करीम लाला: जिसके दरबार में अभिनेत्री हेलन, दिलीप कुमार की सिफारिशी चिट्ठी लेकर गई थीं मदद मांगने
नई दिल्ली- शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत की ओर से अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मुलाकातों के दावे पर सियासी घमासान मचा हुए है। हालांकि, अब राउत ने कांग्रेस के दबाव में अपना बयान वापस भी ले लिया है, लेकिन उन्होंने जाने-अनजाने में अचानक उस करीम लाल को सुर्खियों में ला दिया है, जो अफगानिस्तान में पैदा हुआ, लेकिन मायानगरी मुंबई का पहला अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया। ये हकीकत है कि दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान भागने के बाद से मुंबई में उस तरह का कोई डॉन पैदा नहीं हुआ है, लेकिन करीब 4 दशकों से भी ज्यादा अपनी डॉनबाजी के दौरान लाला ने मुंबई की फिजा में जो छाप छोड़ी थी, उसकी बयार अब भी अक्सर महसूस हो जाती है। बॉलीवुड से लेकर सियासत की दुनिया तक मायानगरी में आज भी लाला से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं, जिनमें से एक अभिनेत्री हेलन की कहानी भी है।
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डॉन होने के बावजूद लोकप्रिय था करीम लाला
कहते हैं कि मुंबई में दशकों के दबदबे के बावजूद करीम लाला ने समाज के हर वर्ग के लोगों के बीच अपनी एक खास पहचान बनाई थी। मुंबई अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन होने की वजह से उसे अगर बदनामी मिली तो हर वर्ग की खुलकर मदद करके उसने खूब नाम भी कमाया था। यही वजह है कि क्या गरीब और क्या अमीर सभी तरह के लोग उसके पास अपनी समस्या लेकर पहुंचते थे और लाला अपने हिसाब से उनकी हर मुमकिन मदद की भी कोशिश करता था। रोज शाम को उसके घर लगने वाला जनता दरबार खूब चर्चित था और जो भी वहां उससे किसी विवाद को सुलझाने के लिए सहायता मांगने पहुंचता, लाला उसकी समस्या के निपटारे की कोशिश करता था। दावा किया जाता है कि वह जरूरतमंदों की हर संभव मदद भी करता था। उसके बारे में यह कहानी भी प्रचलित है कि अगर कोई उसके पास तलाक दिलाने की मांग करते हुए पहुंचता था तो उसकी पहली सलाह यही होती थी कि तलाक समस्या का समाधान नहीं है। लाला के पास शिकायत लेकर पहुंचने वालों में अभिनेत्री हेलन का भी नाम शामिल है।
करीम लाला ने हेलन का पैसा वापस दिलाया था
जाहिर है कि करीम लाला के दरबार में अपनी दरख्वास्त लेकर पहुंचने वालों में बॉलीवुड हस्तियां भी होती थीं। यही वजह है कि जब एक बार अभिनेत्री हेलन मुश्किलों में फंसीं तो वो भी लाला के पास मदद मांगने के लिए पहुंच गई। तब दिलीप कुमार ने हेलन को लाला के पास भेजा था, क्योंकि वे वाकिफ थे कि जिस तरह की परेशानी में हेलन फंसीं हैं, उसमें वही उसके लिए मददगार साबित हो सकता है। हुआ ये था कि पीएन अरोड़ा नाम का हेलन का एक जानने वाला उनकी सारी कमाई लेकर भाग गया था। हेलन ने लाख जतन कर लिए, लेकिन वह पैसा वापस देने को तैयार नहीं हुआ। तब अपनी परेशानी लेकर वो तब के सुपरस्टार दिलीप कुमार के पास पहुंचीं, जिन्होंने उन्हें फौरन करीम लाला के पास भेज दिया। दिलीप कुमार ने हेलन के हाथों लाला के नाम एक सिफारिशी खत भी भेजा था। करीम लाला ने इस मामले में दखल दिया और हेलन के सारे पैसे वापस मिल गए।
अफगानिस्तान से आकर कैसे बना मुंबई का डॉन?
