कर्नाटक ही नहीं, 2019 में भी मोदी-शाह को परेशान कर सकता है कांग्रेस-JDS गठबंधन
नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के बीच प्रदेश में सरकार बनाने को लेकर जंग तेज हो गई है। बीजेपी ने कर्नाटक चुनाव में अधिक सीटें जीती, इसके बावजूद वह सत्ता से दूर है। फिलहाल, राज्य में सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ की राजनीति शुरु हो गई है। कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान कर बीजेपी को रोकने की कोशिश की है। हालांकि अभी भी कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए राज्यपाल द्वारा किसी को आमंत्रित नहीं किया गया है। वहीं अगर कांग्रेस और जेडीएस के मत प्रतिशत की बात करें तो इन दोनों ने एक अच्छा-खासा वोट शेयर अर्जित किया है।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि अगर इन दोनों दलों ने चुनाव पूर्व गठबंधन किया होता तो कहानी कुछ और होती। इसकी बदौलत ये दोनों दल मिलकर बीजेपी को महज 68 सीटों पर रोक सकते थे। वहीं इन दोनों के गठबंधन को करीब 156 सीटें हासिल हो सकती थीं। अगर सबकुछ ठीक रहा तो कांग्रेस और जेडीएस का ये गठबंधन लोकसभा चुनाव 2019 में भी जारी रहेगा जो कि बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हो सकता है।
गठबंधन के कारण लोकसभा चुनावों में बीजेपी को हो सकता है बड़ा नुकसान
कुछ जानकारों के मुताबिक, जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन को मिले प्रतिशत के आधार पर अगर लोकसभा क्षेत्रों के हिसाब से आंकलन करें तो बीजेपी को कनाटक में 28 में से केवल 6 सीटों से ही संतोष करना होगा। ये 2014 इलेक्शन के बाद बीजेपी के लिए बहुत बड़ा झटका हो सकता है जहां बीजेपी ने 17 सीटों पर कब्ज़ा जमाया था।
लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन के खाते में 22 सीटें जा सकती हैं
लोकसभा चुनाव 2019 में कर्नाटक के बगलकोट, हावेरी, धारवाड़, उडुपी-चिकमंगलूर, दक्षिण कन्नड़ और दक्षिण बगलकोट में बीजेपी को जीत मिल सकती है। इसके अनुसार,बीजेपी हैदराबाद-कर्नाटक और दक्षिण कर्नाटक में कोई सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सकती है। जबकि वर्तमान मत प्रतिशत के आधार पर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के खाते में 22 सीटें जा सकती हैं।
बीजेपी को कमजोर समझने की भूल की जेडीएस-कांग्रेस ने
वास्तव में, कर्नाटक की स्थिति कमोवेश उत्तर प्रदेश की तरह है जहां समाजवादी पार्टी और बसपा ने बीजेपी की ताकत को कम कर आंका और अलग-अलग चुनाव लड़ा था। उसी प्रकार कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व को नजरअंदाज कर अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया और इसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। लेकिन अब ये दोनों धुर विरोधी दल बीजेपी को रोकने के लिए गठबंधन कर साथ आ गए हैं।