कारगिल युद्ध: मिलिये डा. अनिल से जिन्होंने किया था जवानों का इलाज
एक दिन में आए 23 सैनिक
डॉक्टर अनिल को आज भी याद है कि कैसे उन्होंने पहाड़ी पर अपना कैंप लगाया था। सारे इंस्ट्रूमेंट्स वहीं पर पहुंचाए गए। उन्होंने बताया, 'जिस समय कोई घायल सैनिक आता था, उसे ब्लीडिंग काफी ज्यादा हो रही होती थी।
डा. अनिल ने कहा, "मेरा और मेरी टीम का पहला काम था कि खून को किसी तरह से बंद किया जाए। गोली निकालने के बाद हम खून रोकने की कोशिश करते। जो सैनिक गंभीर रूप से घायल होते थे उन्हें बाद में हेलीकॉप्टर की मदद से नीचे पहुंचाया जाता था। लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते मैं कभी नहीं भूल सकता कि एक दिन मेरे कैंप में 23 सैनिक बुरी तरह से घायलावस्था में आए थे।'
सैनिकों के जज्बे से मिली हिम्मत
कारगिल वॉर एक ऐसी लड़ाई जिसमें हर दिन कोई न कोई कैजुअलिटी हो रही थी। ऐसे में हमने डॉक्टर अनिल से जानने की कोशिश की कि जब उनके पास कोई भी घायल सैनिक आता था, तो उनकी मनोदशा क्या होती थी।
उन्होंने हमें बताया, 'आप यकीन नहीं करेंगी लेकिन बुरी तरह से भी घायल सैनिकों ने कभी यह नहीं कहा कि मुझे नीचे भेज दिया जाए। हमेशा वह मुझसे यही कहते कि सर मुझे ठीक कर दीजिए मुझे लड़ना है। उनकी हिम्मत देखकर मुझे हिम्मत मिलती थी।'
आखिरी में डॉक्टर अनिल ने हमसे कहा कि हमारे सैनिक और हमारी सेना दुनिया की सर्वोत्तम सेना है। जो जज़बा भारतीय सेना और इसके सैनिकों का है, वह कही और देखने को नहीं मिलेगा। कारगिल विजय दिवस विशेष।