नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर बोले कमल हासन, हिन्दी को थोपा जाना ठीक नहीं
नई दिल्ली। नेशनल एजुकेशनल पॉलिसी (एनईपी) के लिए बनाई गई कमेटी के ड्राफ्ट में स्कूलों में तीन भाषा पढ़ाए जाने को लेकर की गई सिफारिश का दक्षिण भारत में विरोध हुआ है। तमिलनाडु के दो नेताओं ने इस पर एतराज जताया है। मक्कल निधि मय्यम प्रमुख कमल हासन ने कहा कि हिन्दी से मेरा विरोध नहीं है, मैंने कई हिन्दी फिल्मों में काम किया है लेकिन हिन्दी को किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। प्रस्ताव में स्कूलों में तीन भाषा पढ़ाने का प्रस्ताव है। भारत में गैर-हिंदी भाषी राज्यों में क्षेत्रीय भाषा के साथ अंग्रेजी और हिंदी पढ़ाई जाए जबकि जिन हिस्सों में हिंदी बोली जाती है, उनमें हिंदी के अलावा अंग्रेजी और आधुनिक भारतीय भाषा पढ़ाने की सिफारिश नई नीति में है। ।
तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल डीएमके के टी. शिवा ने कहा, तमिलनाडु पर हिन्दी को थोपने की कोशिश को राज्य के लोग कतई बर्दाश्त नहीं करेगे। अगर ये कोशिश हुई तो हम इसके खिलाफ रहेंगे और इसे रोकने के लिए लड़ेंगे।
DMK leader T Siva in Trichy: The attempt to force Hindi language on people of Tamil Nadu will not be tolerated by its people. We are ready to face any consequences to stop Hindi language being forced on the people here. pic.twitter.com/WE990DUErN
— ANI (@ANI) June 1, 2019
बता दें, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यभार संभालने के बाद शुक्रवार को डॉ कस्तूरीरंगन की अगुवाई वाली समिति ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का ड्राफ्ट उनको सौंप है। कमिटी दो साल से इस ड्राफ्ट पर काम कर रही थी। नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि बच्चों को प्री-प्राइमरी से आठवीं तक मातृभाषा में ही पढ़ाना चाहिए। प्री-स्कूल और पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में भी पढ़ाना चाहिए, जिसमें वह इन्हें बोलना सीखें और इनकी लिपि पहचाने और पढ़ें। तीसरी क्लास तक मातृभाषा में ही लिखें और उसके बाद दो और भारतीय भाषाएं लिखना भी शुरू करें। अगर कोई विदेशी भाषा (अंग्रेजी आदि) भी पढ़ना और लिखना चाहे तो यह इन भारतीय भाषाओं के अलावा चौथी भाषा के तौर पर पढ़ाई जाए।
नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में प्राइवेट स्कूलों के मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर भी लगाम लगाने को कहा गया है। स्कूलों को फीस तय करने की छूट होनी चाहिए, लेकिन इसके लिए एक अपर लिमिट तय हो। नीति के ड्राफ्ट में कहा गया है कि बच्चों में 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम का तनाव कम करने के लिए उन्हें मल्टिपल टाइम एग्जाम देने का विकल्प दिया जाए।
इसके साथ-साथ ड्राफ्ट में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग बनाने का भी प्रस्ताव है, जिसके प्रमुख प्रधानमंत्री होंगे। मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय किया जाने का भी प्रस्ताव है। ड्राफ्ट में राइट टु एजुकेशन का दायर प्री प्राइमरी से 12 वीं तक करने की सिफारिश की गई है। अभी यह दायरा पहली से आठवीं क्लास तक ही है।
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