कैप्टन थापर के पिता हर साल उस प्वाइंट तक जाते हैं, जहां मिली थी बेटे को शहादत
गर्व और अफसोस एक साथ
कर्नल थापर ने अपने बेटे का नाम उस विजयंत टैंक के नाम पर रखा था जिसे 71 की लड़ाई में भारत ने हासिल किया था। वनइंडिया के साथ बातचीत में कर्नल थापर ने बताया, 'अफसोस तो होता ही है क्योंकि मेरा बेटा सिर्फ 22 साल का था जब वह शहीद हो गया लेकिन गर्व का अहसास भी होता है क्योंकि उसने अपनी जान देश के नाम पर कुर्बान की है। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं शहीद कैप्टन विजयंत थापर का पिता हूं।'
कमजोर है हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर
कर्नल थापर से हमने जानने की कोशिश की कि क्या कारगिल युद्ध के 15 साल बाद सेना के इंफ्रास्ट्रक्चर में कोई बदलाव आया है, इस पर उनके जवाब ने उनकी निराशा साफ कर दी। उन्होंने कहा, 'आज भी सेना का इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि 15 वर्ष पहले था। सेना को एक बड़ी ओवरहॉलिंग की जरूआर्टिलि रत है। हमें हर एक इंफ्रेंटी, आर्टिलरी के लिए नई टेक्नोलॉजी चाहिए। आज भी हम 30 वर्ष पुरानी बंदूकें प्रयोग कर रहे हैं, वहीं बोफोर्स गन प्रयोग की जा रही है जो 30 वर्ष पहले प्रयोग की जाती थी। टेक्नोलॉजी के बीच जो गैप उसे हमें भरने में काफी समय लगेगा।'
न बदला है ओर न बदलेगा पाकिस्तान
कर्नल थापर ने पाकिस्तान पर भी अपनी राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि पाक कभी भी बदल नहीं सकता है क्योंकि वहां पर कई सारे पावर सेंटर्स हैं। वह उसी तरह से देश में घुसपैठ और आतंकी वारदात को अंजाम देता रहेगा जैसा पिछले कई वर्षों से करता आ रहा है। लेकिन हमें तैयार रहना होगा ताकि वह फिर से कोई वारदात को अंजाम न दे सके।
आखिरी में उन्होंने वर्तमान सरकार से उम्मीद जताई कि वह शहीद कैप्टन सौरभ कालिया और उनके जैसे तमाम वार क्राइम के मसले को जरूर उठाएगी और उन्हें इंसाफ दिलाने की कोशिश करेगी।