येदियुरप्पा सरकार ने लिया बड़ा फैसला, कर्नाटक के लोगों को सरकारी और निजी नौकरियों में मिलेगा 75 फीसदी आरक्षण
बेंगलुरू। कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार स्थानीय लोगों को सरकारी और निजी नौकरी में 75 फीसदी आरक्षण देने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार एक मसौदा तैयार कर रही है। बीते साल जुलाई माह में आंध्रप्रदेश सरकार इस तरह का बिल ला चुकी है। ये आरक्षण राज्य में स्थित फैक्ट्रियों, दुकानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, एमएसएमई और संयुक्त उद्यम में स्थानीय लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से दिया जाएगा।
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श्रम मंत्री ने क्या कहा?
एक टीवी चैनल से बातचीत में यहां के श्रम मंत्री एस सुरेश कुमार ने कहा कि ये कानून किसी के साथ भेदभाव करने के लिए नहीं बल्कि स्थानीय लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए लाया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'यहां के कन्नड़ लोगों को लगता है कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है, क्योंकि उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है। बाहर से दूसरे लोग आ रहे हैं और उनके अवसर कम हो रहे हैं। ये एक गंभीर मुद्दा है। तो हम जल्द ही कानूनी विशेषज्ञों और सभी सेक्टर्स से परामर्श कर इस बिल को फाइनल करेंगे।'
कौन माना जाएगा कन्नड़
इस मामले में विभाग ने अधिसूचना जारी कर बताया है कि कौन कन्नडिगा माना जाएगा। श्रम मंत्री ने आगे कहा, 'जो 15 साल से कर्नाटक में रह रहे हैं और कन्नड़ को लिखना और बोलना जानते हैं उन्हें ही कन्नडिगा माना जाएगा। जो यहां नौकरी चाहता है, उसे कन्नड़ को तो जानना पड़ेगा।' इस कानून को लाए जाने के पीछे का एक कारण अधिकारियों ने ये भी बताया है कि इससे कार्यस्थलों पर भाषा अवरोधों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा।
अभी बिल के विवरण पर काम चल रहा है
जानकारी के मुताबिक इस बिल को राज्य विधानसभा के आगामी बजट सत्र में लाया जाएगा या नहीं, इस बात की पुष्टि अभी नहीं हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी बिल के विवरण पर ही काम चल रहा है। श्रम मंत्री ने ये भी कहा, 'हम ये उम्मीद सभी से करते हैं, उनसे भी जो इसका विरोध कर सकते हैं, कि ये कानून लोगों की जरूरत है। हम इसे सभी की सहमति से लागू करना चाहते हैं इसलिए हम सभी हितधारकों, उद्योग और उद्योग प्रमुखों से बात कर रहे हैं।'
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