क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कंगना रनौत 'मणिकर्णिका-झाँसी की रानी' से पहले कौन-सी हिरोइनें डायरेक्टर भी रहीं?

वैसी दूसरी भाषाओं की बात करें तो तेलुगु में सावित्री (जेमिनी गणेशन की दूसरी पत्नी) वहाँ की सबसे मशहूर हिरोइनों में थीं और उन्होंने हीरोइन रहते हुए 60 के दशक में तीन बड़ी फ़िल्मों का निर्देशन किया.

मराठी की बात करें तो कई अभिनेत्रियाँ फ़िल्मों का निर्देशन कर रही हैं जैसे मृणाल कुलकर्णी.

हॉलीवुड में भी ये लिस्ट छोटी ही है- एंजेलीना जोली, नैटली पोर्टमैन, जोडी फ़ॉस्टर जैसी कुछ अभिनेत्रियाँ हैं जिन्होंने फ़िल्में निर्देशित की हैं.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News

रानी लक्ष्मीबाई पर बनी नई फ़िल्म 'मणिकर्णिका-झाँसी की रानी' में कंगना रनौत का नाम सह निर्देशक के तौर पर दिया गया है.

50 और 60 के दशक में राज कपूर, देव आनंद और दिलीप कुमार की त्रिमूर्ति ऐसी थी कि लाखों लोग इनकी एक्टिंग के दीवाने थे. लेकिन, राज कपूर अपनी फ़िल्में निर्देशित भी किया करते थे.

गुरु दत्त, देव आनंद और किशोर कुमार भी अभिनेता होने के साथ-साथ निर्देशक थे.

तो क्या ऐसी अभिनेत्रियाँ भी रही हैं जिन्होंने अभिनय के साथ-साथ निर्देशन में भी उतना ही नाम कमाया हो. ख़ुद को निर्देशित किया हो जैसा राज कपूर, किशोर कुमार, गुरु दत्त या देव आनंद करते थे.

फ़्लैशबैक में जाएँ तो ज़हन में आती हैं फ़ातिमा बेगम जिन्हें हिंदी सिनेमा की पहली महिला फ़िल्म निर्देशक भी कहा जाता है. 1926 में उन्होंने फ़िल्म 'बुलबुल ए परिस्तान' का निर्देशन किया था.

साइलेंट फ़िल्मों का दौर

वो साइलेंट फ़िल्मों का दौर था और अकसर मर्द ही हीरोइन का रोल भी कर लिया करते. लेकिन 1922 में फ़ातिमा ने 'वीर अभिमन्यु' नाम की फ़िल्म में बतौर हीरोइन काम किया.

चंद साल के अंदर-अंदर वो फ़िल्म लिखने, निर्देशित करने लगीं और अपना बैनर भी बनाया. उस ज़माने के हिसाब से वो बड़ी बात थी. वो अकसर फैंटसी फ़िल्में बनातीं और फ़ोटोग्राफ़ी का ऐसा इस्तेमाल करती कि वो स्पेशल इफ़ेक्ट की तरह लगता.

फ़ातिमा बेगम कोहिनूर और इंपीरियल स्टूडियो की बड़ी फ़िल्मों में बतौर हिरोइन काम करती रहीं और साथ ही अपने बैनर तले हीर रांझा, शकुंतला जैसी फ़िल्में निर्देशित करती रहीं.

उनकी बेटी ज़ुबैदा 1931 में पहली टॉकी फ़िल्म 'आलम आरा' की हिरोइन बनीं.

नूतन
BBC
नूतन

जब फ़िल्म बनाकर माँ ने किया नूतन को लॉन्च

इसी तरह शोभना समर्थ 40 के दशक की बड़ी स्टार थीं- नूतन और तनुजा की माँ और काजोल की नानी.

भरत मिलाप, राम राज्य जैसी फ़िल्मों में सीता के रोल में वो इतनी मशहूर थीं कि कैलेंडर पर उनकी फ़ोटो बतौर सीता छपती थी, फ़िल्म में जब वो आतीं तो लोग श्रद्धा में फूल बरसाने लगते.

जब बेटियों नूतन और तनुजा को लॉन्च करने की बारी आई तो शोभना ने ख़ुद निर्देशन और निर्माण की कमान संभाली.

अकसर बड़े अभिनेता अपने बेटों को लॉन्च करते हैं लेकिन यहाँ शोभना समर्थ ने ख़ुद फ़िल्म बनाकर दोनों बेटियों का करियर शुरू किया. हमारी बेटी (1950) में नूतन और तनुजा को लॉन्च किया. छबीली (1960) की निर्देशक भी वही थीं.

30 और 40 के दशक में अशोक कुमार के साथ कंगन, बंधन और झूला जैसी फ़िल्में करने वालीं और लक्स साबुन के लिए पहली भारतीय महिला मॉडल बनने वाली लीला चिटनिस ने भी 1955 में 'आज की बात' का निर्देशन किया.

40 के दशक में फ़िल्मों में बतौर हीरोइन काम करने वाली प्रोतिमा दासगुप्ता ने कुछ फ़िल्में निर्देशित कीं. लेकिन, कहते हैं कि 1948 में उनकी बनाई फ़िल्म 'झरना' देखने के बाद तब बॉम्बे प्रेसिडेंसी के मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई ने इस पर बैन लगा दिया था क्योंकि उनके हिसाब से ये फ़िल्म बहुत ही उत्तेजक थी.

