तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार बनाने पर क्या बोले कन्हैया कुमार, चिराग पासवान पर भी दिया बड़ा बयान
तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार बनाने पर क्या बोले कन्हैया कुमार, चिराग पासवान पर भी दिया बड़ा बयान
पटना: Bihar Assembly election 2020: बिहार विधानसभा चुनाव-2020 को लेकर अब जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी (JNU) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) भी प्रचार में लग गए हैं। कन्हैया कुमार ने महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav) से लेकर चिराग पासवान (Chirag Paswan) के अकेले चुनावी मैदान में उतरने पर अपनी बात रखी है। कन्हैया कुमार ने साफ कर दिया है कि इस बार के चुनाव में बीजेपी को रोकना ज्यादा अहम मुद्दा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि इस बार बिहार में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट नहीं पड़ने वाले हैं, हर किसी के मन में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के खिलाफ गुस्सा है। कन्हैया ने कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश जी मुद्दा तो हैं लेकिन असल मुद्दा बीजेपी को रोकना है। कन्हैया कुमार ने बिहार की राजनीति के कई पहलूओं पर खुलकर अपनी बात कही है। आइए जानें उन्होंने क्या-क्या कहा?
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तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार बनाने पर क्या बोले कन्हैया?
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में, तेजस्वी यादव को महागठबंधन का सीएम उम्मीदवार बनाने पर कन्हैया कुमार ने कहा, संसदीय लोकतंत्र में सबसे बड़ी पार्टी, जिसके पास ज्यादा संख्या है, वह सीएम या पीएम होता है। ठीक उसी तरह इस चुनाव में राजद 144 सीटों पर, 70 पर कांग्रेस और 29 में वामदल चुनाव लड़ रहा है - तो जाहिर है कि सीएम राजद से ही होंगे। और यह राजद का फैसला है कि वह किसे सीएम बनाना चाहता है। हम उस निर्णय को बदल नहीं सकते।
कन्हैया कुमार ने कहा, हमारे गठबंधन का आधार क्या है? हमारा गठबंधन एक सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम पर बना था। और इसमें राजनीतिक लाइन क्या है? हमें सांप्रदायिक ताकतों को रोकना है, नवउदारवादी लूट को खत्म करना है और बिहार के विकास के लिए काम करना है। लोगों के पास बेहतर बुनियादी ढांचा, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, नौकरी के अवसर के लिए काम करना है। महागठबंधन के सभी नेता रोजगार और पलायन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने उस एजेंडे के साथ गठबंधन में प्रवेश किया। अगर हमें बहुमत मिलता है तो सीएम कौन होगा, यह सवाल हमारे लिए महत्वपूर्ण नहीं है। जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे तो लोगों ने सोचा था कि सोनिया गांधी बनेंगी।
चिराग पासवान के अकेले चुनाव लड़ने पर क्या बोले कन्हैया?
चिराग पासवान के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले को आप कैसे देखते हैं? इस सवाल के जवाब में कन्हैया कुमार ने कहा, लोकतंत्र में हर पार्टी - बड़ा या छोटा - या हर किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार है। यदि वह (चिराग) महसूस करता है कि उसकी पार्टी को स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना चाहिए, तो उसे ऐसा करना चाहिए। चुनाव लड़ने का अधिकार किसी को कैसे सौंप सकते हैं? मैं वोट-स्प्लिटर (एआईएमआईएम के लिए बनाई गई) की राजनीतिक सादृश्यता का समर्थन नहीं करता। इसका मतलब है कि भारत में दो-पक्षीय प्रणाली होनी चाहिए, न कि बहु-पक्षीय प्रणाली। जब हमारे पास बहुदलीय व्यवस्था है, तो आप एक पार्टी को दूसरे का वोट-कटवा कैसे कह सकते हैं? लोकतंत्र की खूबी यह है कि हर कोई चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है। एक बहुदलीय प्रणाली को हमेशा बेहतर माना जाता है।
बिहार चुनाव में कन्हैया लो-प्रोफाइन क्यों हैं?
ऐसी धारणा है कि आप जानबूझकर इस चुनाव में लो प्रोफाइल बने हुए हैं? इस सवाल के जवाब में कन्हैया कुमार ने कहा, ''मैं हमेशा से एक लो-प्रोफाइल व्यक्ति रहा हूं। मीडिया मेरी प्रोफाइल को बढ़ाती और घटाती है। मेरी राजनीतिक प्रतिबद्धता है और मैं इसके लिए लड़ता हूं। सोच (इस समय) यह थी कि बीजेपी विरोधी मतों का विभाजन नहीं होना चाहिए और हमें गठबंधन में प्रवेश करना चाहिए। पार्टी (सीपीआई) मुझे जो भी जिम्मेदारी दे रही है, मैं उसे पूरा कर रहा हूं।
बिहार चुनाव इस वक्त नहीं होना चाहिए था: कन्हैया कुमार
बिहार विधानसभा चुनाव-2020 को आप कैसे देखते हैं? इस सवाल के जवाब में कन्हैया कुमार ने कहा, '' मेरे दो अवलोकन हैं। पहला यह कि चुनावों को कोरोनो वायरस की स्थिति में नहीं होना चाहिए था। लेकिन मुझे लगता है कि राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के लिए, उनके काम और शक्ति का प्रदर्शन ज्यादा जरूरी है, लोगों का ध्यान किसी को नहीं है। इस बात की अटकलें थीं कि चुनाव कैसे होंगे, रैलियां कैसे होंगी, भीड़ कैसे जुटेगी, लोग वोट डालने के लिए कैसे निकलेंगे, लेकिन धीरे-धीरे यह साफ हो गया है कि चुनाव वैसे ही हो रहे हैं जैसे पहले होते थे।''
कन्हैया कुमार ने कहा, ''दूसरी बात यह है कहा जा रहा था कि यह एकतरफा चुनाव होने जा रहा था और NDA के पास बढ़त है, उनको कोई टक्कर देने वाला नहीं है। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव प्रचार ने रफ्तार पकड़ी है, यह धारणा टूट गई है। यह एकतरफा चुनाव नहीं है और इस बार लोगों में NDA के खिलाफ बहुत गुस्सा है, खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ।''