भारत-चीन के बीच टेंशन, कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले ले. जनरल पहुंचे LAC पर
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। भारत ने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि जब तक एलएसी पर यथास्थिति बहाल नहीं होती है, तब तक सेना पीछे नहीं हटेगी। कुछ लोगों की मानें तो भारत ने साल 1999 में हुई कारगिल की जंग के बाद सीमा पर इस स्तर का तनाव देखा है। इन हालातों के बीच कारगिल की जंग के एक ऐसे हीरो लद्दाख पहुंचे हैं जिनके कंधों पर यहां पर जवानों की तैनाती की जिम्मेदारी है। लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी जिन्होंने इसी वर्ष फरवरी में नॉर्दन आर्मी कमांडर का जिम्मा संभाला है, इस समय लद्दाख में हैं। वह यहां पर हालात का जायजा लेने पहुंचे हैां।
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नॉर्दन आर्मी कमांडर हैं ले. जनरल जोशी
सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सेना ने अपनी दो अतिरिक्त डिविजन को लद्दाख में तैनाती के लिए रवाना कर दिया है। मंगलवार को लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी लद्दाख पहुंचे हैं। सूत्रों ने बताया है कि पिछले हफ्ते जवानों को लद्दाख के लिए रवाना किया गया है। कारगिल वॉर हीरो लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी, सेना की नॉर्दन कमांड के कमांडर हैं जिस पर पाकिस्तान और चीन के बॉर्डर की बड़ी जिम्मेदारी आती है। ऐसे में उनकी जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं। लेफ्टिनेंट जनरल जोशी लद्दाख में यहां पर टॉप कमांडर्स के साथ कई मीटिंग्स करने वाले हैं।
ले. जनरल का दूसरा लद्दाख दौरा
मीटिंग में लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भी मीटिंग में शामिल होंगे। ले. जनरल हरिंदर डायरेक्टर जनरल मिलिट्री इंटेलीजेंस रहे चुके हैं। पिछले वर्ष अक्टूबर में उन्होंने लद्दाख कमांड की जिम्मेदारी संभाली है। ले. जनरल जोशी नॉर्दन आर्मी कमांडर बनने से पहले नॉर्दन कमांड में चीफ ऑफ स्टाफ रह चुके हैं। नॉर्दन आर्मी कमांडर बनने के बाद यह उनका दूसरा लद्दाख दौरा है। इससे पहले वह आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे के साथ लद्दाख गए थे जो 22 मई को लद्दाख दौरे पर गए थे। चीनी सेना के जवान गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग एरिया और पैंगोंग झील के फिंगर एरिया में मौजूद हैं।
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चीन के मामलों के जानकार ले. जनरल
सेना की 14 कोर पर पर लद्दाख की सुरक्षा की जिम्मेदार है और इस फायर एंड फ्यूरी कोर के तौर पर भी जाना जाता है। ले. जनरल जोशी साल 2018 में इस कोर के कमांडर रह चुके हैं। कारगिल की जंग के बाद ही इस कोर को तैयार किया गया है। ले. जनरल जोशी के पास चीन से जुड़े मसलों से निबटने का अच्छा-खासा अनुभव है। 1999 में कारगिल की जंग के दौरान 'ऑपरेशन विजय' लॉन्च किया गया था। इस ऑपरेशन के दौरान ले. जनरल जोशी जिनका पूरा नाम योगेश कुमार जोशी है, ले. कर्नल थे। उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि द्रास सेक्टर में प्वाइंट 5140 पर कब्जा करना है।
ऑपरेशन विजय के हीरो ले. जनरल जोशी
यह वही चोटी है जो कैप्टन विक्रम बत्रा ने सेना के लिए जीती थी और कैप्टन बत्रा उनकी टीम का ही हिस्सा थे। लेफ्टिनेंट कर्नल जोशी ने अपनी चतुराई और बहादुरी से दुश्मन को चौंका दिया और सफलतापूर्वक इस लक्ष्य को हासिल कर लिया। प्वाइंट 5140 पर फतह ने भारत की कामयाबी तय कर दी थी। इस दौरान जोशी ने अपने सैनिकों का हौसला बरकरार रखा और आगे बढ़कर नेतृत्व किया। ऑपरेशन विजय में ले. कर्नल की जोशी की टीम ने छह दुश्मनों को मार गिराया। लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने युद्ध के दौरान टाइगर हिल को कब्जा करनेवाली टीम के कमांडिंग ऑफिसर की भूमिका निभाई थी। उस दौरान वह 13वीं जम्मू-कश्मीर राइफल का हिस्सा थे।
चीनी जेट लगातार भर रहे हैं उड़ान
सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पूर्वी लद्दाख से बस 30 से 35 किलोमीटर दूर चीन के जेट्स होतान और गारगुनसा एयरबेसेज से उड़ान भर रहे हैं। भारत की तरफ से पहले ही कहा जा चुका है कि पूर्वी लद्दाख में इन एयरबेसेज पर करीब से नजर रखी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक 10 से 12 चीनी फाइटर जेट्स को होतान और गारगुनसा एयरफोर्स बेस में हैं। ये इलाके पूर्वी लद्दाख के काफी करीब हैं। सूत्रों की ओर दी गई जानकारी पर अगर यकीन करें तो दोनों एयरबेसेज पर 10 से लेकर 12 की संख्या में जे-7 और जे-11 फाइटर जेट्स मौजूद हैं। हालांकि बॉर्डर से इन्होंने दूरी बनाकर रखी है और कोई खतरा नहीं है लेकिन फिर भी कोई चांस नहीं लिया जा रहा है। भारत-चीन सीमा पर इस समय आईएएफ ने सर्विलांस को बढ़ा दिया है।