कर्नाटक संकट: गवर्नर के दखल के खिलाफ कुमारस्वामी ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
बेंगलुरु। कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बहुमत साबित करने के लिए गवर्नर द्वारा लिखे गए पत्र के खिलाफ कर्नाटक के सीएम कुमारस्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि राज्यपाल वजुभाई वाला विधानसभा की कार्यवाही में दखल नहीं दे सकते हैं। मुख्यमंत्री ने विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई डेडलाइनल पर सवाल उठाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में कुमारस्वामी ने दावा किया कि जब विश्वास मत पर कार्यवाही चल रही है तो राज्यपाल वजूभाई वाला विश्वास मत पर कोई निर्देश नहीं दे सकते। न्यायाल से कुमारस्वामी ने कहा कि राज्यपाल के निर्देश शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के पूरी तरह विपरीत है। कुमारस्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने शुक्रवार को राज्यपाल को खत लिखकर सूचित किया कि सदन में पहले ही विश्वासमत प्रस्ताव पेश हो चुका है और फिलहाल उस पर बहस जारी है।
उन्होंने कहा है कि गवर्नर ने शुक्रवार को एक और पत्र लिखकर शाम 6 बजे से पहले बहुमत साबित करने को कहा है। याचिका में कहा गया है, 'गवर्नर द्वारा जारी किए गए निर्देश गवर्नर की शक्तियों के संदर्भ में इस अदालत द्वारा तय किए गए कानून के पूरी तरह खिलाफ हैं। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 2016 में अरुणाचल के गवर्नर जेपी राजखोवा के फ्लोर टेस्ट को असंवैधानिक करार देने के फैसले को रद्द कर दिया था।
कुमारस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस किस तरह से हो इसे लेकर राज्यपाल सदन को निर्देशित नहीं कर सकते। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने राज्यपाल के उस पत्र को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें राज्यपाल ने दोपहर 1.30 बजे विश्वास मत हासिल करने के लए कहा था। कुमारस्वामी ने भी अपनी याचिका में व्हिप के मुद्दे को उठाया है।
कुमारस्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि राजनीतिक दलों को अपने विधायकों/सांसदों को व्हिप जारी करने का अधिकार है। संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत राजनीतिक दल को व्हिप जारी करने का अधिकार है। उसे इस अधिकार से रोका नहीं जा सकता।
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