करीम लाला जन्म से अफगानी था। वह 1911 में अफगानिस्तान के कुमार प्रांत में पैदा हुआ और उसे पश्तूनों का अंतिम सुल्तान भी कहते हैं। उसका परिवार था तो बहुत सुखी-संपन्न, लेकिन बहुत ज्यादा कामयाबी की चाहत में वह सोने की चिड़िया माने जाने वाले भारत का रुख कर लिया। लाला का असल नाम अब्दुल करीम शेर खान था और वह 21 साल की उम्र में पाकिस्तान होते हुए मुंबई आ गया। मुंबई आकर उसने मुंबई डॉक से बेशकीमती रत्नों विशेषकर हीरे-जवाहरातों की तस्करी शुरू कर दी। उसका यह काला धंधा चल निकला और 1940 आते-आते उसने मुंबई की तस्करी की दुनिया में अपनी धाक जमा ली। कमाई बढ़ी तो उसने धीरे-धीरे अपना दबदबा भी बढ़ाना शुरू कर दिया। ज्यादा कमाई की लालच में उसने जुए और शराब का धंधा भी शुरू कर दिया। आगे चलकर मायानगरी के हर गैरकानूनी धंधे में उसकी तूती बोलने लगी और वह मुंबई का पहला डॉन बन गया। उसके आतंक से पूरी मुंबई सिहरती थी, लेकिन लोगों को मदद करने की छवि ने उसे एक पूरी अलग पहचान बनाए रखने में भी काफी मदद की थी।
दाऊद के आने के बाद से अंडरवर्ल्ड में शुरू हुआ गैंगवार
कहते हैं कि आतंकी दाऊद इब्राहिम के अंडरवर्ल्ड में आने से पहले तक मुंबई खून-खराबे और गैंगवार से बचा हुआ था। लेकिन, दाऊद की एंट्री ने ही इस फ्रंट पर भी नरक करना शुरू कर दिया। दाऊद के मैदान में आने से लेकर मुंबई में गैंगवार की शुरुआत हो गई। तस्करी के धंधे में दाऊद की दखल से लाला परेशान हो उठा। कहते हैं कि एक बार दाऊद लाला के हत्थे चढ़ गया तो उसने उसकी जबर्दस्त पिटाई भी कर दी। यहीं से दोनों गैंग में दुश्मनी शुरू हो गई। 1981 में लाला के गैंग ने दाऊद के भाई शब्बीर को निपटा दिया। पांच साल बाद 1986 में दाऊद ने करीम लाला के भाई रहीम खान को गैंगवार में मारकर उसका बदला ले लिया। इस दौरान मुंबई पर दाऊद के गैंग का कब्जा हो गया, जिसने लाला के अफगान गैंग का पूरी तरह से सफाया कर दिया। करीब 5 साल तक चली गैंगवार में दोनों ओर से दर्जनों गुर्गे मारे गए। बाद में लाला बूढ़ा हो गया और 19 फरवरी, 2002 को 90 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई।
संजय राउत की बयान से सुर्खियों में आया लाला
बता दें कि अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला अचानक इसलिए सुर्खियों में आया क्योंकि शिवसेना नेता संजय राउत ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उससे मिलने मुंबई आती थीं। असल में वह यह बताना चाहते थे कि मुंबई में एक जमाने में अंडरवर्ल्ड का इतना दबदबा होता था कि पूर्व प्रधानमंत्री को भी डॉन से मिलना पड़ता था। उन्होंने इंटरव्यू में कहा था, 'एक ऐसा समय भी था जब दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील, शरद शेट्टी यह तय करते थे कि मुंबई का पुलिस कमिश्नर कौन बनेगा और मंत्रालय (मुख्यमंत्री-मंत्री) में कौन बैठेगा। इंदिरा गांधी करीम लाला से मिलने जाती थीं। हमने वह अंडरवर्ल्ड देखा है, लेकिन अब ये सिर्फ चिल्लर है।' जब राउत के इस बयान के बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बवाल काटना शुरू किया तो पहले उन्होंने यह सफाई दी कि वे तो पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का काफी सम्मान करते हैं। लेकिन, जब कांग्रेस के नेताओं की ओर से माफी मांगने का दबाव बढ़ा तो उन्होंने अपने बयान से ही यू-टर्न ले लिया। राउत ने कहा- 'कांग्रेस के जो हमारे मित्र हैं उन्हें आहत होने की आवश्यकता नहीं है। जब कोई पहले इंदिराजी पर बोलता था तो कांग्रेस के लोग चुप बैठे रहते थे, मैं सामने आकर जवाब देता था। फिर भी अगर मेरी बात से इंदिराजी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची हो या कोई आहत हुआ हो तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं।'