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कर्नाटक में कांग्रेस को रोकने के लिए क्या है भाजपा-जेडीएस का प्लान, समझिए पूरा गणित

कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जेडीएस की तरफ दोस्‍ती का हाथ बढ़ाए जाने के बाद जहां राजनीतिक चर्चाओं का बाजार भी गर्म हैं

By Vikashraj Tiwari
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नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने जोरदार तैयारी की है। बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने सियासी दांव लगा रहे हैं। इसी बीच बीजेपी और जेडीएस के बीच सेटिंग की चर्चाएं हैं। खासकर सेटिंग का असर दक्षिणी कर्नाटक के इलाको में होने की बात कही जा रही है। दरअसल बीजेपी कांग्रेस को हराने के लिए जेडीएस की मदद कर रही है। बीजेपी के एक सीनियर नेता ने मंड्या में बताया बताया 'दक्षिणी कश्मीर में हमारा संगठन बहुत मजबूत नहीं हैं। हमारे पास बहुत कम ऐसे नेता हैं जो वोकालिगा समुदाय से आते है लेकिन हम यहां कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं और यही हमारा लक्ष्य भी है। हम जिन सीटों पर नहीं जीत रहे हैं वहां कार्यकर्ताओं को जेडीएस को सपोर्ट करने को कहा जाएगा। जिससे अगर हम नहीं जीत रहे को कांग्रेस भी ना जीत पाए'।

बीजेपी-जेडीएस की दोस्ती की चर्चा

बीजेपी-जेडीएस की दोस्ती की चर्चा

कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जेडीएस की तरफ दोस्‍ती का हाथ बढ़ाए जाने के बाद जहां राजनीतिक चर्चाओं का बाजार भी गर्म हैं, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा खुद भी प्रधानमंत्री मोदी की लगातार तारीफ किए जा रहे हैं। उन्‍होंने लोकसभा में अपने बने रहने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया था और अब उन्‍होंने उनकी वाक शैली की तारीफ की है। कर्नाटक में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले देवगौड़ा ने जिस तरह पीएम मोदी की तारीफों के पुल बांधने शुरू किए हैं, उससे राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को सुगबुगाहट मिली है।लोकसभा में अपने बने रहने का श्रेय पीएम मोदी को देने के बाद अब देवगौड़ा ने कहा है कि वह उनके बोलने के अंदाज के मुरीद हैं। उन्‍होंने यहां तक कि कहा कि पीएम मोदी देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी अच्‍छा बोलते हैं। कुछ समय पहले एचडी देवगौड़ा ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी, उसके बाद बीजेपी के साथ तालमेल के कयास लगाए गए थे लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया था। बीच में इस तरह की अटकलें भी उठीं कि जेडीएस और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो सकता है लेकिन एचडी देवगौड़ा ने इससे भी साफ इनकार कर दिया है।

कांग्रेस लगा रही है ये आरोप

कांग्रेस लगा रही है ये आरोप

कांग्रेस लगातार जेडीएस पर बीजेपी की बी टीम की तरह काम करने का आरोप लगा रही है। कांग्रेस ये संदेश भेजकर मुस्लिमों के एकमुश्त वोट पाना चाहती है। कांग्रेस इस मुहिम में कामयाब होती भी दिख रही है। यही वजह है कि मुस्लिम संगठन जेडीएस की भूमिका को संदेह की नजर से देख रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी हिंद के महासचिव सलीम इंजीनियर ने कहा कि सांप्रदायिक पार्टी को सत्ता में आने से रोकना पहला लक्ष्य है। जेडीएस की भूमिका संदेह के घेरे में है।

 ये है ओल्ड मैसूर का गणित

ये है ओल्ड मैसूर का गणित

मैसूर शहर के अंतर्गत 11 विधानसभा सीटें आती हैं लेकिन ओल्ड मैसूर नाम से जो क्षेत्र है उसके तहत आठ जिले और 52 विधानसभा सीटें आती हैं। इस इलाके की पहचान पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस के गढ़ के रुप में जाना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीएस को र्जाय में 40 सीटें मिली थी जिसमें से 20 सीटें ओल्ड मैसूर नाम से मिलीं थी। देवगौड़ा जिस जाति वोक्कालिग से ताल्लुक रखते हैं उसका इस इलाके में वार्चस्व है। लेकिन इस इलाके में बैकवर्ड, दलित और मुस्लिम समीकरण के बूते कांग्रेस जेडीएस से कहीं ज्यादा शक्तिशाली है। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस रीजन से 25 सीटों पर जीत मिली थी। इसी रीजन से 2014 में लोकसभा चुनाव में 34 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को बड़त हासिल हुई थी। हरअसल इस पूरे इलाके में कांग्रेस और जेडीएस के बीच ही मुकाबला रहता है। बीजेपी इस रीजन में कमजोर है क्योंकि यहां बीजेपी के वोट बैंक माने जाने वाले लिंगायत की संख्या कम है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां पूरे देश में मोदी लहर थी तब इस इलाके में बीजेपी को मात्र 10 सीटें ही अपने नाम कर पाई थी।

जातिय समीकरण को समझिए

जातिय समीकरण को समझिए

राज्य की राजनीति में लिंगायत और वोक्कालिगा दोनों जातियों का दबदबा है। सामाजिक रूप से लिंगायत उत्तरी कर्नाटक की प्रभावशाली जातियों में गिनी जाती है। राज्य के दक्षिणी हिस्से में भी लिंगायत लोग रहते हैं। सत्तर के दशक तक लिंगायत दूसरी खेतिहर जाति वोक्कालिगा लोगों के साथ सत्ता में बंटवारा करते रहे थे। वोक्कालिगा, दक्षिणी कर्नाटक की एक प्रभावशाली जाति है। कांग्रेस के देवराज उर्स ने लिंगायत और वोक्कालिगा लोगों के राजनीतिक वर्चस्व को तोड़ दिया। अन्य पिछड़ी जातियों, अल्पसंख्यकों और दलितों को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर देवराज उर्स 1972 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। इस बार मुख्‍यमंत्री सिद्दारमैया भी देवराज उर्स जैसा प्रयास करते नजर आ रहे हैं। वह खुद पिछड़े तबके से आते हैं और प्रभुत्‍व जातियों को छोड़कर अति पिछड़ों और दलितों को साथ जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

<strong></strong>सिद्धारमैया का दांव बेअसर, 61 प्रतिशत लिंगायत बीजेपी के साथ, सर्वे में हुआ खुलासासिद्धारमैया का दांव बेअसर, 61 प्रतिशत लिंगायत बीजेपी के साथ, सर्वे में हुआ खुलासा

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English summary
Karnataka Assembly Elections: understand the tie equation of bjp-jds in south karnataka
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