क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कंगना ने सैफ़ अली ख़ान के खत के जवाब में लिखा, फिर तो मुझे किसान होना चाहिए

  • बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद की बहस को आगे बढ़ाते हुए सैफ़ ने एक लेटर लिखा था.
  • इस पत्र में सैफ़ ने कई मुद्दों को उठाते हुए अपनी बात कही थी.
  • सैफ़ के पत्र के जवाब में अब कंगना रनौत भी सामने आई हैं.
  • अभिनेत्री कंगना रनौत ने बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद पर सैफ़ के पत्र का दिया जवाब.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
कंगना और सैफ़ अली ख़ान
Getty Images
कंगना और सैफ़ अली ख़ान

बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद की बहस को आगे बढ़ाते हुए सैफ़ अली ख़ान ने एक ओपन लेटर लिखा था. इस पत्र में सैफ़ ने कई मुद्दों को उठाते हुए अपनी बात कही थी. सैफ़ के पत्र के जवाब में अब कंगना रनौत भी सामने आई हैं.

कंगना के शब्दों में ही पढ़िए सैफ़ को लिखा जवाब-

भाई-भतीजावाद की बहस का विस्तार थमता नहीं दिखा रहा है. हालांकि इस बहस में हर कोई अपना तर्क एक सौहार्दपूर्ण माहौल में रख रहा है. इस बहस में मुझे कुछ दृष्टिकोण अच्छे लगे तो कुछ से मैं परेशान भी हुई. इस सुबह मैं जगी तो सैफ़ अली ख़ान का ऑनलाइन ओपन लेटर देखा.

पिछली बार मैं इस मुद्दे पर फ़िल्मकार करण जौहर के लिखे ब्लॉग से काफ़ी दुखी और परेशान हुई थी. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि फ़िल्म के बिज़नेस को बढ़ाने के लिए कई मानदंड हैं. उन मानदंडों में प्रतिभा नहीं थी.

करण तुम अपनी बेटी को हर कार्ड देना: कंगना

कंगना को भिड़ने से डर क्यों नहीं लगता?

कंगना-ऋतिक झगड़ा, और उलझ गया मामला?

कंगना रनौट
Getty Images
कंगना रनौट

करण जौहर भोले हैं?

अगर वह गलफहमी के शिकार हैं या वह बिल्कुल भोले हैं तो मुझे नहीं पता, लेकिन उन्होंने ऐसा कहकर दिलीप कुमार, के आसिफ, बिमल रॉय, सत्यजीत रॉय, गुरुदत्त और ऐसी कई प्रतिभाओं की बेइज़्ज़ती की है. जिनका मैंने नाम लिया उनके पास असाधारण प्रतिभा थी और है, जिनसे हमारी समकालीन फ़िल्म की रीढ़ बनी है. करण जौहर का ऐसा कहना कितना हास्यास्पद है.

यहां तक की आज के वक़्त में ऐसी कई मिसालें हैं जहां लोगों ने बिना ब्रैंडेड कपड़े, आभिजात्य ज़ुबान, बनावटी परवरिश के मजबूती से मौजूद हैं और कड़ी मेहनत से ख़ुद को स्थापित कर रहे हैं. उनमें सीखने की लालसा है, परिश्रमी हैं और उत्साह से भरे हुए हैं. दुनिया भर में आपको ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे. ऐसे लोग हर क्षेत्र में हैं.

मेरे प्रिय दोस्त सैफ़ ने इस मुद्दे पर एक पत्र लिखा है और मैं भी इस पर अपना दृष्टिकोण रखना चाहती हूं. लोगों से मेरा अनुरोध है कि इसकी ग़लत तरीक़े से व्याख्या नहीं करें और एक-दूसरे पर कीचड़ नहीं उछालें.

