तबलीगी जमात के लिए कर्नाटक ने बदला टेस्ट का प्रोटोकॉल, किसी को भी नहीं छोड़ेगा
नई दिल्ली- जमातियों की वजह से कर्नाटक को कोरोना वायरस के संदिग्धों के लिए टेस्टिंग प्रोटॉकॉल में बदलाव करनी पड़ गई है। हुआ ये है कि पहले वहां का स्वास्थ्य विभाग सिर्फ उन्हीं जमातियों का सैंपल ले रहा था, जो हाल में दिल्ली से लौटे थे। लेकिन, अब प्रोटोकॉल से अलग हटकर जमात से जुड़े उन सारे लोगों का सैंपल जांच के लिए भेजा जा रहा है जिनकी दिल्ली की कोई ताजा ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है, लेकिन वह देश के किसी दूसरे शहरों या राज्यों से भी आए हैं। ऐसा इसलिए किया गया है कि जमात के कई ऐसे सदस्य कोरोना संक्रमित मिले हैं, जिनकी हाल में दिल्ली की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। जमात के कुछ तो ऐसे लोग भी संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें कोरोना का थोड़ा-बहुत भी लक्षण नजर नहीं आ रहा था। लेकिन, अब कर्नाटक सरकार इनकी वजह से कोई जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं है और इसीलिए जमातियों में टेस्टिंग का दायरा बढ़ा दिया गया है।
मौजूदा प्रोटोकॉल क्या है?
कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने तय किया है कि वह तबलीगी जमात के उन सभी लोगों का कोविड-19 टेस्ट कराएगा, चाहे वे पिछले महीने दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में शामिल नहीं भी हुए हों और चाहे उनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं भी दिख रहा हो। दरअसल, राज्य सरकार को ये फैसला इसलिए करना पड़ा है क्योंकि, राज्य में जमात से जुड़े लोगों में अप्रत्याशित रूप से कोरोना संक्रमण के मामले उजागर हो रहे हैं। मौजूदा टेस्ट नियमों के तहत जमात से जुड़े उन लोगों का टेस्ट किया जाना है, जो पिछले दो हफ्तों में निजामुद्दीन मरकज से लौटे हैं, चाहे उनमें लक्षण हों या न हो उनका स्वैब सैंपल लेने की व्यवस्था है। जानकारी के मुताबिक इस नियम के हिसाब से निजामुद्दीन मरकज से लौटे करीब 361 लोग ही दायरे में आते हैं।
जमातियों में टेस्ट का दायरा बढ़ाया
स्वास्थ्य अधिकारियों के अधिकारियों ने कहा है कि अब वह निर्धारित दायरे से बढ़कर भी तबलीगी जमात के दूसरे सदस्यों की भी जांच करेंगे। क्योंकि, स्वास्थ्य विभाग को कुछ ऐसे पॉजिटिव केस मिले हैं, जो सरकार की ओर से तय दायरे से बाहर आते हैं और इस हकीकत ने उनके कान खड़े कर दिए हैं। मसलन, मैसुरु में जमात के 4 सदस्यों को शनिवार को कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया। जबकि, जिला प्रशासन के मुताबिक ये मार्च में हुए निजामुद्दीन मरकज में नहीं शामिल हुए थे। अलबत्ता जनवरी में उनकी दिल्ली की ट्रैवल हिस्ट्री जरूर मिली है। इसी तरह बीदर में जमात के 10 सदस्य निजामुद्दीन मरकज से 17 मार्च को ही लौट चुके थे। लेकिन, उन्हें 14 दिनों के निर्धारित समय के बाद भी पॉजिटिव पाया गया है। मैंगलुरुमें भी दो लोग मिले हैं, जो मरकज से लौटे थे, लेकिन शुरू में उनमें कोई लक्षण नहीं मिला और बाद में पॉजिटिव निकल आए। दक्षिण कन्नड़ जिले के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि 'उन्हें न तो खांसी थी और न ही बुखार ही था...मामूली लक्षण भी नहीं था। अगर हम उनका सैंपल सिर्फ लक्षणों के आधार पर भेजने का फैसला करते तो हमें पता भी नहीं चलता कि वे संक्रमित हैं।'
ट्रैवल-कॉन्टैक्ट हिस्ट्री छिपाने से भी नहीं चलेगा काम
इसी वजह से कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने अपने विवेक के इस्तेमाल का फैसला किया है और जिला प्रशासनों को वो सारे सैंपल जांच के लिए भेजने को कहा है, जो मौजूदा प्रोटोकॉल के दायरे में नहीं भी आते हैं। इकोनॉमिक्स टाइम्स से बातचीत में प्रदेश के शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने कहा, 'स्वास्थ्य अधिकारी जमात के उन लोगों के सैंपल जांच करवाने पर भी फैसला लेंगे जो दिल्ली के मरकज में शामिल नहीं हुए थे, लेकिन अगर उनकी किसी तरह की ट्रैवल हिस्ट्री पाई जाएगी। जोखिम को टालने के हिसाब से टेस्ट किया जाएगा। इस बात की भी बहुत ज्यादा संभावना है कि कुछ लोग अपनी ट्रैवल हिस्ट्री या कॉन्टैक्ट हिस्ट्री के बारे में बहुत सारा सच छिपा लें।' सुरेश कुमार कर्नाटक में कोविड-19 पर सरकार के प्रवक्ता हैं।
जमात से जुड़े हर शख्स पर नजर
इसी बदले माहौल में कर्नाटक के एक जिले ने जमात के 30 लोगों का सैंपल जांच के लिए भेजा है, जिनकी हाल में दिल्ली से जुड़ी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। जिला प्रशासन के लोगों के मुताबिक ये लोग मार्च के दूसरे हफ्ते में तमिलनाडु और गुजरात से शहर में आए थे। जिले के एक अधिकारी ने बताया कि 'स्वास्थ्य अधिकारी इनके सैंपल की जांच के लिए इसलिए तैयार हो गए, क्योंकि वो तमिलनाडु के जिस शहर से आए थे वह अब कोविड-19 का हॉटस्पॉट बन चुका है।' बता दें कि हाल में देश में कोरोना संक्रमितों के जितने भी नए मामले सामने आए हैं, उनमें से अधिकतर का नाता दिल्ली के निजामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात के मरकज से जुड़ा है। यह आकड़ा कुल मामलों का 30 फीसदी से ज्यादा होता है। तमिलनाडु में तो अधिकांश संक्रमितों के तार जमात से ही जुड़े हुए हैं। ये वही जमात है जो भारत से पहले मलेशिया में भी कोरोना का कहर बरपा चुका है।
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