May for transportation of people stranded in Karnataka. #COVID19 pic.twitter.com/9IugwcFdZH
— ANI (@ANI) May 7, 2020
सरकार का कहना था कि प्रवासी मज़दूर राज्य के अर्थव्यवस्था के रीढ़ की हड्डी हैं। हम उन्हें ऐसे नहीं जाने दे सकते है। चूंकि कर्नाटक के कई इलाकों में उद्दोग और काम करने की छूट दी गई है, लेकिन सरकार के इस निर्णय की कई मज़दूर संगठनों ने आलोचना की और कहा कि यह मज़दूरों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश है और उन्हें बंधुआ मज़दूर और गुलाम बनाने की कोशिश है।
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दरअसल, गत मंगलवार को बड़े बिल्डरों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने फैसला लिया था कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें नहीं भेजी जाएंगी। हालांकि सरकार के इस फैसले के ख़िलाफ़ बुधवार को ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) ने बुधवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और कर्नाटक में फंसे प्रवासी मज़दूरों के लिए तत्काल राहत की मांग की।
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मज़दूर संगठन ऐक्टू ने 6 मई को हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई
मज़दूर संगठन ऐक्टू ने इस मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए 6 मई को हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है, जिसमे उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह रुख भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (डी) और अनुच्छेद 14 के तहत मिले मज़दूरों के मौलिक अधिकारों का हनन है। हालांकि इससे पहले ही कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने प्रवासी मजदूरों को उनके घरों में पहुंचाने का फैसला करते हुए मजदूरों के गृह राज्यों को पत्र लिखकर ट्रेनों के आगमन को लेकर सहमति मांगी है।
कर्नाटक में फंसे प्रवासी मज़दूरों की घर लौटने की इच्छा है
कर्नाटक में फंसे प्रवासी मज़दूरों की घर लौटने की इच्छा है। बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र में करीब 50 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके 5 हज़ार प्रवासी मज़दूर इस उम्मीद वहां पहुंचे थे कि यहां से इन्हे अपने घर पहुंचा दिया जाएगा, लेकिन कर्नाटक सरकार के फैसले के बाद उनकी उम्मीद नाउम्मीद में बदल गई थी। पता चला है कि पूरे राज्य में लगभग दो लाख से अधिक मज़दूर अपने घर जाना चाहते हैं।
कर्नाटक से अब तक 9583 प्रवासी मजदूर भेजे जा चुके हैं
एसडब्ल्यूआर ने राज्य सरकार के साथ मिलकर रविवार से आठ ट्रेनों का संचालन किया था और 9,583 श्रमिकों के जाने की व्यवस्था की गई थी। एसडब्ल्यूआर ने इन वर्कर्स को दानापुर (तीन ट्रेनों), भुवनेश्वर, हटिया, लखनऊ, बरकाकाना और जयपुर भेजा। दूसरे राज्यों के कई लाख प्रवासी कामगार अभी भी यहां फंसे हुए हैं और अपने घर वापस जाने का इंतज़ार कर रहे हैं।