सिद्धारमैया ने अपने विधायकों को क्यों कहा बस अंदर गुस्सा मत करना? बीजेपी को सता रहा ये डर
बेंगलुरु। कर्नाटक में सियासी तूफान पूरे उफान पर है। 2019 से पहले अपना आखिरी किला बचाने के लिए कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है तो दूसरी ओर कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद सत्ता गंवाना बीजेपी को मंजूर नहीं है। 221 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी के पास 104 सीटें हैं। कांग्रेस के पास 78 तो जेडी-एस के पास 37 और दो अन्य। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी का फोकस नंबर गेम पर तो है ही, लेकिन कई और बातें ऐसी हैं, जिनकी वजह से खेल बिगड़ सकता है। जानिए उन बातों को
- कर्नाटक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले रविवार शाम को बीजेपी ने अपने विधायकों को इस बात की ट्रेनिंग दी कि आखिर वोट कैसे डाला जाता है।
- रविवार को बीजेपी के सीनियर नेता प्रकाश जावड़ेकर, बीएस येदुरप्पा और जेपी नड्डा ने बेंगलुरु के होटल में विधायकों को ट्रेनिंग दी कि वोट कैसे डाला जाता है।
- कर्नाटक चुनाव 2018 में चुनकर आए बीजेपी के 104 विधायकों में से करीब 22 पहली बार चुनकर आए हैं। इन नए विधायकों को नहीं पता कि वोट कैसे डाला जाता है। ऐसे में अगर एक विधायक ने भी गलती की तो बीजेपी का पूरा खेल खराब हो सकता है।
इसे भी पढ़ें- यही है वो आखिरी रास्ता, जिससे बच सकती येदुरप्पा की कुर्सी, वरना देना पड़ेगा इस्तीफा
- हेमंत पटेल के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी हार गई थी, क्योंकि उसके एक नेता ने गलत तरीके से वोट दिखा दिया था, जिसकी कीमत बीजेपी सीट गंवाकर चुकानी पड़ी थी।
- दूसरी ओर कांग्रेस और जेडी-एस के शीर्ष नेता सिद्धारमैया और कुमारस्वामी की मौजूदगी में भी विधायकों की जमकर क्लास लगाई है। दोनों दलों के विधायकों को बताया गया कि वे फ्लोर टेस्ट के दौरान बिल्कुल शांत और अनुशासित रहें, क्योंकि अगर प्रोटेम स्पीकर ने विपक्षी विधायकों को सस्पेंड कर दिया तो बीजेपी के लिए काम बेहद आसान हो जाएगा।
इसे भी पढ़ें- कर्नाटक: येदुरप्पा ने भाजपा कार्यकर्ताओं को बताया कितने बजे मनाना है जश्न
-फ्लोर टेस्ट के दौरान बीजेपी की नजर कांग्रेस-जेडी-एस के करीब 20 विधायकों पर लगी है, जो कि लिंगायत समुदाय से आते हैं। ये विधायक बीजेपी के मददगार साबित हो सकते हैं। ऐसा दावा किया जा रहा है कि लिंगायत विधायक इस बात से नाराज हैं कि कांग्रेस ने जेडी-एस को खुला समर्थन दिया है।
-प्रोटेम स्पीकर केजी बोपैया ने विधायकों यह भी निर्देश जारी किए हैं कि वो मतदान के दौरान अपनी-अपनी सीटों पर ही बैठे रहें, क्योंकि अगर वे बहुमत परीक्षण के दौरा सीट से उठे तो उनका वोट मान्य नहीं होगा।