कंगना रनौट
Getty Images
कंगना रनौट

भाई-भतीजावाद कोई व्यक्तिगत मुद्दा नहीं

यह अपने-अपने तर्कों को रखने का सिलसिला है न कि यह कोई व्यक्तिगत दुश्मनी का मामला है. सैफ़ आपने अपने पत्र में लिखा है, ''मैं कंगना से माफ़ी मांगता हूं और मुझे इस मामले में कोई स्पष्टीकरण नहीं चाहिए क्योंकि इस मुद्दे पर अब बहुत बात हो गई है.'' लेकिन यह मुद्दा केवल मेरे लिए नहीं है.

भाई-भतीजावाद एक चलन है जिसमें लोग एक ख़ास तरह की मानवीय भावना से काम करते हैं. यह कोई बुद्धिजीवियों वाली प्रवृत्ति नहीं है. जो काम निष्पक्ष और ईमानदारी वाले मूल्यों के बजाय केवल मानवीय स्वभावों से संचालित हो रहे हैं वहां सतही और सस्ते में फ़ायदा उठाने की प्रबल संभावना होती है. ये वास्तव में रचनात्मक नहीं होते हैं और यह सवा अरब की आबादी वाले देश में लोगों की असली क्षमता पर पानी फेरने की तरह है.

भाई-भतीजावाद कई स्तरों पर है. इसमें निष्पक्षता और तर्कशीलता के लिए कोई जगह नहीं होती है. मैंने उन लोगों से इन मूल्यों को हासिल किया है जिन्होंने सच्चाई के दम पर कामयाबी के झंडे गाड़े. ये मूल्य लोगों के जीवन में कोई गोपनीय रहस्य नहीं हैं बल्कि आम जनजीवन में यह मौजूद है. इस पर किसी का एकाधिकार नहीं है.

कंगना रनौट
Getty Images
कंगना रनौट

महान हस्तियों में विवेकानंद, आइंस्टीन और शेक्सपियर का ताल्लुक किसी ख़ास से नहीं था. ये समावेशी मानवीयता से ताल्लुक रखते हैं. इनके कामों से हमारे भविष्य की दशा और दिशा तय हुई. उसी तरह से हमारे कामों की बदौलत हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को दिशा मिलेगी.

आज मेरे पास उन मूल्यों के साथ डटे रहने की इच्छाशक्ति है. संभव है मैं कल कमज़ोर पड़ा जाऊं और अपने बच्चों के स्टारडम के सपने साकार करने में लग जाऊं. इस मामले में मेरा मानना है कि मैं व्यक्तिगत रूप से नाकाम होऊंगी, लेकिन इससे उस मूल्य की महिमा कम नहीं हो जाती है. ये मूल्य वक़्त के साथ मजबूती से डटे रहेंगे. हमलोगों के जाने के बाद भी.

इसलिए हम सभी को एक स्पष्टीकरण देते हैं जो या तो इसे स्वीकार करते हैं या जो अपने मूल्यों को गले लगाते हैं. जैसा कि मैं कहती हूं हम वे लोग हैं जो आने वाली पीढ़ी के भविष्य को आकार देंगे.

कंगना रनौट
Getty Images
कंगना रनौट

पत्र के अगले हिस्से में आपने वंश और स्टार के बच्चों के संबंधों के बारे में बात की है. यहां आपने ज़ोर दिया है कि भाई-भतीजावाद एक किस्म का निवेश है और जांचे-परखे वंशानुगत गुण हैं. मैंने अपने जीवन के अहम हिस्सों को अनुवांशिकी के अध्ययन में लगाया है. मैं इस समझने में नाकाम रही कि आप अनुवांशिक रूप से हाइब्रिड घोड़े की तुलना एक कलाकार से कैसे कर सकते हैं?

क्या आप यह समझते हैं कि कलाबोध, कड़ी मेहनत, अनुभव, एकाग्रता, उत्साह, लालसा, अनुशासन और प्रेम अनुवांशिकी ख़ासियत हैं? अगर आप सही हैं तो मुझे किसान होना चाहिए था. अगर अनुवांशिकी का संबंध इतना गहरा होता है तो मेरे भीतर हालात को समझने का पैनापन और अपनी चाहतों को पीछा करने का जो समर्पण है उससे हैरान होना चाहिए.