आने वाले सालों में साईं परांजपई, कल्पना लाजमी जैसी महिला निर्देशक थीं लेकिन किसी बड़ी अभिनेत्री का अभिनय करते हुए निर्देशन भी करने का ट्रेंड अब भी धीमा ही था.

अपर्णा सेन
BBC
अपर्णा सेन

अपर्णा सेन

इसी बीच बंगाल में 1961 में सत्यजीत रे के निर्देशन में अभिनेत्री अपर्णा सेन ने 'तीन कन्या' में काम किया. अपर्णा ने जल्द ही बतौर अभिनेत्री अपनी जगह बना ली और कई अवॉर्ड जीते. 1981 में '36 चौरंगी लेन' बनाकर वो उन चंद अभिनेत्रियों की लिस्ट भी शामिल हो गईं, जो निर्देशक भी थीं.

2010 में अपर्णा सेन ने फ़िल्म 'इति मृणालिनी' को न सिर्फ़ निर्देशित किया बल्कि अपनी बेटी कोंकणा के साथ फ़िल्म में काम भी किया. इससे पहले 2002 में उन्होंने 'मिस्टर एंड मिसीज़ अय्यर' में भी कोंकणा को निर्देशित किया था.

अभिनेत्री हेमा मालिनी ने 90 के दशक में दिव्या भारती और शाहरुख़ ख़ान को ब्रेक दिया और 'दिल आशना' का निर्देशन किया. पर ख़ुद अपनी फ़िल्म में काम नहीं किया.

2002 में रेवती की फ़िल्म 'मित्र-माई फ़्रैंड' को कौन भूल सकता है जिसमें रेवती ने अभिनय भी किया और निर्देशन भी. ये फ़िल्म ऑल-वुमन क्रू के लिए भी काफ़ी मशहूर हुई थी.

क्यों कम अभिनेत्रियाँ बनती हैं निर्देशक

नई पीढ़ी की बात करें तो कई ऐसी अभिनेत्रियाँ हैं जो फ़िल्में निर्देशित भी कर रही हैं. अपर्णा सेन की बेटी कोंकणा सेन ने 2017 में अपनी पहली फ़िल्म 'ए डैथ इन द गंज' का निर्देशन किया. हालांकि उसमें काम नहीं किया.

अभिनेत्री नंदिता दास ने भी फ़िराक़ और मंटो बनाई लेकिन ख़ुद अभिनय से दूर रहीं.

जबकि जब आमिर ख़ान ने 'तारे ज़मीन पर' डायरेक्ट की और ख़ुद टीचर के रोल में थे या अजय देवगन ने 2016 में शिवाय बनाई तो वो निर्देशक भी थे और हीरो भी.

पहले के दौर में जब राज कपूर या किशोर कुमार या गुरु दत्त अपनी फ़िल्म के निर्देशक भी होते थे तो हमेशा फ़िल्म में उनका रोल लार्जर दैन लाइफ़ रहता था. लेकिन ऐसी हिरोइनों की गिनती सीमित है.

फ़िल्मों में महिला निर्देशकों की संख्या इंडस्ट्री में हमेशा कम ही रही है. इसलिए ये गणित शुरू से ही महिलाओं के ख़िलाफ़ रहा है.

एक महिला निर्देशक, जो फ़िल्म की हिरोइन भी है, उस पर पैसा लगाना आज भी थोड़ा जोखिम का काम ही माना जाता है.

ये बताते चलें कि इस स्टोरी में उन महिलाओं का ज़िक्र नहीं है जो सिर्फ़ निर्देशन करती हैं मसलन फ़राह ख़ान, ज़ोया अख़्तर बल्कि बात उनकी हो रही है जो अभिनय के साथ-साथ अपनी फ़िल्म की निर्देशक भी हैं.

एंजलीना जोली
Getty Images
एंजलीना जोली

वैसी दूसरी भाषाओं की बात करें तो तेलुगु में सावित्री (जेमिनी गणेशन की दूसरी पत्नी) वहाँ की सबसे मशहूर हिरोइनों में थीं और उन्होंने हीरोइन रहते हुए 60 के दशक में तीन बड़ी फ़िल्मों का निर्देशन किया.

मराठी की बात करें तो कई अभिनेत्रियाँ फ़िल्मों का निर्देशन कर रही हैं जैसे मृणाल कुलकर्णी.

हॉलीवुड में भी ये लिस्ट छोटी ही है- एंजेलीना जोली, नैटली पोर्टमैन, जोडी फ़ॉस्टर जैसी कुछ अभिनेत्रियाँ हैं जिन्होंने फ़िल्में निर्देशित की हैं.

अब भारत में कंगना का नाम फ़िल्म 'मणिकर्णिका' में बतौर डायरेक्टर आया है.

जिस तरह अनुष्का शर्मा, प्रियंका चोपड़ा, जूही चावला जैसी हीरोइनों ने प्रोडक्शन में पैर जमाने शुरू कर दिए हैं, शायद उसी तरह आने वाले दिनों में ज़्यादा हिरोइनें भी 'कैमरा, रोल, एक्शन कहती नज़र आएँ'.

तब राज कपूर की तरह फ़िल्म इंडस्ट्री को अपनी शोवूमैन भी मिल जाए.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Kangana Ranaut Manikarnika Jhansi Ki Rani before which heroine was also a director
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X