Kargil Vijay Diwas:'मेरे शहीद पिता के शव को लाने में 13 दिन लग गए थे', कारगिल हीरो की बेटी ने बताई कहानी
Kargil Vijay Diwas:'मेरे शहीद पिता के शव को लाने में 13 दिन लग गए थे', कारगिल हीरो की बेटी ने बताई कहानी
नई
दिल्ली,
26
जुलाई:
कारगिल
युद्ध
में
भारत
को
मिली
जीत
के
22
साल
पूरे
हो
गए
हैं।
इस
जंग
में
पाकिस्तान
को
मुंह
की
खानी
पड़ी
थी।
करगिल
जंग
के
दौरान
भारतीय
सेना
ने
ऑपरेशन
विजय
चलाया
था।
3
मई
1999
को
कारगिल
युद्ध
में
की
शुरुआत
हुई
थी,
जो
26
जुलाई
को
खत्म
हुई,
इसलिए
हर
साल
कारगिल
विजय
दिवस
26
जुलाई
को
मनाया
जाता
है।
भारतीय
सेना
ने
फिर
26
जुलाई
1999
को
ये
ऐलान
किया
था
कि
मिशन
सफलतापूर्वक
पूरा
हो
गया
है।
इस
कारगिल
विजय
दिवस
पर
हम
आपको
कारगिल
हीरो
लांस
नायक
राजेंद्र
यादव,
एसएम
(पी)
के
बारे
में
बताएंगे,
जो
कारगिल
की
जंग
में
शहीद
हुए
थे।
कारगिल
हीरो
राजेंद्र
यादव
की
बेटी
मेघा
यादव
ने
कहा
है
कि
उन्होंने
ने
अपने
पिता
को
कभी
नहीं
देखा
है
कि
क्योंकि
उनका
जन्म
पिता
के
शहीद
होने
और
कारगिल
जंग
के
ठीक
छह
महीने
बाद
हुआ
था।
मेघा
यादव
कहती
हैं,
'मुझे
दर्द
होता
है
लेकिन
अपने
पिता
पर
गर्व
है।'
10 साल की उम्र तक बेटी को नहीं पता था कि पिता कारगिल में शहीद हुए हैं
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कारिगल हीरो लांस नायक राजेंद्र यादव की बेटी मेघा यादव को 10 सालों तक नहीं पता था कि उनके पिता कारगिल वॉर में शहीद हुए थे। मेघा यादव कहती हैं, ''मेरे पिता के शहीद होने के कुछ महीनों बाद मेरा जन्म हुआ। जब भी मैंने अपनी मां से पिता के बारे में पूछा, तो मुझे बताया गया कि वह किसी दूसरे शहर में काम करता हैं। एक दिन मैंने मां से बहुत जिद्द की और कहा है कि मैं जनाना चाहती हूं कि अगर मेरे पिता दूसरे शहर में काम करते हैं तो कभी मिलने या फोन क्यों नहीं करते हैं। तब मेरी मां ने बताया कि मेरे लांस नायक राजेंद्र यादव ने कारगिल जंग में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। ये सुनकर मैं पूरी तरह से हिल गई थी लेकिन मुझे मेरे पिता पर बहुत गर्व भी महसूस हुआ।''
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'मेरे पापा चाहते थे, हम सेना में जाएं...'
मेघा यादव अपने परिवार के साथ इंदौर में रहती हैं और स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं और सिविल सेवाओं की भी तैयारी कर रही हैं। मेघा यादव कहती हैं, ''उस दिन मेरे पापा (लांस नायक राजेंद्र यादव) के बारे में मेरी मां ने बहुत कुछ बताया। मां ने कहा कि आखिरी कुछ बातचीत में तुम्हारे पापा ने हम सब खासकर तुम बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने की बात कही थी। तुम्हारे पापा चाहते थे कि उनके बच्चे देश की सेना में शामिल हों।''
मेघा यादव ने कहा, मैं भी सेना में जाना चाहती थी, अगर सेना नहीं तो एनसीसी कैडेट में शामिल होना चाहती थी लेकिन मेरी मां ने मुझे मना कर दिया। मैंने यहां तक कहा कि 'मम्मी, मैं कौन सा बॉर्डर पे जाऊंगी', लेकिन उन्होंने कहा नहीं। वो डर गई हैं।''
'13 दिन लग गए थे मेरे पिता के शव को लाने में...'
मेघा ने कहा, भारतीय सेना के साथ मेरा जुड़ाव है और पिता के दोस्तों के जरिए वो जुड़ाव बना हुआ है। पिता के कई ऐसे दोस्त हैं, जो अभी भी हमारे परिवार के संपर्क में हैं। सभी चाचा बताते हैं कि मेरे पिता बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे। वह जहां जाते थे उसी माहौल में खुद को ढाल लेते थे। उन्ही में से एक ने मुझे बताया कि मेरे पिता के शव को वापस लाने में उनलोगों को 13 दिन लगे थे क्योंकि कारगिल जंग में फायरिंग बहुत तेज थी। ये सुनकर मुझे बहुत दर्द होता है, लेकिन मुझे गर्व है।''