कारगिल की मश्कोह घाटी जहां मुशर्रफ ने बनायी थी नापाक रणनीति
कैसे पाक ने उठाया शिमला समझौते का फायदा
दरअसल
भारत
और
पाकिस्तान
के
बीच
सन
1972
में
शिमला
समझौता
हुआ।
इस
समझौते
के
तहत
दोनों
देश
इस
बात
पर
राजी
हुए
थे
कि
सर्दियों
के
समय
जब
बर्फबारी
काफी
होती
है,
पोस्टों
से
सेना
को
हटा
लिया
जाएगा।
भारत
तो
सन
1999
तक
इस
समझौते
पर
अमल
करता
रहा,
लेकिन
पाक
ने
इसकी
आड़
लेकर
भारत
के
खिलाफ
युद्ध
की
शुरुआत
कर
दी।
यहीं डाला था पाकिस्तानी सैनिकों ने डेरा
द्रास की मश्कोह वैली को पाक ने अपने अहम गढ़ के तौर पर चुना। यहां पर बर्फ की आड़ लेकर कब पाक आतंकी देश में दाखिल हो गए, किसी को भी भनक नहीं लग सकी। हालात तब और भी बदतर हो गए थे जब खुद जनरल परवेज मुशर्रफ यहां तक आ पहुंचे। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाक का मकसद इस पूरी घाटी को अपने कब्जे में लेकर फिर धीरे-धीरे कश्मीर पर कब्जा करना था।
कारगिल जंग की 15वीं वर्षगांठ पर विशेष कवरेज | देखें मुश्कोह की तस्वीरें स्लाइडर में।
सन्नाटे के साये में है यह घाटी
आज भी जब आप मश्कोह वैली आएंगे तो यहां पर मौजूद एक अजीब सा सन्नाटा पसरा रहता है।
जंग की याद दिलाती घाटी
यह घाटी यहां आने वालों को न चाहते हुए भी कारगिल की जंग की याद दिला ही देगा।
मुशकोह का सन्नाटा
यहां वो जंग लड़ी गई थी जिसमें पड़ोसी ने हमारी पीठ में छुरा घोंपने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
यहीं से शुरू हुआ था कारगिल युद्ध
पाकिस्तान के सैनिकों ने इसकी आड़ लेकर भारत के खिलाफ युद्ध की शुरुआत की थी।
यहीं बनाये थे बंकर
पाक सेना ने यहां पर दर्जनों बंकर बनाये थे। उन्हीं बंकरों में रहकर जंग लड़ी थी।