Karnataka: Congress-JDS के बागी विधायक BJP की भी बढ़ा सकते हैं धड़कन, जानिए क्यों?
नई दिल्ली- कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार विश्वासमत पर वोटिंग टालकर भले ही कुमारस्वामी सरकार को कुछ मोहलत देना चाह रहे हों, लेकिन भाजपा नेताओं को ये भरोसा है कि गठबंधन सरकार गिरनी तय है। लेकिन, इसके साथ ही कर्नाटक के राजनीतिक हालात बीजेपी नेताओं को पूरा खुश होने का मौका भी नहीं दे रहा है। माना जा रहा है कि अगर सरकार गिरती है, तो बीजेपी नई सरकार तो बना सकती है, लेकिन उसे बचाए रखना पार्टी के लिए भी आसान नहीं रहने वाला। बीजेपी नेता इसी आशंका से परेशान हैं कि कांग्रेस-जेडीएस के बागियों का उनकी सरकार में रवैया कैसा रहेगा?
बीजेपी नेताओं की क्यों बढ़ रही है धड़कन?
खबरों के मुताबिक बीजेपी के बड़े नेता इस बात को सोच-सोच कर चिंतित हो रहे हैं कि अगर उनकी सरकार में बागियों को भी साथ लेने की नौबत आ जाय, तो क्या उन्हें साथ में जोड़े रखना इतना आसान होगा? क्योंकि, जिन वजहों से उन्होंने कांग्रेस या जेडीएस के खिलाफ बगवात का झंडा बुलंद किया है, वह परेशानी तो बीजेपी के सामने भी आ सकती है। ऐसे में क्या उनकी संभावित सरकार में इन 15 बागी एमएलए को (अगर वे इस्तीफा वापस ले लेते हैं या दोबारा चुनाव जीते कर आ जाते हैं) सरकार में शामिल करना क्या इतना आसान रहने वाला है?
सबको मंत्री कैसे बनाएगी बीजेपी?
टाइम्स न्यूज नेटवर्क की खबरों के मुताबिक एक पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक का कहना है कि अगर कल को ये सारे बागी मंत्री बनाए जाने की डिमांड करेंगे, तो पार्टी क्या करेगी? पार्टी के लिए सबकी मांगों को मानना इतना आसान नहीं होगा। खास बात ये है कि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भी भारतीय जनता पार्टी को इन परिस्थितियों के लिए आगाह कर चुके हैं। उन्होंने शुक्रवार को विधानसभा में कहा था कि, 'ये खेल मैं नहीं जानता हूं क्या? देखते हैं कि (बागियों के साथ) आप कितना दिन चल पाते हैं।' क्योंकि, एक बात तो तय है कि ज्यादातर बागी सरकार में हिस्सेदारी चाहते हैं। इसलिए वे मौजूदा दलों का साथ छोड़ चुके हैं।
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पार्टी अपने नेताओं का क्या करेगी?
225 विधायकों वाली कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के पास अपने 104 विधायक हैं। जाहिर है कि अगर पार्टी को सरकार बनाने का मौका मिलता है, तो उसे अपने वरिष्ठों के साथ-साथ कर्नाटक के जातीय एवं क्षेत्रीय समीकरणों का भी ध्यान रखना होगा। उसे बाकी सहयोगियों को भी मंत्रिपरिषद में जगह देनी पड़ सकती है। ऐसे में पार्टी के पास 2 या 3 बागियों को कैबिनेट मंत्री का ऑफर देने से ज्यादा की गुंजाइश नहीं होगी। अगर बागियों को ही मंत्री बना दिया जाएगा, तो पार्टी के अंदर विरोध के वही स्वर फूटेंगे, जो हाल अभी कांग्रेस और जेडीएस में हो रहा है।
बागियों को मना लेने का भरोसा
वैसे बीजेपी में जो सरकार बनाने के लिए छटपटाहट में नजर आ रहे हैं, वह ये मानकर संतुष्ट हैं कि सारे बागी मंत्री ही नहीं बनना चाहते, कुछ अपने क्षेत्रों में ज्यादा पैसा और स्वतंत्रता के साथ काम करने की मांग भी कर रहे हैं। पार्टी का यह खेमा मानकर चल रहा है कि बागियों को लेकर ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है और सरकार बनने के बाद उन्हें बड़े बोर्डों और निगमों में बड़ी जिम्मेदारियों देकर संतुष्ट किया जा सकता है। सूत्रों का मानना है कि ऐसे नेता ये मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस और जेडीएस में अंदरूनी खींचतान दो पार्टियों के बीच गठबंधन के चलते है, जबकि बीजेपी की सरकार में ऐसी स्थिति पैदा ही नहीं हो वाली। लेकिन, अगर सरकार बागियों की बदौलत ही टिकी रहेगी, तो उनकी डिमांड नहीं बढ़ेगी, इसकी गारंटी कौन लेगा? ऐसे में अगर मौजूदा सरकार वाली परिस्थियां फिर से पैदा हो गई, तो पार्टी को भारी फजीहत झेलनी पड़ सकती है। खासकर सरकार से बेदखल होने के बाद कांग्रेस या जेडीएस भी चुप बैठने वालों में से नहीं हैं।