PICS:किसानों ने फिर ठुकराया सरकार का लंच,जमीन पर बैठ खाया खाना
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के मुद्दे पर विज्ञान भवन में किसानों और सरकार के बीच आज पांचवें दौर की बातचीत चल रही है। सिंघु बॉर्डर हो या फिर नोएडा से लगा चिल्ला बॉर्डर, किसान सड़कें जाम कर बैठे हुए हैं। किसान अंदोलन हर दिन विशाल रुप लेता जा रहा है। इसी बीच शनिवार को पांचवे दौर चल रही है। बैठक के दौरान विज्ञान भवन से एक अहम तस्वीर सामने आई है। वार्ता में हिस्सा ले रहे किसानों को के लिए एक गाड़ी खाना लेकर विज्ञान भवन पहुंची है।
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किसानों के लिए विज्ञान भवन पहुंचा खाना
शनिवार दोपहर करीब 2 बजे के आसपास कार सेवा लिखा हुई एक गाड़ी विज्ञान भवन पहुंची। जिसमें किसानों के लिए खाना लाया गया था। गाड़ी के साथ आए युवक खाना लेकर विज्ञान भवन के अंदर पहुंचाया। इससे एक बात साफ है कि किसानों ने पिछली बार की तरह इस बार भी सरकार का खाना खाने से इनकार कर दिया है। इससे पहले 3 दिसंबर को हुई चौथे दौर की वार्ता के दौरान भी किसानों ने सरकार की ओर दिया गया भोजन ठुकरा दिया था और अपने साथ लेकर आया खाना खाया था।
किसानों ने जमीन पर बैठकर खाना खाया
सरकार और किसान नेताओं की बैठक में 15 मिनट का टी ब्रेक हुआ है। जिसमें पिछली बार की तरह इस बार भी किसानों ने जमीन पर बैठकर खाना खाया। इस दौरान की कई फोटो और वीडियो सामने आए हैं। जिसमें किसान बारी-बारी से खाना लेकर वहीं जमीन पर बैठकर खाते दिख रहे हैं।
तीनों कानूनों को वापस लेने पर अड़े किसान
न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जारी रखने की लिखित गारंटी देने और कृषि बिलों के जिन प्रोविजंस पर किसानों को आपत्ति है, उनमें संशोधन करने को भी तैयार है। लेकिन, किसान तीनों कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। किसानों ने मीटिंग से पहले कहा कि सरकार बार-बार तारीख दे रही है। ऐसे में सभी संगठनों ने फैसला लिया है कि आज बातचीत का आखिरी दिन है।
8 दिसंबर को भारत बंद
आज बैठक में कोई और बात नहीं होगी, सिर्फ कानूनों को रद्द करने के लिए ही बात होगी। इससे पहले शुक्रवार को किसानों ने कहा कि अगर तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। किसानों ने सभी टोल प्लाजा पर कब्जे की भी चेतावनी दी है। उधर हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के गृह मंत्री अनिल विज से मुलाकात की और विरोध करने पर किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने की मांग की है।
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