कारगिल विजय दिवस: शहीद कैप्टन बत्रा के पिता ने कहा, सरकार पाकिस्तान को दे रही करारा जवाब
नई दिल्ली। कारगिल की जंग को आज 20 साल पूरे हो गए। आज ही के दिन 26 जुलाई 1999 को जम्मू कश्मीर के कारगिल में जारी भारत और पाकिस्तान के बीच करीब तीन से महीने से चले आ रहे संघर्ष के खत्म होने का ऐलान भारत की जीत के साथ किया गया था। इस खास मौके पर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा ने सरकार की प्रशंसा की है लेकिन साथ ही उन्होंने एक अपील भी सरकार से की है। कारगिल जिले के द्रास सेक्टर में भारत और पाकिस्तान के बीच मई 1999 से जंग की शुरुआत हुई थी।
जवाब के इंतजार में पिता
शहीद कैप्टन बत्रा के पिता जीएल बत्रा ने कहा है कि सरकार वर्तमान समय में पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आज भी आतंकवाद और सीमा पार से जारी घुसपैठ को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही जीएल बत्रा ने सरकार से अपील भी की है। कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन बत्रा 13 जम्मू कश्मीर राइफल्स के साथ थे और उन्होंने इस दौरान कंपनी का मजबूती के साथ नेतृत्व किया। कैप्टन बत्रा के पिता ने बताया कि उन्होंने सरकार से अपील की थी कि वह दिल्ली में सड़कों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे। शहीद बत्रा के पिता को अभी तक सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया का इंतजार है।
सिर्फ 24 वर्ष में शहीद कैप्टन बत्रा
कैप्टन बत्रा ने जंग में कारगिल की प्वाइंट 5140, प्वाइंट 4750 और प्वाइंट 4875 को दुश्मन के कब्जे से छुड़ाने में अहम भूमिका अदा की थी। सात जुलाई 1999 को कैप्टन बत्रा ने प्वाइंट 4875 से दुश्मनों को खदेड़ा और इस पोस्ट पर भारत की सेना ने फिर से तिरंगा लहराया। जिस समय वह अपने घायल सिपाहियों को वापस ला रहे थे, उसी समय दुश्मन की गोली ने उन्हें अपना निशाना बना लिया। सिर्फ 24 वर्ष की उम्र में कैप्टन बत्रा शहीद हो गए। चंडीगढ़ से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले कैप्टन बत्रा ने इंडियन मिलिट्री एकेडमी में दाखिला लिया। यहां से एक लेफ्टिनेंट के तौर पर वह भारतीय सेना के कमीशंड ऑफिसर बने और फिर एक कैप्टन बनकर कारगिल युद्ध में अपनी रेजीमेंट को लीड किया। कारगिल वॉर में उनके कभी न भूलने वाले योगदान के लिए उन्हें सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अगस्त 1999 को सम्मानित किया गया।