कमलनाथ के मंत्री बोले- 'हमें माफ कर दो, हम राहुल गांधी की कर्ज माफी के वादे को पूरा नहीं कर सकते'
नई दिल्ली- 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मध्य प्रदेश में किसानों से कर्जमाफी का वादा करके ही सत्ता में 15 साल बाद लौटी थी। लेकिन, वही वादा अब पार्टी के लिए गले की हड्डी बन चुका है, जिसे वह न तो निगल पा रही है और न ही उससे उगलते ही बन रहा है। अब कमलनाथ सरकार के मंत्री ने भी सार्वजनिक तौर पर कहना शुरू कर दिया है कि पार्टी तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वादे को पूरा कर पाने में नाकाम रही है। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के किसानों का 2 लाख रुपये तक का कर्ज सत्ता में आने के सिर्फ 10 दिनों के भीतर माफ करने का वादा किया था। यही नहीं उन्होंने यहां तक कहा था कि अगर उनकी पार्टी की सरकार 10 दिन में वादा नहीं निभा पाई तो वहां के मुख्यमंत्री को ही बदल दिया जाएगा। अब वही वादे और दावे पार्टी के लिए मुसीबत बन गई है।
'हमें माफ कर दो....'
मध्य प्रदेश सरकार ने मान लिया है कि वह विधानसभा चुनावों में तत्कालीन कांग्रेस अध्य्कक्ष की ओर से 10 दिनों के भीतर किसानों की कर्जमाफी का वादा नहीं निभा पाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में कमलनाथ सरकार के एक मंत्री ने माना है कि कर्जमाफी में देरी और मुश्किलें हो रही हैं, जिसका वादा राहुल ने 2018 के दिसंबर में विधानसभा चुनावों के दौरान किया था। प्रदेश के सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह ने इसके लिए माफी भी मांगी है। उन्होंने कहा है, 'हम अपने नेता राहुल गांधी की ओर से किसानों के 2 लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने के वादे को सरकार बनाने के दस दिन के भीतर पूरा नहीं कर सके।' अलबत्ता अपने वादे को पूरा नहीं कर पाने के लिए भी उन्होंने दोष पिछली बीजेपी की सरकार पर थोपने की कोशिश की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने प्रदेश को भारी कर्ज में छोड़ दिया था, जिससे मौजूदा सरकार अपना वादा समय पर नहीं पूरा कर सकी। एक सरकार कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि, 'राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश को भारी कर्ज में छोड़ गए थे। '
राहुल गांधी ने क्या वादा किया था, जो नहीं निभा पाए ?
2018 में मध्य प्रदेश विधानभा चुनाव के दौरान राहुंल गांधी ने वादा किया था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के दस दिनों के भीतर सभी किसानों का 2 लाख रुपये तक कर्ज माफ कर दिया जाएगा। तब राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष थे। तब की चुनावी रैलियों में उन्होंने यहां तक वादा किया था कि अगर कांग्रेस की सरकार दस दिनों में वादा पूरा करने में नाकाम रही तो पार्टी मुख्यमंत्री को ही बदल देगी। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अधिकारियों ने बताया था कि कमलनाथ सरकार बनने के बाद पहले फेज में 21 लाख किसानों का करीब 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया। लेकिन, इनमें से ज्यादातर लोन की वैल्यू 50,000 रुपये या उससे कम की थी। जबकि, राहुल ने वादा 2 लाख रुपये तक की कर्ज माफ करने का किया था। गौरतलब है कि प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई और कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह भी कह चुके हैं कर्जमाफी का वादा पूरा नहीं कर पाने के लिए राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए।
खाली खजाने से कैसे पूरा होगा वादा ?
मध्य प्रदेश की सरकार की ओर से भरोसा दिया गया था कि दिसंबर, 2019 में दूसरे फेज में 11,675 करोड़ का कर्ज भी माफ कर दिया जाएगा। हालांकि, भाजपा का आरोप है कि अगर ये कर्ज माफ कर भी दिया गया, तब भी यह रकम राहुल गांधी के वादे का सिर्फ आधा ही रहेगा। इकोनॉमिक्स टाइम्स ने एक बीजेपी नेता के हवाले से बताया कि राज्य में किसानों का कुल 36,500 करोड़ रुपये का लोन माफ होना है। जबकि, मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री तरुण भनोट ने टीओआई से कहा है कि प्रदेश बड़े वित्तीय संकट से गुजर रहा है, क्योंकि केंद्र ने राजस्व में से राज्य का हिस्सा घटा दिया है। उन्होंने कहा कि, 'हमें शिवराज सिंह चौहान सरकार की ओर से लिए गए 14,000 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने का बोझ ढोना पड़ रहा है। पिछले दो वित्तीय वर्षों से केंद्र ने राजस्व में से राज्य का हिस्सा कम कर दिया है। इस साल प्रदेश का बजट पेश करना मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती लग रही है।'
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