फेल हुआ कांग्रेस का 'लिंगायत कार्ड', भाजपा पर जमकर बरसे लिंगायत वोट
Recommended Video
बैंगलुरूः #KarnatakaElectionResults के शुरुआती रुझानों में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिलता दिख रहा है। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस ने कई घोषणाएं की। इन्हीं घोषणाओं में से एक थी लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का प्रस्ताव, लेकिन कांग्रेस का ये दांव फेल रहा। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक माना जाता है।
लिंगायत समुदाय के वोट के लिए सिद्धारमैया ने खेला था दांव
कांग्रेस लिंगायत समुदाय के वोट को हासिल करना चाहती थी। अगर लिंगायतों का वोट कांग्रेस को शिफ्ट होता है तो वह दोबारा सत्ता में आ सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस ने उन जगहों पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, जहां पर लिंगायत का दबदबा था।
शुरुआती रुझानों में पिछड़ी कांग्रेस
कर्नाटक में करीब 90 सीटें ऐसी हैं जहां लिंगायत समुदाय के लोगों के वोट जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हैदराबाद-कर्नाटक रिजन(40 सीटें) और बॉम्बे-कर्नाटक रिजन (50 सीटें) की सीटे ये कर्नाटक में कौन जीतेगा, इस बात का फैसला करते हैं। कर्नाटक की कुर्सी पर कौन बैठेगा, लगभग यहीं से तय होता है। सूबे में साल 2013 में अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो इसके पीछे भी लिंगायत वोटों को बड़ा हाथ था। साल 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 23 सीटें जीती थी, वहीं भाजपा के हाथ केवल पांच सीटें, सीट जीतने के मामले में जेडीएस तीसरी सबसे बड़ी पार्टी रही थी।
इस बात 70 फीसदी मतदान हुआ था
बता दें, कर्नाटक की 224 सीटों में से 222 सीटों पर 12 मई को मतदान हुआ था। इस बार तकरीबन 70 फीसदी मतदान हुआ है। मतों की गणना के लिए प्रदेशभर में 38 केंद्र बनाए गए हैं और यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, जिससे कि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके।
येदुरप्पा, रेड्डी ब्रदर्स और श्रीरामुलु ने कैसे पलटा कांग्रेस का पासा, कर्नाटक में किंग बनी भाजपा