कर्नाटक: बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, हम MLA नहीं बने रहना चाहते
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कांग्रेस और जेडीएस के 15 बागी विधायकों की अपील पर सुनवाई हुई। बागी विधायकों की तरफ से सीनियक वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वो अब विधायक नहीं बने रहना चाहते हैं। कोई उन पर इसके लिए दवाब नहीं बना सकता है। इन विधायकों ने कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार पर आरोप लगाया है कि वो उनका इस्तीफा मंजूर नहीं कर रहे हैं। बागी विधायकों की तरफ से उन्होंने कहा कि विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला किया है और वापस जनता के बीच जाने की ठानी है। उन्हें अयोग्य करार दिया जाना इस इच्छा के खिलाफ होगा।
कर्नाटक में 6 जुलाई के बाद से राजनीतिक संकट चल रहा है। कांग्रेस और जेडीएस के अभी तक 16 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। इनमें से 13 कांग्रेस के और जेडीएस के 3 विधायक हैं। इनमें से 15 विधायक सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर के खिलाफ गए हैं। वहीं आज मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि स्पीकर को तय करना है कि उन्हें क्या करना है। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम ये तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए। हालांकि, हम सिर्फ ये देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है। बागी विधायकों के लिए बड़ा झटका है।
सरकार बना रही है दवाब
मुकुल रोहतगी ने कहा कि सरकार के पास कोई सबूत नहीं है, जिस वजह से वो उन्हें अयोग्य घोषित कर सके। इस तरह वो इस्तीफा मंजूर ना कर उन्हें को विधानसभा में उपस्थित होने के लिए मजबूर कर रहे हैं। 18 जुलाई को एचडी कुमारस्वामी सरकार फ्लोर टेस्ट का सामना करेगी। यदि विधायक वहां उपस्थित नहीं होंगे तो सरकार गिर जाएगी। इसलिए विचार है कि उनका इस्तीफा लटकाए रखना, ताकि उन पर अयोग्यता की तलवार लटकी रहे।
11 जुलाई से जारी है संकट
गौरतल है कि 11 जुलाई से अब तक 16 कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जबकि दो निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। जिसकी वजह से सरकार अल्पमत में आ गई है और विपक्षी पार्टी बीजेपी लगातार कुमारस्वामी से इस्तीफे की मांग कर रही है।
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