वो सात किरदार: जिन्होंने येदुरप्पा के चेहरे से पलभर में छीनी खुशियां
बेंगलुरु। कर्नाटक की जनता ने किसी भी पार्टी को विधानसभा चुनाव में बहुमत नहीं दिया है। आने वाले कुछ दिनों में कर्नाटक की राजनीति में एक से बढ़कर एक समीकरण देखने को मिलेंगे। शुरुआती रुझानों से लग रहा था कि बीजेपी राज्य में सरकार बना लेगी। लेकिन बहुमत से कुछ सीटें दूर रहने के कारण वह सत्ता के सिंहासन तक नहीं पहुंच सकी। वहीं दूसरी ओर सत्ता से बाहर हुए कांग्रेस किसी भी हालत में बीजेपी के हाथों में सत्ता नहीं जाने देना चाह रही थी। इसलिए कांग्रेस के रणनीतिकारों ने तीसरे नंबर की पार्टी जेडीएस को बिना शर्त मुख्यमंत्री का पद ऑफर कर दिया। जिसके चलते येदुरप्पा के सीएम बनने का सपना तहस-नहस हो गया। ये वह सात नेता है जिन्होंने येदुरप्पा के चेहरे से पल भर में खुशियां छीन लीं।
गुलाम नबी आजाद
राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के शीर्ष नेता गुलाम नबीं आजाद चुनाव परिणाम आने से पहले ही बेंगलुरु में डेरा डाले हुए थे। वह सुबह से ही चुनाव परिणामों पर नजर बनाए हुए थे। जब गुलाम नबीं आजाद को लगा कि कांग्रेस सरकार नहीं बना सकती है। तो उन्होंने तत्परता दिखाते हुए सोनिया गांधी से बात की। हालांकि राहुल गांधी ने ऐसी स्थिति में फैसले लेने के अधिकार आजाद को दिए थे। सोनिया गांधी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एचडी देवगौड़ा से बात की। जिसके बाद राज्य की राजनीति का परिदृश्य ही बदल गया।
अशोक गहलोत
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत काफी समय से कर्नाटक में मौजूद हैं। वह लगातार पार्टी को राज्य स्थिति पर नजर बनाए हुए थे। पार्टी में नंबर दो का दर्जे रखने वाले गहलोत गुलाम नबीं को अपने सुझाव दे रहे थे। दरअसल कांग्रेस ने रणनीति बनाई थी अगर हम सत्ता से बाहर होते हैं तो बीजेपी को सत्ता में नहीं आने देगे। इस रणनीति को साकार करने के लिए गहलोत किसी भी तरह की कसर छोड़ना नहीं चाह रहे थे। जिसमें वे सफल भी रहे।
सोनिया गांधी
कर्नाटक में बीजेपी हाथों से सत्ता छीनने में सबसे बड़ा हाथ सोनिया गांधी का रहा है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सर्वमान्य नेता है। सीनियर नेता होने के कारण सभी दलों में उनकी बहुत इज्जत है। गुलाम नबीं के फोन कॉल के बाद सोनिया गांधी ने जेडीएस संरक्षक एचडी देवगौड़ा को फोन किया औऱ उन्होंने उन्हें प्रस्ताव दिया। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
एचडी देवगौड़ा
जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा और उनके बेटे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी किंग बनने के खेल में माहिर हैं। जेडीएस संरक्षक एचडी देवगौड़ा और सोनिया गांधी के बीच संबंध काफी अच्छे माने जाते हैं। इसके साथ ही विचारधारा के मामले में दोनों पार्टियां एक दूसरे के काफी नजदीक मानी जाती है। जिसका सीधा फायदा जेडीएस को मिला। सोनिया गांधी ने जब एचडी देवगौड़ा को फोन किया और उन्हें सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया तो वे झट से तैयार हो गए।
एचडी कुमारस्वामी
जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी को चुनावों से पहले एक किंगमेकर की भूमिका के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन अब खुद किंग बनने वाले हैं। कुमारस्वामी ने चुनाव प्रचार के दौरान गठबंधन की संभावनाओं से इंकार नहीं किया था। जिसका सीधा फायदा उन्हें सीएम की कुर्सी के तौर मिला।
सिद्धारमैया
कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया काफी कुशल राजनीतिज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने परिणाम आने से पहसे घोषणा कर दी थी कि अगर कोई दलित सीएम बनाया जाता है तो वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस के बहुमत से दूर रहने के बाद सिद्धारमैया ने कहा था कि, हम जेडीएस को समर्थन देंगे, वो सरकार बना सकते हैं। जेडीएस अपने मुख्यमंत्री का नाम तय कर सकती है।
मल्लिकार्जुन खड़गे
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे इस पूरे घटनाक्रम की वह कड़ी हैं। जिसने सभी कड़ियों को आपस में जोड़कर रखा। राज्य की राजनीति की अंदर तक जानकारी रखने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे परिणामों पर लगातार नजर बनाए हुए थे। वह लगातार गुलाम नबीं आजाद को अपनी सलाह दे रहे थे। जिसके चलते गुलाम नबीं तत्काल सही फैसले लेने में सफल रहे।
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