Kargil Vijay Diwas: राजनाथ सिंह ने किया शहीदों को नमन, अमित शाह ने कहा- बहादुर सैनिकों पर देश को नाज है
नई दिल्ली। कृतज्ञ राष्ट्र भारत आज कारगिल पर विजय की 21वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1999 में आज ही के दिन भारत के वीर सपूतों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर तिरंगा फहराया था। ''या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा या विजयश्री प्राप्त कर धरती का राज भोगेगा।'' गीता के इसी श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पांव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया शहीदों को नमन
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कारगिल विजय दिवस के 21 साल पूरे होने पर भारतीय सेना के वीर जवानों और शहीदों को उनके अदम्य साहस के लिए नमन किया, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा, 'कारगिल विजय की 21 वीं वर्षगांठ पर मैं भारतीय सशस्त्र बलों के उन बहादुर सैनिकों को सलाम करना चाहता हूं जिन्होंने हाल के इतिहास में दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में दुश्मन का मुकाबला किया और मैं उन लोगों का भी आभारी हूं जो युद्ध में अक्षम होने के बावजूद अपने तरीके से देश की सेवा करते रहे और अनुकरण के योग्य उदाहरण स्थापित किए।'
शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे रक्षा मंत्री
बता दें कि आज रक्षा मंत्री, सीडीएस और तीनों सेना के प्रमुख दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल में श्रद्धांजलि देंगे।
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देश को अपने वीरों पर गर्व है: अमित शाह
तो वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा कि कारगिल विजय दिवस भारत के स्वाभिमान, अद्भुत पराक्रम और दृढ़ नेतृत्व का प्रतीक है। मैं उन शूरवीरों को नमन करता हूँ, जिन्होंने अपने अदम्य साहस से करगिल की दुर्गम पहाड़ियों से दुश्मन को खदेड़ कर वहाँ पुनः तिरंगा लहराया। मातृभूमि की रक्षा के लिए समर्पित भारत के वीरों पर देश को गर्व है।
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527 भारतीय जवान शहीद हुए थे
1998 की सर्दियों में ही कारगिल की ऊंची पहाडि़यों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा जमा लिया था। 1999 की गर्मियों की शुरुआत में जब सेना को पता चला तो सेना ने उनके खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे। वह सैन्य ऑपरेशन आठ मई को शुरू हुआ और 26 जुलाई को खत्म हुआ। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और ताकत का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर भारतीय को गर्व है।
चार शुरवीरों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया
इस युद्ध के बाद चार शुरवीरों को भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। जिसमें लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पांडे (प्रथम बटालियन, ग्यारहवीं गोरखा राइफल्स, मरणोपरांत), ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (अठारहवीं बटालियन, द ग्रेनेडियर्स), राइफलमैन संजय कुमार (तेरहवीं बटालियन, जम्मू कश्मीर राइफल्स) और कैप्टन विक्रम बत्रा (तेरहवीं बटालियन, जम्मू कश्मीर राइफल्स, मरणोपरांत) शामिल हैं।
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