कंगना रनौट
Getty Images
कंगना रनौट

अनुवांशिकी का तर्क ग़लत

आपको अनुवांशिकी विज्ञान को समझने वाले लोगों से बात करनी चाहिए. अब तक मैं मानती हूं कि मानव नस्ल के डीएनए से महानता और श्रेष्ठता की राह नहीं निकलती है. अगर ऐसा होता तो हम आइंस्टीन, लियोनार्डो दा विंची, शेक्सपियर, विवेकानंद, स्टीफन हॉकिन्स, टेरेंस ताओ, डेनियल डे-लिवाइस जैसी महान शख़्सियतों को फिर से अपने बीच पाते.

आपने मीडिया को भी दोषी ठहराया और कहा कि भाई-भतीजावाद का असली झंडावाहक वही है. आपकी ध्वनि से ऐसा लग रहा है कि इसकी बात करना कोई गुनाह है. हालांकि इसका सच्चाई से कोई संबंध नहीं है.

भाई-भतीजावाद मानवीय स्वभाव की महज एक कमज़ोरी है. इससे हमारी इच्छाशक्ति और हमारी आंतरिक प्रकृति से जो मजबूती हासिल होती है वह प्रभावित होती है. जो इसमें भरोसा नहीं करते हैं उनके सिर पर हम बंदूक नहीं तान सकते कि असली प्रतिभा को चुनो. ऐसे में किसी के चुनाव का बचाव करने की कोई ज़रूरत नहीं है.

सैफ़ अली ख़ान
Getty Images
सैफ़ अली ख़ान

वास्तव में इस मुद्दे पर मेरी अहम बातें बाहरी लोगों को कम प्रभावित करती होंगी. अन्य क्षेत्रों की तरह इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के भी सभी हिस्सों में दादागिरी, ईर्ष्या, भाई-भतीजावाद और क्षेत्रवाद जैसी मानवीय प्रवृत्तियां मौजूद हैं. अगर आपको मुख्यधारा में स्वीकार्यता नहीं मिलती है तो हार मानने की ज़रूरत नहीं है. यहां करने के लिए कई रास्ते हैं.

मैं समझती हूं कि कम से कम इस बहस पर विशेषाधिकार का इल्ज़ाम लगाया जा सकता है. इस बहस में कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं. परिवर्तन केवल उन लोगों के कारण हो सकता है जो इसे चाहते हैं. यह सपने देखनेवालों का विशेषाधिकार है वह क्या करना चाहता है और उसे कोई मना नहीं कर सकता है.

सैफ़ अली ख़ान
Getty Images
सैफ़ अली ख़ान

आप बिल्कुल सही हैं- अमीरी और शोहरत के साथ रहने में उत्साह और प्रंशसा की कमी नहीं होती है. लेकिन हमे यह भी सोचना चाहिए कि हमारी रचनात्मक इंडस्ट्री को मोहब्बत हमारे मुल्क के लोगों से मिलती है क्योंकि हम उनके लिए आईने की तरह हैं- चाहे 'ओमकारा' का लंगड़ा त्यागी हो या 'क्वीन' की रानी हम साधारण किरदार के लिए असाधारण प्यार पाते हैं.

तो क्या हमें भाई-भतीजावाद के साथ शांति बनाई रखनी चाहिए? जिनके लिए भाई-भतीजावाद काम करता है वो उसके साथ शांति से रहें. मेरा मानना है कि यह तीसरी दुनिया के देशों के लिए एक निराशावादी प्रवृत्ति है. इन देशों में ज़्यादातर लोग पेट नहीं भर पाते हैं, बेघर हैं, कपड़े नहीं हैं और शिक्षा तो दूर की बात है. दुनिया कोई आदर्श स्थान नहीं है और शायद कभी न हो. हमलोग कला इंडस्ट्री में क्यों हैं, क्योंकि हम उम्मीद का दीपक थामे होते हैं.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Kangana wrote in response to Saif Ali Khan's letter, then I should be a farmer
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X