कमलनाथ ने कृषि कानूनों का किया विरोध, आरएसएस-जनसंघ पर बोला हमला
दिल्ली की सीमा पर किसानों के आंदोलन का आज 43वां दिन है। भाजपा की विरोधी पार्टियों ने इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया है।
नई दिल्ली। दिल्ली की सीमा पर किसानों के आंदोलन का आज 43वां दिन है। भाजपा की विरोधी पार्टियों ने इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया है। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कृषि कानूनों को लेकर आरएसएस और जनसंघ पर जबरदस्त हमला बोला है। कमलनाथ ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को लेकर कहा कि कानून लाकर सरकार कृषि क्षेत्र का निजीकरण करना चाहती है।
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कमलनाथ ने कहा, आजादी के बाद RSS और जनसंघ की सोच निजीकरण की थी। जनसंघ ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण का विरोध किया था। ये इतिहास है, मेरी सोच ऐसी नहीं है। उन्होंने आगे कहा, जब कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण किया तो जनसंघ ने इसका विरोध किया। ये इनकी सोच थी।
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उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर कहा कि ऐसा करके सरकार कृषि क्षेत्र का निजीकरण करना चाहती है। उन्होंने आगे कहा कि किसानों को जागरूक करने के लिए उनकी पार्टी एमपी के छिंदवाड़ा में 16 जनवरी को किसान सम्मेलन का आयोजन करेगी।
मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों पर देशभर के किसानों ने विरोध जताया है और इन कानूनों की वापसी की मांग को लेकर मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर पिछले 42 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। इस मामले को लेकर किसान और सरकार के बीच 7 दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। अब किसानों और केंद्र सरकार के बीच 8 जनवरी को इस मुद्दे पर बातचीत होगी।